पवन खेड़ा को मिली अंतरिम जमानत, असम पुलिस ने विमान से उतारकर किया था गिरफ्तार
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर विवादित टिप्पणी के चलते गिरफ्तार हुए कांग्रेस नेता पवन खेड़ा को सुप्रीम कोर्ट से 28 फरवरी तक अंतरिम जमानत मिल गई है। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने खेड़ा के खिलाफ उत्तर प्रदेश और असम में दर्ज हुए अलग-अलग केसों का विलय करने का निर्देश भी दिया है। खेड़ा को आज ही असम पुलिस ने दिल्ली एयरपोर्ट से गिरफ्तार किया था। मामले में अगली सुनवाई सोमवार 27 फरवरी को होगी।
असम और उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी
पवन खेड़ा की गिरफ्तारी पर CJI डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की बेंच ने सुनवाई की। करीब आधा घंटे चली सुनवाई के बाद खेड़ा को अंतरिम जमानत दे दी गई। कोर्ट ने असम और उत्तर प्रदेश सरकार को भी नोटिस जारी किया और 3 जगह दर्ज केस को एक ही जगह पर लाने पर सवाल किया। असम सरकार की ओर से ASG ऐश्वर्या भाटी और खेड़ा की ओर से अभिषेक मनु सिंघवी ने पैरवी की।
असम पुलिस ने रायपुर जाते वक्त किया था गिरफ्तार
पवन खेड़ा को असम पुलिस ने दिल्ली एयरपोर्ट पर विमान से उतारकर गिरफ्तार किया था। वे कांग्रेसी नेताओं के साथ छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में कांग्रेस के अधिवेशन में शामिल होने जा रहे थे। इस दौरान एयरपोर्ट पर खूब हंगामा हुआ था और कांग्रेसी नेता धरने पर बैठ गए थे। नेताओं ने भाजपा के खिलाफ 'हाय-हाय' के नारे लगाए और पार्टी ने ट्वीट कर इसे तानाशाही रवैया बताया था।
मामला प्रधानमंत्री पर टिप्पणी से जुड़ा
पवन खेड़ा पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके पिता को लेकर अभद्र टिप्पणी करने का आरोप है। गौतम अडाणी पर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान उन्होंने कहा था कि अगर अटल बिहार वाजपेयी संयुक्त संसदीय समिति (JPC) बना सकते हैं, तो नरेंद्र 'गौतमदास' मोदी को क्या दिक्कत है। उन्होंने 'नरेंद्र दामोदरदास मोदी' की जगह 'नरेंद्र गौतमदास मोदी' कहा था। इसके खिलाफ लखनऊ, बनारस और असम में भाजपा नेताओं ने शिकायत दर्ज करवाई थी।
ये आपातकाल है- संजय राउत
शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के सांसद संजय राउत ने कहा कि छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के अधिवेशन से 24 घंटे पहले मुख्यमंत्री के करीबियों और कांग्रेस नेताओं पर ED और CBI द्वारा छापे मारे गए। भाजपा विपक्षी दलों का गला घोंट रही है। ये आपातकाल है।"
कौन हैं पवन खेड़ा?
31 जुलाई, 1968 को जन्मे पवन खेड़ा ने दिल्ली यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की है। वे 21 साल की उम्र से ही कांग्रेस से जुड़े हैं। हालांकि, राजीव गांधी की हत्या के बाद उन्होंने कांग्रेस छोड़ दी थी, लेकिन 1998 में वापस पार्टी में लौट आए। 1998 से 2013 तक वे दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दिक्षित के राजनीतिक सचिव रहे। फिलहाल वे कांग्रेस के मीडिया और पब्लिसिटी विभाग के चेयरमैन हैं।