दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के ऑफिस पहुंची CBI की टीम, एजेंसी का छापेमारी से इनकार
केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) की एक टीम दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के ऑफिस पहुंची और इसे लेकर सिसोदिया ने एक ट्वीट भी किया है। उन्होंने लिखा, 'आज फिर CBI मेरे कार्यालय पहुंची है। मेरे घर पर छापा मारा, मेरे कार्यालय पर छापा मारा, मेरे लॉकर की तलाशी ली, यहां तक कि मेरे गांव में भी जांच की। मेरे खिलाफ कुछ भी नहीं मिलेगा क्योंकि मैंने कुछ भी गलत नहीं किया है।' आइए पूरी खबर जानते हैं।
मनीष सिसोदिया का ट्वीट
CBI के सूत्रों ने छापेमारी से किया इनकार
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, CBI के सूत्रों ने बताया कि आज एक टीम सिसोदिया के कार्यालय में कुछ दस्तावेज लेने गई थी और यह कोई छापेमारी की कार्रवाई नहीं थी। CBI ने कहा कि सिसोदिया पर नई शराब नीति को लेकर भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं और अगस्त में उनके घर पर इस मामले को लेकर छापेमारी की गई थी। इसी जांच को आगे बढ़ाने के लिए आज एक टीम उनके ऑफिस में कुछ दस्तावेज लेने गई थी।
पहले भी CBI ने सिसोदिया के घर पर की थी छापेमारी
इससे पहले भी CBI ने नई शराब नीति से संबंधित एक मामले में सिसोदिया के घर पर छापेमारी थी और शराब नीति के निर्माण और इसे लागू करने में कथित अनियमितता और भ्रष्टाचार के लिए सिसोदिया के खिलाफ FIR दर्ज की गई थी। हालांकि, सिसोदिया ने आरोपों को खारिज करते हुए इस छापेमारी को बदले की राजनीति से प्रेरित कदम बताया था। उन्होंने खुद को कट्टर ईमानदार बताते हुए कहा था कि उन्हें जान बूझकर परेशान किया जा रहा है।
भ्रष्टाचार के आरोपों की शुरूआत कैसे हुई?
दिल्ली के मुख्य सचिव नरेश कुमार को मई में आबकारी विभाग से नई शराब नीति में बदलाव के लिए एक प्रस्ताव मिला था। इसके विश्लेषण के दौरान कुमार को नई शराब नीति में कुछ प्रक्रियात्मक खामियां और अनियमितताएं मिलीं, जिसके बाद उन्होंने 8 जुलाई को आबकारी मंत्री सिसोदिया, मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना को रिपोर्ट भेजी। इस रिपोर्ट के बाद उपराज्यपाल ने मामले की CBI जांच की सिफारिश की और भ्रष्टाचार के लिए सिसोदिया को जिम्मेदार ठहराया।
CBI किन आरोपों की जांच कर रही?
सिसोदिया पर कमीशन लेकर शराब की दुकानों का लाइसेंस लेने वालों को अनुचित फायदा पहुंचाने का आरोप है। दरअसल, कोविड महामारी का हवाला देकर शराब कंपनियों की 144.36 करोड़ रुपये की निविदा लाइसेंस फीस माफ की गई थी। आरोप है कि यह फैसला लेते वक्त सिसोदिया ने कैबिनेट को लूप में नहीं रखा और न ही उपराज्यपाल से इसकी अनुमति है। उपराज्यपाल का आरोप है कि ऐसा तभी संभव है जब सिसोदिया को रिश्वत और कमीशन दिया गया हो।
सिसोदिया पर अन्य क्या-क्या आरोप हैं?
सिसोदिया पर एयरपोर्ट पर शराब बेचने का लाइसेंस प्राप्त करने वाले लाइसेंसधारकों को 30 करोड़ रुपये रिफंड करने का भी आरोप है क्योंकि वो एयरपोर्ट प्राधिकरण से अनापत्ति प्रमाण पत्र (NOC) नहीं हासिल कर पाए। दावा है कि ये फैसला रिफंड करने की बजाय जब्त किया जाना चाहिए था। इसके अलावा बिना अनुमति के विदेशी बीयर पर 50 रुपये प्रति बॉक्स का आयात शुल्क भी हटा दिया गया जिससे विदेशी बीयर सस्ती हो गई और राजकोष को नुकसान हुआ।