अरुणाचल प्रदेश पर चीन ने फिर किया दावा, चोटी का नामकरण करने से भड़का
अरुणाचल प्रदेश को लेकर भारत और चीन के बीच एक बार फिर विवाद जैसी स्थिति सामने आई है। दरअसल, भारत के कुछ पर्वतारोहियों ने तवांग में स्थित करीब 21,000 फीट की एक चोटी पर चढ़ाई की थी। इस लम्हे को यादगार बनाने के लिए पर्वतारोहियों ने चोटी को नाम भी दे दिया। इस पर चीन भड़क उठा है। उसने फिर से अरुणाचल प्रदेश पर अपना दावा करते हुए इसे जांगनान का हिस्सा बताया है।
क्या है मामला?
रक्षा मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले राष्ट्रीय पर्वतारोहण और साहसिक खेल संस्थान (NIMAS) की एक 15 सदस्यीय टीम ने कर्नल रणवीर सिंह जामवाल के नेतृत्व में 20,942 फीट ऊंची एक चोटी पर चढ़ाई की थी। इससे पहले इस चोटी पर कोई भी नहीं पहुंच पाया था। इस सफलता को यादगार बनाने के लिए टीम ने शिखर का नाम छठे दलाई लामा त्सांगयांग ग्यात्सो के सम्मान में उनके नाम पर रख दिया।
चीन ने क्या कहा?
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने भारत के इस कदम पर नाराजगी व्यक्त की। बीजिंग में मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा, "चीनी क्षेत्र में तथाकथित 'अरुणाचल प्रदेश' की स्थापना करना भारत के लिए अवैध और निरर्थक है। मुझे इस विशेष नामकरण के बारे में जानकारी नहीं है। मैं और अधिक व्यापक रूप से यह कहना चाहूंगा कि जांगनान का क्षेत्र चीनी क्षेत्र है। यहां चीन की लगातार स्थिति रही है।"
टीम ने 15 दिन में की चुनौतीपूर्ण चढ़ाई
टीम को चोटी पर चढ़ाई करने में 15 दिन लगे। रक्षा जनसंपर्क अधिकारी लेफ्टिनेंट कर्नल एम रावत के अनुसार, "यह तकनीकी रूप से सबसे चुनौतीपूर्ण और अज्ञात शिखरों में से एक था और इस पर बर्फ की विशाल दीवारों, खतरनाक दरारों और 2 किलोमीटर लंबे ग्लेशियर सहित अपार चुनौतियों को पार करने के बाद विजय प्राप्त की गई थी।" रक्षा मंत्रालय के अनुसार, चोटी के नामकरण के पीछे दलाई लामा के बौद्धिक और मोनपा समुदाय के प्रति अतुलनीय योगदान है।
कौन थे छठे दलाई लामा त्सांगयांग ग्यात्सो?
छठे दलाई लामा त्सांगयांग ग्यात्सो का जन्म 1683 में अरुणाचल प्रदेश के मोन तवांग में हुआ था। उन्हें 14 साल की उम्र में छठे दलाई लामा के तौर पर सिंहासन पर बैठाया गया था। बाद में कोशुत ल्हा-बजांग खान ने उनका अपहरण कर लिया और उन्हें पदच्युत कर दिया। 1706 में उन्हें चीन बुलाया गया था। चीन जाते हुए रास्ते में ही उनका निधन हो गया। माना जाता है कि चीन ने अपने लिए खतरा मानकर उन्हें मरवा डाला था।
अरुणाचल प्रदेश को लेकर क्या है विवाद?
चीन अरुणाचल प्रदेश को तिब्बत का हिस्सा मानता है और इस पर अपना दावा ठोकते हुए इसे दक्षिणी तिब्बत कहता है। चीन अरुणाचल के लगभग 90,000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को अपना बताता है। दूसरी तरफ भारत का कहना है कि अरुणाचल उसका अभिन्न अंग है और इस पर भारत की संप्रभुता को अंतरराष्ट्रीय मान्यता मिली हुई है। इसके अलावा चीन ने भारत के अक्साई चिन की करीब 38,000 वर्ग किलोमीटर जमीन पर भी अवैध कब्जा कर रखा है।