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'तेहरान' रिव्यू: जॉन अब्राहम के बेजोड़ अभिनय वाली बेमिसाल फिल्म, नहीं मिलेगा पलक झपकाने का मौका 
जॉन अब्राहम की तेहरान कैसी है, पढ़िए फिल्म का रिव्यू (तस्वीर: इंस्टाग्राम/@thejohnabraham)

'तेहरान' रिव्यू: जॉन अब्राहम के बेजोड़ अभिनय वाली बेमिसाल फिल्म, नहीं मिलेगा पलक झपकाने का मौका 

Aug 14, 2025
09:40 pm

क्या है खबर?

अभिनेता और निर्माता जॉन अब्राहम एक समय अपने अभिनय से कहीं ज्यादा अपने स्टाइल और फिटनेस को लेकर चर्चा में रहते थे, लेकिन पिछले कुछ समय से वह अपनी फिल्मों से दर्शकों का ध्यान खींच रहे हैं। 'द डिप्लोमैट' के बाद जॉन अब 'तेहरान' लेकर आए हैं। उनकी यह फिल्म ZEE5 पर रिलीज हो गई है। 'स्त्री 2' और 'छावा' वाले निर्माता दिनेश विजान ने इस फिल्म पर पैसा लगाया है। कैसी है 'तेहरान', जानने के लिए पढ़िए ये रिव्यू।

कहानी

दिल्ली में हुए एक बम धमाके के इर्द-गिर्द बुनी गई कहानी

कहानी साल 2012 में दिल्ली में इजरायली दूतावास के बाहर हुए एक बम धमाके पर आधारित है, जिसकी जांच की जिम्मेदारी दिल्ली पुलिस के (DCP) राजीव कुमार (जॉन) को मिलती है। मिशन में उसका साथ देती हैं दिव्या राणा (मानुषी छिल्लर) और शैलेजा (नीरू बाजवा)। अब राजीव सच्चाई का पता लगाने के लिए कितनी कुर्बानियां देगा, ये फिल्म में देखने वाली बात है। देशभक्ति, भावनाओं और रोमांच से लबरेज फिल्म की कहानी में राजनीतिक तनाव और भावनात्मक जुड़ाव दोनों है।

एक्टिंग

फिल्म की जान हैं जॉन

जॉन ने एक पुलिसवाले, एक जिम्मेदार नागरिक और एक पिता सरीखे इंसान का किरदार बड़ी शिद्दत से निभाया। शुरुआत से लेकर अंत तक उनका एक-एक सीन लाजवाब है। देशभक्ति की खुशबू में रची-बसी और गंभीर भूमिकाएं जॉन पर खूब फबती हैं और इस फिल्म में भी अपने उसी चित-परिचित अंदाज से वह दिल में घर कर जाते हैं। मानुषी छिल्लर, नीरू बाजवा और जॉन की पत्नी बनीं मधुरिमा तुली भी अपनी छोटी सी भूमिका से असर छोड़ जाती हैं।

निर्देशन

निर्देशन और लेखन भी उम्दा

अरुण गोपालन का निर्देशन काबिल-ए-तारीफ है, जिन्होंने फिल्म को फालतू के दिखावे से दूर रखा। न इसमें तेज-तर्रार एक्शन है, ना हो-हल्ला और ना ही भारी-भरकम डायलॉगबाजी। उनका पूरा ध्यान कहानी दिखाने पर रहा, लिहाजा आखिर तक फिल्म देखने का उत्साह बना रहता है। इंसानियत, जिम्मेदारी और निजी संवेदना की परतों में उतरकर दिल चीर लेने वाली उनकी ये कहानी सीट से बांधे रखती है। सधे हुए लेखने के लिए फिल्म के लेखक रितेश शाह भी प्रशंसा के पात्र हैं।

निष्कर्ष

फिल्म देखें या ना देखें?

क्यों देखें?- कुल मिलाकर स्वतंत्रता दिवस के मौके पर और देशभक्ति वाले माहौल में 'तेहरान' जैसी आंखें खोल देने वाली फिल्म बेशक आपका दिन बना देगी। जॉन के प्रशंसकों में शुमार हैं तो सोने पे सुहागा। क्यों न देखें?- अगर एक मसालेदार एक्शन फिल्म की तलाश है या धीमी रफ्तार से चलने वाली फिल्मों से परहेज है तो आप 'तेहरान' छोड़ सकते हैं, वहीं जटिल विषय पर बनी फिल्में पसंद नहीं तो भी 'तेहरान' आपके लिए नहीं। न्यूजबाइट्स स्टार- 4/5