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    डॉन आनंद मोहन सिंह की रिहाई पर सुप्रीम कोर्ट का बिहार सरकार को नोटिस
    डॉन आनंद मोहन सिंह की रिहाई पर सुप्रीम कोर्ट का बिहार सरकार को नोटिस

    डॉन आनंद मोहन सिंह की रिहाई पर सुप्रीम कोर्ट का बिहार सरकार को नोटिस

    लेखन नवीन
    May 08, 2023
    03:45 pm

    क्या है खबर?

    सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को पूर्व सांसद और डॉन आनंद मोहन सिंह को समय से पहले जेल से रिहा करने के मामले में बिहार सरकार को नोटिस जारी किया।

    आनंद मोहन गोपालगंज के तत्कालीन जिलाधिकारी और IAS अधिकारी जी कृष्णैया की हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे थे और उन्हें पिछले महीने सरकार द्वारा जेल नियमों में बदलाव करके रिहा किया गया था।

    सरकार के इसी फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है।

    याचिका

    सुप्रीम कोर्ट में किसने दायर की है याचिका?

    बिहार सरकार के इस फैसले को IAS अधिकारी जी कृष्णैया की पत्नी उमा कृष्णैया ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती है। उनकी याचिका पर सुनवाई के बाद आज कोर्ट ने आनंद मोहन की रिहाई मामले में सरकार को नोटिस जारी किया।

    इससे पहले IAS संघ ने भी नीतीश कुमार की सरकार के जेल नियमों में बदलाव करने पर निराशा व्यक्त की थी। उन्होंने कहा था कि जेल नियमों में बदलाव करके दोषियों को रिहा किया जाना दुर्भाग्यपूर्ण है।

    याचिका

    याचिका में क्या कहा गया है?

    याचिका में कहा गया है कि आनंद मोहन की रिहाई में पिछले आपराधिक रिकॉर्ड और उसके आचरण को नजरअंदाज किया गया है और उसकी रिहाई को सुविधाजनक बनाने के लिए राज्य सरकार ने जेल नियमों में भी संसोधन किया।

    याचिकाकर्ता ने कोर्ट में कहा कि IAS अधिकारी की हत्या जैसे जघन्य अपराध में दोषी को समय से पहले रिहा किया जाना गलत है और इस मामले में अपराध के समय प्रचलित नीति को ही लागू किया जाना चाहिए।

    कब हुई रिहाई

    24 अप्रैल को रिहा हुए थे आनंद मोहन

    पिछले महीने 24 अप्रैल को आनंद मोहन सिंह को 14 साल बाद सहरसा जेल से रिहा कर दिया गया था। उन्हें IAS अधिकारी की हत्या मामले में उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी, लेकिन राज्य सरकार द्वारा हाल ही जेल नियमों में बदलाव के बाद उन्हें रिहा किया गया।

    नीतीश सरकार के इस फैसले पर विपक्षी पार्टियों ने सवाल खड़े करते हुए इसे बिहार में जंगल राज की वापसी करार दिया था।

    बदलाव

    बिहार सरकार ने जेल नियमों में क्या किया बदलाव?

    बिहार सरकार ने 10 अप्रैल को कारा अधिनियम, 2012 के नियम 481 (1) (क) में संशोधन किया था। इसमें से उस वाक्यांश को हटा दिया गया था, जिसमें सरकारी सेवक की हत्या को शामिल किया गया था।

    इस संसोधन के बाद ड्यूटी पर तैनात सरकारी सेवक की हत्या जल्द रिहाई के लिए अपवाद की श्रेणी में नहीं आएगी, बल्कि इसे भी एक साधारण हत्या माना जाएगा। इसी के तहत डॉन आनंद मोहन की रिहाई हुई।

    सजा

    आनंद मोहन को किस मामले में हुई थी उम्रकैद?

    5 दिसंबर, 1994 को गोपालगंज के दलित IAS अधिकारी और जिलाधिकारी जी कृष्णैया की भीड़ ने पिटाई की और फिर गोली मारकर उनकी हत्या कर दी गई। इस भीड़ को आनंद मोहन ने ही उकसाया था।

    इस मामले में आनंद और उसकी पत्नी लवली समेत 6 लोगों को आरोपी बनाया गया था। साल 2007 में पटना हाई कोर्ट ने उन्हें दोषी ठहराया और फांसी की सजा सुनाई। 2008 में सुप्रीम कोर्ट ने इस सजा को उम्रकैद में तब्दील कर दिया।

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