#NewsBytesExplainer: सूडान में सेना और अर्धसैनिक बलों के बीच लड़ाई क्यों चल रही है?
सूडान में सत्ता को लेकर सेना और अर्धसैनिक बलों के बीच संघर्ष तीसरे दिन भी जारी है। बतौर रिपोर्ट्स, संघर्ष में अब तक करीब 100 नागरिकों की मौत हो चुकी है, जिनमें एक भारतीय नागरिक भी शामिल है। राजधानी खार्तूम और उसके पड़ोसी शहर ओमडुरमैन समेत देश के कई अन्य शहरों में गोलीबारी और हवाई हमले हो रहे हैं। आइए जानते हैं कि सूडान में यह संघर्ष क्यों हो रहा है।
संघर्ष में अब तक क्या-क्या हुआ?
सूडानी डॉक्टर्स यूनियन के अंनुसार, शनिवार को सेना और अर्धसैनिक बलों के बीच शुरू हुई भीषण लड़ाई के बाद से सूडान की राजधानी खार्तूम में कम से कम 100 नागरिक मारे गए हैं और लड़ाकों सहित 1,100 लोग घायल हो चुके हैं। अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम (UK), यूरोपीय संघ, चीन, रूस, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात (UAE) ने दोनों पक्षों से बिना किसी शर्त के संघर्ष को तुरंत समाप्त करने की अपील की है।
किन दो पक्षों के बीच चल रहा है संघर्ष?
सूडान में मौजूदा संघर्ष सशस्त्र बलों के कमांडर जनरल अब्देल-फतह बुरहान और रैपिड सपोर्ट फोर्स (RSF) के प्रमुख जनरल मोहम्मद हमदान दगालो के बीच सत्ता विवाद का हिस्सा है। यह दोनों जनरल पूर्व सहयोगी हैं, जिन्होंने अक्टूबर, 2021 के सैन्य तख्तापलट को संयुक्त रूप से अंजाम दिया था। इस तख्तापलट ने सूडान में लोकतंत्र के अल्पकालिक परिवर्तन को पटरी से उतार दिया था। दोनों जनरलों ने कहा है कि वह किसी भी तरीके का समझौता नहीं करेंगे।
2019 में हो गई थी संघर्ष की असली शुरुआत
सूडान में फिलहाल चल रहे संघर्ष की असली शुरुआत अप्रैल, 2019 में तब हुई थी, जब सैन्य जनरलों ने एक देशव्यापी प्रदर्शन के बाद लंबे समय तक देश के राष्ट्रपति रहे उमर अल-बशीर को सत्ता से बेदखल कर दिया था। हालांकि, बशीर के पद से हटने के बावजूद नागरिकों ने अपना प्रदर्शन जारी रखा था और देश में लोकतांत्रिक चुनाव और लोगों द्वारा चुनी गई सरकार की स्थापना की मांग की थी।
देश में चुनाव करवाने को लेकर हुआ था समझौता
प्रदर्शन के करीब 4 महीने बाद सेना और प्रदर्शनकारियों के बीच एक समझौता हुआ था, जिसके तहत संप्रभुता परिषद का गठन करने का निर्णय लिया गया था। बता दें कि संप्रभुता परिषद सैन्य अधिकारियों और नागरिकों का एक शक्ति-साझाकरण निकाय है, जिसके तहत 2023 के अंत में सूडान में चुनाव करवाने का निर्णय हुआ था। इसके बाद अगस्त, 2019 में अब्दुल्ला हमदोक को चुनाव हो जाने तक अंतरिम प्रधानमंत्री नियुक्त किया गया था।
सूडान में 2021 से सत्ता पर काबिज है सेना
सूडान में लागू हुई नई व्यवस्था सिर्फ कुछ समय तक लागू रह सकी क्योंकि सेना ने अक्टूबर, 2021 में प्रधान हमदोक की सरकार को उखाड़ फेंका था। इसके बाद बुरहान देश के वास्तविक नेता बन गए थे। सत्तारूढ़ परिषद के उपाध्यक्ष और बुरहान के साथी दगालो देश में दूसरे सर्वोच्च नेता बन गए थे। बता दें कि बुरहान ने घोषणा की थी कि जुलाई, 2023 में चुनाव होने तक सेना देश की सत्ता पर काबिज रहेगी।
सेना और RSF के एकीकरण को लेकर है विवाद
10,000 कर्मियों वाली RSF का सेना में विलय किए जाने को लेकर बुरहान और दगालो असहमत हैं। दगालो 10 साल के लिए एकीकरण में देरी करना चाहते हैं, लेकिन सेना ने कहा कि यह एकीकरण अगले दो वर्षों में किया जाएगा। RSF की स्थापना पूर्व राष्ट्रपति उमर अल-बशीर ने वर्ष 2013 में की थी। अक्टूबर, 2021 में देश में हुए तख्तापलट के बाद RSF और सेना के बीच एक समझौता हुआ था।
क्या गृह युद्ध की तरफ बढ़ रहा है सूडान?
सूडान ने 2021 के तख्तापलट के बाद से बार-बार लोकतंत्र के समर्थन में प्रदर्शन देखा है, लेकिन सेना और RSF के बीच लड़ाई ने सूडान के लोकतंत्र में परिवर्तन को और अधिक कठिन बना दिया है। कुछ विशेषज्ञों को डर है कि यह एक व्यापक संघर्ष में बदल सकता है, जिससे देश का पतन हो सकता है और गृह युद्ध की स्थिति बन सकती है। सूडान आकार के हिसाब से अफ्रीका का तीसरा सबसे बड़ा देश है।