
गुजरात दंगे: सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कीं सभी लंबित याचिकाएं, कहा- बेमतलब हुईं
क्या है खबर?
सुप्रीम कोर्ट ने 2002 गुजरात दंगों से संबंधित सभी लंबित याचिकाओं को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि इतना समय बीतने के बाद इन याचिकाओं का कोई मतलब नहीं रह गया है और इसलिए इन्हें खारिज किया जा रहा है।
कोर्ट ने कुल 11 याचिकाओं को खारिज किया है जिनमें मुख्य तौर पर दंगों से संबंधित कुछ मामलों में दखल देने और उनकी जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) को सौंपने का अनुरोध किया गया था।
याचिकाएं
NHRC और एक NGO समेत कई दंगा पीड़ितों ने दाखिल की थीं याचिकाएं
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, ये सभी याचिकाएं राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) और 'सिटीजन फॉर जस्टिस एंड पीस' नामक एक NGO और दंगा पीड़ितों द्वारा दाखिल की गई थीं और इनमें CBI जांच का अनुरोध किया गया था।
याचिकाओं को खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश (CJI) यूयू ललित की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि मुख्य याचिका में जांच को CBI को सौंपने का अनुरोध किया गया था जिससे हाई कोर्ट पहले ही इनकार कर चुका है।
सुनवाई
नौ में से आठ मुकदमों में आए फैसले- कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इन मुद्दों पर विचार करने के बाद उसने दंगों से संबंधित मामलों की जांच के लिए एक विशेष जांच दल (SIT) का गठन किया था। कोर्ट के अनुसार, इस SIT को नौ बड़े मुकदमे सौंपे गए जिसने से आठ में फैसले आ चुके हैं और केवल नरोदा ग्राम से संंबंधित मुकदमा बचा है जिसकी सुनवाई अंतिम चरण में है।
SIT की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने कोर्ट को ये सूचना दी।
फैसला
कोर्ट ने कहा- याचिकाकर्ताओं के वकीलों ने खुद माना बेमतलब हुईं सारी याचिकाएं
सुप्रीम कोर्ट ने आगे कहा कि याचिकाकर्ताओं के वकीलों ने खुद माना है कि ये सारी याचिकाएं अब बेमतलब हो चुकी हैं, इसलिए इस कोर्ट का मानना है कि उसे इन याचिकाओं पर और विचार करने की जरूरत नहीं है और इन्हें बेमतलब होने के कारण खारिज किया जाता है।
कोर्ट ने नरोदा ग्राम मामले को कानून मुताबिक निष्कर्ष तक पहुंचाने का निर्देश भी दिया और SIT से इसके लिए उचित दिशा में कदम उठाने को कहा।
तीस्ता सीतलवाड़
फैसले का तीस्ता सीतलवाड़ की जमानत के केस पर नहीं पड़ेगा असर
बेंच ने समाजसेवी तीस्ता सीतलवाड़ की जमानत के केस को अपने फैसले से अलग रखा है।
उसने कहा कि सीतलवाड़ संबंधित संस्था के सामने उचित याचिका डालने के लिए स्वतंत्र हैं और ऐसी याचिका मिलने पर संबंधित संस्था को कानून मुताबिक इस पर फैसला लेना होगा।
बता दें कि झूठे सबूत तैयार करने और निर्दोष लोगों को फंसाने के आरोप में जून में सीतलवाड़ को गिरफ्तार किया गया था और आज सुप्रीम कोर्ट में ही उनकी जमानत पर सुनवाई होगी।
गुजरात दंगे
देश के सबसे भीषण दंगों में शामिल हैं गुजरात दंगे
देश के सबसे भीषण दंगों में शामिल गुजरात दंगों की चिंगारी गोधरा में 27 फरवरी, 2002 को साबरमती ट्रेन के डिब्बों में आग लगने से भड़की थी। इस आग में अयोध्या से कारसेवा करके लौट रहे 59 हिंदू मारे गए थे।
घटना के बाद अहमदाबाद और उसके आसपास के इलाकों में मुस्लिम विरोधी हिंसा भड़क गई थी। ये दंगे दो-तीन दिन तक चले थे और इनमें 1,000 से अधिक लोग मारे गए थे। मरने वालों में अधिकांश मुस्लिम थे।