पहलवानों से पहले दिल्ली के जंतर-मंतर पर कब-कब हुए बड़े विरोध प्रदर्शन?
दिल्ली के जंतर-मंतर पर पहलवान भारतीय कुश्ती संघ (WFI) के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के इस्तीफे और गिरफ्तारी की मांग को लेकर धरने पर बैठे हैं। किसान संगठनों और खाप पंचायतों ने जंतर-मंतर पर पहुंचकर पहलवानों को अपना समर्थन दिया है। संसद से करीब 2 किलोमीटर की दूरी पर स्थित इस ऐतिहासिक स्थल पर विभिन्न मांगों को लेकर कई बड़े प्रदर्शन हो चुके हैं। आइए जंतर-मंतर पर हुए कुछ प्रमुख प्रदर्शनों के बारे में जानते हैं।
जंतर-मंतर कैसे बना एक विरोध स्थल?
एक विरोध स्थल के रूप में जंतर-मंतर की कहानी 1993 में शुरू हुई थी। हालांकि, इस बात को लेकर कभी कोई अध्यादेश जारी नहीं किया गया और न ही कोई आधिकारिक घोषणा की गई थी। इस स्थल पर धारा 144 को कभी भी लागू नहीं किया गया था, जिसके चलते यहां पर प्रदर्शन शुरू हुए थे। इसके अलावा एक छोटे क्षेत्र में स्थित जंतर-मंतर पर भीड़ को नियंत्रित करना भी आसान है।
पंजाब के किसान संगठनों ने मार्च में किया था विरोध प्रदर्शन
इस साल 13 मार्च को पंजाब के 5 किसान संगठन संसद के बजट सत्र के दूसरे भाग की शुरुआत में जंतर-मंतर पर प्रदर्शन पर बैठ गए थे। किसानों ने किसान नेताओं की संपत्तियों पर केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) की तलाशी के मुद्दे को लेकर केंद्र सरकार को घेरा था। किसानों ने कर्ज माफी और न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) समेत अन्य मांगों को लेकर भी यह प्रदर्शन किया था। किसानों ने बंगला साहिब गुरुद्वारे से एक जुलूस भी निकाला था।
अन्ना हजारे ने जंतर-मंतर से की थी अपने आंदोलन की शुरुआत
महाराष्ट्र के समाजसेवी अन्ना हजारे ने अप्रैल, 2011 में भ्रष्टाचार को खत्म करने की मांग को लेकर जंतर-मंतर पर भूख हड़ताल शुरू की थी। इस भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन को अन्ना आंदोलन का भी नाम दिया गया था, जिसमें तत्कालीन केंद्र सरकार से लोकपाल विधेयक लाने की मांग की गई थी। आंदोलन में अरविंद केजरीवाल, प्रशांत भूषण और किरण बेदी समेत अन्य प्रमुख लोग शामिल हुए थे, जिसके बाद यह लोगों के बीच काफी लोकप्रिय हो गया था।
तमिलनाडु के किसानों ने कर्ज माफी को लेकर किया था प्रदर्शन
तमिलनाडु के कर्ज में डूबे किसानों ने वर्ष 2017 में जंतर-मंतर पर प्रदर्शन किया था। उन्होंने सूखे के कारण बर्बाद हुई अपनी फसलों के लिए राहत पैकेज, कर्ज माफी और कावेरी प्रबंधन बोर्ड की स्थापना की मांग की थी। किसान नेता पोन्नुसामी अय्याकन्नु द्वारा शुरू किए गए इस आंदोलन के दौरान किसानों ने मृत किसानों की खोपड़ी दर्शाने के साथ-साथ अपने मुंह में मरे हुए चूहों को रखकर नाटकीय अंदाज में प्रदर्शन किया था।
जंतर-मंतर पर CAA के खिलाफ भी हुआ था प्रदर्शन
जंतर-मंतर पर 19 दिसंबर, 2019 को नागरिकता संसोधन अधिनियम (CAA) के विरोध में प्रदर्शन करने के लिए लोगों की भारी भीड़ जमा हुआ थी। दरअसल, लाल किले और मंडी हाउस के पास धारा 144 लागू होने और प्रदर्शन करने की अनुमति नहीं मिलने के बाद छात्रों और सामजिक कार्यकर्ताओं समेत सैंकड़ों प्रदर्शनकारी जंतर-मंतर पर जमा हुए थे। इस दौरान लोगों ने नागरिकता कानून को लेकर मोदी सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी भी की थी।
जंतर-मंतर पर और कब-कब हुए हैं प्रदर्शन?
जंतर-मंतर 2014 में अरुणाचल प्रदेश के 19 वर्षीय छात्र निदो तानिया की मौत के विरोध का गवाह भी बना था। इससे पहले 2012 में दिल्ली गैंगरेप के मामले में भी जंतर-मंतर पर प्रदर्शन हुए थे।
NGT ने की थी जंतर-मंतर पर प्रदर्शन पर रोक लगाने की मांग
राष्ट्रीय हरित अभिकरण (NGT) ने 2018 में सुप्रीम कोर्ट से जंतर-मंतर पर विरोध प्रदर्शन पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की अपील करते हुए धरना स्थल को 4 किलोमीटर दूर रामलीला मैदान में स्थानांतरित करने की मांग की थी। दरअसल, क्षेत्र के लोगों ने NGT को प्रदर्शन के चलते ध्वनि प्रदूषण होने का तर्क दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने जंतर-मंतर पर प्रदर्शनों में लोगों की संख्या का हवाला देते हुए पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने से मना कर दिया था।
क्या है जंतर-मंतर का इतिहास?
दिल्ली के कनॉट प्लेस क्षेत्र में स्थित जंतर-मंतर एक खगोलीय वेधशाला है। यह ऐतिहासिक इमारत प्राचीन भारत की वैज्ञानिक उन्नति की एक उत्कृष्ट मिसाल है। राजपूत राजा महाराजा जयसिंह द्वितीय ने 1724 में इसका निर्माण करवाया था। जय सिंह ने ऐसी चार अन्य वेधशालाओं का निर्माण जयपुर, उज्जैन, मथुरा और वाराणसी में भी करवाया था, लेकिन सबसे पहले वेधशाला दिल्ली में ही निर्मित की गई थी।