दिल्ली की हवा में सांस लेना रोजाना 15 सिगरेट पीने जितना खतरनाक, जानें क्या-क्या खतरा
दिल्ली और इसके आसपास के इलाकों की हवा वर्षों से लगातार खराब हो रही है। सर्दियों में यह और खराब हो जाती है क्योंकि ठंडा मौसम प्रदूषण और धुएं को फंसा लेता है, जिससे शहर धुंध की मोटी परत में ढक जाता है। हालात यह है कि डॉक्टर यहां सांस लेने को एक दिन में कई सिगरेट पीने के बराबर बता रहे हैं। इससे सिगरेट न पीने वाले लोग भी सांस से संबंधित समस्याओं से घिरने लगे हैं।
क्या कहते हैं आंकड़े?
AQI वेबसाइट के अनुसार, दिल्ली में सोमवार सुबह PM2.5 का स्तर 323 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर था, वहीं नोएडा में इसका स्तर 277 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर था। विशेषज्ञों के मुताबिक, 22 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर PM2.5 एक सिगरेट के बराबर होता है। इस हिसाब से दिल्ली के लोग रोजाना 15 और नोएडा के लोग रोजाना 12 सिगरेट फूंक रहे हैं, यानि इतनी प्रदूषित हवा ले रहे हैं।
2 सालों में PM2.5 के औसत स्तर में 54 प्रतिशत की वृद्धि
अक्टूबर, 2021 में राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में PM 2.5 का औसत स्तर 74 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर था। पिछले 2 वर्षों में यह बढ़कर 113.9 पहुंच गया है। स्पष्ट है कि 2 सालों में इसमें लगभग 54 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। खासकर इस साल अक्टूबर में इसका स्तर केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की सुरक्षित सीमा 30 के मुकाबले 3 गुना और विश्व स्वास्थ्य संगठन की सुरक्षित सीमा 15 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर से 7.5 गुना अधिक रहा।
डॉक्टर ने कहा- लोगों में बढ़ रहीं स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएं
लोक नायक अस्पताल के चिकित्सा निदेशक सुरेश कुमार ने समाचार एजेंसी ANI से बात करते हुए कहा, "पिछले कुछ दिनों में वायु गुणवत्ता काफी खराब हुई है। लोग सांस फूलने, गले में खराश, घबराहट, खांसी, आंखों में जलन और बेचैनी की शिकायत कर रहे हैं। हमारे पास आपातकालीन विभाग में रोजाना 25-30 मरीज आ रहे हैं।" उन्होंने कहा, "हमें मास्क जरूर लगाना चाहिए, जिससे हमारे वायुमार्गों का बचाव किया जा सके। इस समय खास ख्याल रखने की आवश्यकता है।"
प्रदूषण के कारण क्या-क्या समस्याएं हो सकती हैं?
बढ़ते प्रदूषण के कारण संक्रमण, अस्थमा और फेफड़ों की बीमारी COPD से जूझ रहे मरीजों में अधिक शिकायतें देखने को मिल रही हैं। प्रदूषण के कारण हृदय से संबंधित बीमारियां और फेफड़ों का कैंसर भी हो सकता है। प्रदूषण का प्रभाव गर्भ में पल रहे बच्चे पर भी पड़ सकता है। इसके अलावा कई अध्ययनों में सामने आया है कि प्रदूषित हवा तनाव बढ़ाने के साथ डिमेंशिया-अल्जाइमर रोग और अवसाद के जोखिमों को भी बढ़ावा दे रही है।
दिल्ली में हवा इतनी खराब क्यों है?
दिल्ली-NCR में वायु प्रदूषण बढ़ने के कई कारण हैं। दिल्ली की हवा तब सबसे अधिक खराब होती है जब पड़ोसी राज्यों, पंजाब और हरियाणा, में किसान फसल कटाई के बाद सर्दियों के महीनों में अपने खेतों में पराली जलाते हैं। वाहनों से उत्सर्जित प्रदूषण, निर्माण कार्य और बिजली पैदा करने के लिए कोयले पर निर्भरता इसके अन्य कारण हैं। इसके अलावा कचरा और अन्य चीजें जलाने से कई वायु प्रदूषक निकलते हैं, जो हवा को और जहरीला बनाते हैं।
प्रदूषण पर काबू पाने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे?
वायु प्रदूषण की गंभीर स्थिति को देखते हुए दिल्ली-NCR क्षेत्र में ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (GRAP) का चौथा चरण लागू किया गया है। इसके तहत दिल्ली में गैर-जरूरी ट्रकों की आवाजाही पर प्रतिबंध, गैर-जरूरी निर्माण कार्य पर रोक और सरकारी और निजी कार्यालयों में 50 प्रतिशत कर्मचारियों की उपस्थिति जैसी पाबंदियां लगी हैं। BS3 पेट्रोल और BS4 डीजल वाहनों पर भी शहर में प्रतिबंध है। इसके अलावा कूड़ा जलाने पर प्रतिबंध जैसी पुराने चरणों की पाबंदियां भी लागू रहेंगी।
न्यूजबाइट्स प्लस
वायु प्रदूषण समस्या के जवाब में भारत की केंद्र सरकार ने 2019 में राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (NCAP) शुरू किया था। इसका लक्ष्य 2017 को आधार वर्ष मानते हुए PM के स्तर को 20 प्रतिशत से 30 प्रतिशत तक कम करने का 'अनुमानित राष्ट्रीय लक्ष्य' रखा गया है। यह कार्यक्रम भारत के लगभग 132 शहरों को लक्षित करती है और इसके तहत 2024 तक प्रदूषण को कम करने का लक्ष्य है।