नागालैंड फायरिंग: उग्रवादी संगठन ने कहा- मासूम लोगों के खून का बदला लिया जाएगा
क्या है खबर?
नागालैंड के एक उग्रवादी संगठन ने मोन जिले में सुरक्षाबलों की फायरिंग में मारे गए लोगों की मौत का बदला लेने का ऐलान किया है।
मामले पर बयान जारी करते हुए नागालैंड की स्वघोषित सरकार 'गवर्नमेंट ऑफ पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ नागालैंड' (GPRN) की नागा आर्मी ने कहा है कि मासूम ग्रामीणों के खून का बदला लिया जाएगा।
उसने उम्मीद जताई है कि लोग उसके द्वारा उठाए गए कदमों को समझेंगे।
बयान
शांति की लोगों की आशा के कारण नहीं चला रहे सेना के खिलाफ अभियान- नागा आर्मी
सोमवार को जारी किए गए अपने बयान की शुरूआत में नागा आर्मी ने "कायर भारतीय सेना द्वारा निहत्थे मासूस नागरिकों के क्रूर कत्लेआम" पर गहरी संवेदना और गुस्सा प्रकट किया है।
अपने बयान में आर्मी ने आगे कहा है कि शांतिपूर्ण वातावरण की तलाश कर रहे अपने नागा लोगों की आशाओं को ध्यान में रखते हुए उसने खुद को भारतीय सेना के क्रूर कब्जाधारियों के खिलाफ अभियान चलाने से रोका हुआ है।
धमकी
भारतीय सेना से रेप, कत्लेआम और दुखों के अलावा कुछ नहीं मिला- नागा आर्मी
नागालैंड के मोन जिले में शनिवार को एक उग्रवाद-रोधी अभियान के दौरान सुरक्षाबलों ने काम से लौट रहे ओटिंग गांव के ग्रामीणों को गलती से उग्रवादी समझ कर उनके वाहन पर फायरिंग कर दी थी।
घटना की जानकारी मिलने पर गुस्साए लोगों ने जवानों पर हमला कर दिया था और अपनी आत्मरक्षा में जवानों को एक बार फिर से फायरिंग करनी पड़ी थी।
इस घटना में कुल 14 ग्रामीण मारे गए थे, वहीं एक जवान की भी मौत हुई।
अन्य बयान
नागा सरकार के अन्य मंत्रालयों ने भी की घटना की आलोचना
GPRN के सूचना और प्रचार मंत्रालय ने भी मामले पर एक अलग बयान जारी किया है। इसमें कहा गया है, "यह तथ्य कि भारतीय सुरक्षाबल नगालिम में खूनी धूल का जहरीला तूफान लेकर आई है, ये एक नई बात नहीं है, बल्कि वैध नागा राजनीतिक आंदोलन को दबाने के इतिहास की पुनरावृत्ति है।"
नेशनल सोशलिस्ट वूमैन्स ऑर्गनाइजेशन ऑफ नागालिज्म ने भी इसे नागा विरोधी लोगों द्वारा पूर्व-निर्धारित नरसंहार बताया है।
पृष्ठभूमि
नागालैंड में क्या हुआ था?
इस घटना के बाद से ही इलाके में तनाव बना हुआ है और सरकार शांति स्थापित करने की कोशिश कर रही है। ज्यादातर ग्रामीण जिस कोनयाक नागा जनजाति से थे, उसने सरकार के सामने पांच मांगें रखी हैं।
इनमें दोषी सैनिकों के खिलाफ त्वरित और कड़ी कार्रवाई और उत्तर-पूर्व के सभी राज्यों से सुरक्षाबलों को विशेषाधिकार देने वाले सशस्त्र बल विशेष शक्तियां अधिनियम (AFSPA)को हटाने की मांगें भी शामिल हैं।
नागालैंड सरकार भी AFSPA हटाने के समर्थन में है।
मौजूदा स्थिति
नागा जनजाति ने सरकार के सामने रखीं 5 मांगें
इस घटना के बाद से ही इलाके में तनाव बना हुआ है और सरकार शांति स्थापित करने की कोशिश कर रही है। ज्यादातर ग्रामीण जिस कोनयाक नागा जनजाति से थे, उसने सरकार के सामने पांच मांगें रखी हैं।
इनमें दोषी सैनिकों के खिलाफ त्वरित और कड़ी कार्रवाई और उत्तर-पूर्व के सभी राज्यों से सुरक्षाबलों को विशेषाधिकार देने वाले सशस्त्र बल विशेष शक्तियां अधिनियम (AFSPA)को हटाने की मांगें भी शामिल हैं।
नागालैंड सरकार भी AFSPA हटाने के समर्थन में है।