लद्दाख: देमचुक इलाके में घुसे थे चीनी सैनिक, दलाई लामा के जन्मदिन उत्सव का विरोध किया
क्या है खबर?
लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर भारत और चीन के बीच लंबे समय से विवाद चल रहा है। दोनों देशों के बीच शंति के प्रयास जारी हैं।इसी बीच चीनी सेना ने फिर से विवाद को बढ़ाने का काम किया है।
दरअसल, गत 6 जुलाई को चीनी सेना और कुछ नागरिकों ने लद्दाख के देमचुक क्षेत्र में प्रवेश कर सिंधु नदी के पास बैनर और चीनी झंडे लहराते हुए दलाई लामा के जन्मदिन उत्सव पर विरोध जताया था।
पृष्ठभूमि
भारत और चीन के बीच पिछले एक साल से चल रहा है विवाद
भारत और चीन के बीच लंबे वक्त से लद्दाख की सीमा पर तनाव चल रहा है। पिछले साल अप्रैल-मई में चीनी सेना ने लद्दाख सीमा पर घुसपैठ की कोशिश की थी। तभी से ही भारत और चीन के बीच सीमा पर तनाव की स्थिति बनी हुई है।
दोनों देशों ने इस विवाद को सैन्य लेवल की बातचीत, कूटनीतिक रास्ते से निपटाने की कोशिश की है। हालांकि, कई दौर की बातचीत के बाद अभी तक ठोस हल नहीं निकला है।
प्रकरण
दलाई लामा के जन्मदिन पर देमचुक क्षेत्र में घुसे थे चीनी सैनिक
इंडिया टुडे के अनुसार, 6 जुलाई को बौद्ध धर्मगुरु दलाई लामा का जन्मदिन था। उस दौरान क्षेत्र के लोग उनके जन्मदिन का उत्सव मना रहे थे।
उसी दौरान पांच गाड़ियों में चीनी सेना के जवान और कुछ नागरिक देमचुक में गांव के सामुदायिक केंद्र के नजदीक पहुंच गए।
उस दौरान उन्होंने दलाई लामा के जन्मोत्सव के विरोध में उत्सव मना रहे लोगों के सामने बैनर और चीनी झंडे भी लहराए। वह करीब डेढ़ घंटे तक इलाके में रहे थे।
बधाई
प्रधानमंत्री मोदी ने दी थी दलाई लामा को जन्मदिन की बधाई
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 6 जुलाई को दलाई लामा को जन्मदिन की बधाई दी थी।
उन्होंने ट्वीट किया था, 'महामहिम दलाई लामा के साथ फोन पर बातचीत की और उन्हें 86वें जन्मदिन की बधाई दी। हम उनकी दीर्घायु और स्वस्थ जीवन की कामना करते हैं।'
प्रधानमंत्री के इस ट्वीट को तिब्बती कार्यकर्ताओं ने चीन को एक कड़े संदेश के तौर पर देखा था।' तिब्बती सांसद डोलमा सेरिंग ने इसे प्रधानमंत्री की ओर से बढ़ाया गया एक सकारात्मक कदम बताया था।
प्रयास
फरवरी में पैंगोंग झील के पास पूरा हुआ डिसइंगेजमेंट
बता दें कि पूर्वी लद्दाख में पिछले साल गतिरोध शुरू होने के बाद दोनों पक्षों ने इस साल फरवरी में पैंगोंग झील के उत्तरी और दक्षिणी किनारों से सैनिकों तथा हथियारों की वापसी की प्रक्रिया को पूरा कर लिया।
यह डिसइंगेजमेंट कई दौर की सैन्य और कूटनीतिक वार्ताओं के बाद हुए समझौते के तहत किया गया था।
हालांकि, हॉट स्प्रिंग्स, गोगरा और डेपसांग जैसे क्षेत्रों में गतिरोध अब भी बरकरार है और इस मुद्दे को सुलझाने के प्रयास जारी हैं।