कृषि कानून: गुरुवार से जंतर मंतर पर 'किसान संसद' का आयोजन, रोजाना 200 प्रदर्शनकारी पहुंचेंगे
तीन कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे प्रदर्शनकारियों ने 22 जुलाई से दिल्ली के जंतर मंतर पर 'किसान संसद' का आयोजन करने का फैसला किया है। पिछले आठ महीनों से दिल्ली के बॉर्डर पर आंदोलन कर रहे किसान सगंठनों का कहना है कि गुरुवार से रोजाना 200 प्रदर्शनकारी जंतर मंतर पर जाएंगे और इन कानूनों पर चर्चा करेंगे। पेगासस जासूसी कांड और कृषि कानूनों को लेकर संसद में घिरी सरकार की मुश्किलें अब बाहर भी बढ़ने वाली हैं।
क्यों आंदोलन कर रहे हैं किसान?
मोदी सरकार कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए पिछले साल सितंबर में तीन कानून लाई थी। इनमें सरकारी मंडियों के बाहर खरीद के लिए व्यापारिक इलाके बनाने, अनुबंध खेती को मंजूरी देने और कई अनाजों और दालों की भंडारण सीमा खत्म करने समेत कई प्रावधान किए गए हैं। पंजाब और हरियाणा समेत कई राज्यों के किसान इन कानूनों का विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि इनके जरिये सरकार मंडियों और MSP से छुटकारा पाना चाहती है।
मानसून सत्र जारी रहने तक होगा 'किसान संसद' का आयोजन
किसान संगठनों के नेताओं का कहना है कि 22 जुलाई से संसद के मानसून सत्र जारी रहने तक रोजाना जंतर मंतर पर 'किसान संसद' का आयोजन होगा। रोजाना एक स्पीकर और उपसभापति चुना जाएगा। पहले दो दिन APMC कानून पर चर्चा होगी। इसके बाद दूसरे कानूनों पर चर्चा की जाएगी। 'किसान संसद' का आयोजन सुबह 10 से शाम 5 बजे तक होगा। बता दें कि बीते सोमवार से शुरू हुआ मानसून सत्र 13 अगस्त तक चलेगा।
किसान संगठनों ने दिया संसद की तरफ न बढ़ने का भरोसा
इस सिलसिले में मंगलवार को पुलिस के साथ बैठक करने के बाद किसान नेताओं ने कहा कि वो शांतिपूर्ण तरीके से जंतर मंतर पर प्रदर्शन करेंगे और संसद भवन की तरफ नहीं जाएंगे। राष्ट्रीय किसान मजदूर महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिव कुमार कक्का ने कहा, "जब पुलिस ने हमसे प्रदर्शनकारियों की संख्या कम करने को कहा तो हमने उन्हें प्रदर्शन के शांतिपूर्ण होने का भरोसा दिया और कहा कि वो कानून-व्यवस्था बनाए रखने पर ध्यान दे।"
पुलिस ने नहीं दी संसद के बाहर प्रदर्शन की इजाजत
किसान संगठनों ने संसद के बाहर प्रदर्शन करने की इजाजत मांगी थी, लेकिन दिल्ली पुलिस ने इसकी अनुमति देने से इनकार कर दिया था। किसानों की 22 जुलाई से मानसून सत्र के अंत तक रोजाना संसद के बाहर धरना देने की योजना थी। किसानों का कहना था कि रोजाना 200 प्रदर्शनकारी संसद के बाहर प्रदर्शन करेंगे। इस प्रस्ताव को खारिज करते हुए दिल्ली पुलिस ने कहा कि वो इतने लोगों को संसद के पास जाने की अनुमति नहीं दे सकती।
कई तरह के विरोध प्रदर्शन कर चुके हैं किसान
कृषि कानूनों को रद्द कराने की मांग को लेकर किसान कई तरह के विरोध प्रदर्शन कर चुके हैं। आंदोलन की शुरुआत के बाद किसान 8 दिसंबर, 2020 को भारत बंद, 26 जनवरी को ट्रैक्टर परेड, 6 फरवरी को चार घंटे चक्का जाम, 18 फरवरी को रेल रोको आंदोलन, 26 मार्च को फिर से भारत बंद जैसे विरोध प्रदर्शन कर चुके हैं। हालांकि, सरकार पर इन प्रदर्शनों का असर नहीं हुआ है और वह अपने स्टैंड पर कायम है।