अमेरिकी राजदूत ने की मणिपुर हिंसा से निपटने में मदद की पेशकश; कांग्रेस ने किया विरोध
भारत में अमेरिका के राजदूत एरिक गार्सेटी ने कहा है कि अमेरिका मणिपुर में जारी हिंसा से निपटने में भारत की सहायता करने के लिए तैयार है। उन्होंने कहा कि अमेरिका के लिए मणिपुर हिंसा एक मानवीय चिंता है और आशा है कि यहां जल्द शांति स्थापित होगी। बता दें कि मणिपुर में पिछले 2 महीने से जारी हिंसा में अब तक 100 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि हजारों लोग बेघर हो गए हैं।
अमेरिकी राजदूत बोले- चिंता करने के लिए भारतीय होने की जरूरत नहीं
गार्सेटी ने कहा, "जब हम मणिपुर हिंसा में लोगों को मरते हुए देखते हैं तो चिंता करने के लिए भारतीय होने की जरूरत नहीं है। हम जानते हैं कि शांति कई अच्छी चीजों के लिए जरूरी है। पूर्वोत्तर भारत में कई अच्छी चीजें हुई हैं और वे शांति के बिना जारी नहीं रह सकतीं।" उन्होंने कहा, "हम जानते हैं कि यह भारत का अपना मामला है, लेकिन अमेरिका किसी भी तरह से सहायता करने के लिए तैयार हैं।"
कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने बयान पर दी कड़ी प्रतिक्रिया
कांग्रेस के नेता मनीष तिवारी ने गार्सेटी के बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए ट्वीट किया, 'मैंने अपने सार्वजनिक जीवन के कम से कम चार दशक के दौरान कभी किसी अमेरिकी राजदूत को भारत के आंतरिक मामलों के बारे में इस तरह का बयान देते नहीं सुना है।" उन्होंने लिखा, 'मुझे संदेह है कि क्या नए राजदूत अमेरिका-भारत संबंधों के जटिल इतिहास और हमारे आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप के बारे में हमारी संवेदनशीलता से अवगत हैं।'
मणिपुर में 3 मई से जारी है हिंसा
मणिपुर हाई कोर्ट ने मार्च में मणिपुर सरकार से गैर-आदिवासी मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति (ST) का दर्जा दिए जाने की याचिका पर विचार करने को कहा था। इस बात का कुकी आदिवासियों ने विरोध किया था और उनकी एकजुटता मार्च के बाद 3 मई को राज्य में हिंसा भड़क गई थी। भारतीय सेना और केंद्रीय सशस्त्र बलों की तैनाती के बावजूद मणिपुर में जारी हिंसा थमने का नाम नहीं ले रही है।
मणिपुर में कक्षा 1 से 8 तक के स्कूल खोले गए
मणिपुर सरकार ने हिंसा की घटनाओं में आई कमी के बीच कक्षा 1 से 8 तक के बच्चों के लिए स्कूल खोल दिए हैं। मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने कहा, "यह मणिपुर के लोगों के लिए एक कठिन दौर रहा है, लेकिन हम अपने बच्चों को उनकी उचित शिक्षा से वंचित नहीं होने दे सकते। मैं मणिपुर में शांति बनाए रखने और हमारे बच्चों को बिना किसी परेशानी के स्कूल जाने देने के लिए सभी का सहयोग चाहता हूं।"