न्यूजीलैंड: भारतीय मूल के सांसद ने संस्कृत भाषा में ली शपथ, वीडियो वायरल
न्यूजीलैंड के हैमिल्टन पश्चिम क्षेत्र से सांसद चुनाव जीतने वाले भारतीय मूल के डॉ गौरव शर्मा (33) ने बुधवार को नया इतिहास रच दिया। दरअसल, डॉ गौरव ने न्यूजीलैंड की संसद में संस्कृत भाषा में शपथ लेकर भारतीय संस्कृति और गुणों को दुनिया के सामने रखा है। विदेशी संसद में संस्कृत भाषा में शपथ लेने वाले वह दुनिया के पहले सांसद और दूसरे राजनेता है। इसके साथ ही गौरव अब पूरी दुनिया में चर्चा का केंद्र बन गए हैं।
न्यूजीलैंड में भारत के उच्चायुक्त ने ट्वीट कर दी जानकारी
डॉ गौरव द्वारा संस्कृत भाषा में शपथ लेने के मामले को सामाओ में भारत के उच्चायुक्त मुक्तेश परदेशी ने ट्वीट कर दुनिया के सामने रखा। उन्होंने ट्वीट किया, 'डॉ गौरव शर्मा ने भारत और न्यूजीलैंड की सांस्कृतिक परंपराओं के प्रति गहरा सम्मान व्यक्त करते हुए संसद में पहले न्यूजीलैंड की भाषा माओरी में शपथ ली और उसके बाद उन्होंने भारत की भाषा संस्कृत में शपथ ली।' यह ट्वीट अब वायरल हो रहा है।
यहां देखें शपथ का वीडियो
पहली बार सूरीनाम के राष्ट्रपति ने ली थी संस्कृत में शपथ
बता दें विदेशी भूमि पर सबसे पहले संस्कृत में शपथ सूरीनाम के राष्ट्रपति चंद्रिकाप्रसाद "चान" संतोखी ने ली थी। उन्होंने गत 16 जुलाई को संस्कृत भाषा में राष्ट्रपति पद की शपथ ली थी। उनके बाद अब डॉ गौरव ने यह अनूठा कदम उठाया है।
गौरव ने 4,386 वोटों से हासिल की थी जीत
विओन के अनुसार डॉ गौरव ने गत 17 अक्टूबर को लेबर पार्टी के उम्मीदवार के तौर पर संसद सदस्य का चुनाव जीता था। इस चुनाव में उन्होंने नेशनल पार्टी के टिम मैकिन्डो को 4,386 से अधिक वोटों से हराकर जीत हासिल की थी। यह उनका दूसरा प्रयास था। इससे पहले उन्होंने साल 2017 में चुनाव लड़ा था। वह लंबे से समय से लेबर पार्टी से जुड़े हुए हैं और लोगों की मदद के लिए हमेशा तत्पर रहते हैं।
हिमाचाल प्रदेश के हमीरपुर से हैं डॉ गौरव
बता दें कि न्यूजीलैंड के हैमिल्टन पश्चिम से सांसद चुने गए डॉ गौरव शर्मा मूल रूप से हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर जिले हडेटा गांव से हैं। उन्होंने ऑकलैंड से MBBS किया है और वाशिंगटन से MBA की डिग्री हासिल की है। वह हैमिल्टन के नॉटन में जनरल प्रैक्टिशनर के तौर पर काम करते हैं। उन्होंने न्यूजीलैंड, स्पेन, अमेरिका, नेपाल, वियतनाम, मंगोलिया, स्विट्जरलैंड और भारत में लोक स्वास्थ्य एवं नीति निर्धारण के क्षेत्र में काम किया है।
टि्वटर पर यूजर ने पूछा- हिंदी में क्यों नहीं ली शपथ?
ट्विटर पर एक यूजर ने डॉ गौरव से पूछा कि उन्होंने हिंदी में शपथ क्यों नहीं ली? इस पर उन्होंने कहा कि सभी को खुश नहीं किया जा सकता, इसलिए उन्होंने संस्कृत में शपथ लेना उचित समझा। उन्होंने ट्वीट किया, 'ईमानदारी से कहूं तो मैंने इस पर विचार किया था, लेकिन मेरी पहली भाषा पहाड़ी या पंजाबी में शपथ लेने से संबंधित सवाल उत्पन्न हुआ। सभी को खुश रखना कठिन है। संस्कृत से सभी भाषाओं का आदर होता है।'
हिंदू धर्म की पवित्र भाषा है संस्कृत
बता दें कि संस्कृत हिंदू धर्म की पवित्र भाषा होने के साथ शास्त्रीय हिंदू दर्शन की भाषा और बौद्ध व जैन धर्म का ऐतिहासिक ग्रंथ हैं। संस्कृत दक्षिण एशिया की एक शास्त्रीय भाषा है जो भारत-यूरोपीय भाषाओं की भारतीय-आर्य शाखा से संबंधित है। इसका दक्षिण एशिया में उद्भव उस समय हुआ था जब इसकी पूर्ववर्ती भाषाएँ उत्तर-पश्चिम से कांस्य युग तक फैल गई थीं। भारत में इस भाषा में अनेकों प्रसिद्ध और धार्मिक ग्रंथ लिखे गए हैं।