हाइड्रोजन फ्यूल से 3,500 फीट की ऊंचाई तक उड़ा 40-सीटर विमान, 15 मिनट बाद सुरक्षित लैंडिंग
हवा में उड़ते विमान एक तरफ परिवहन को आसान तो बनाते हैं, लेकिन ये वायुमंडल को प्रदूषित भी करते हैं। वायु प्रदूषण को रोकने के लिए विश्वभर में पेट्रोल-डीजल वाहनों को इलेक्ट्रिक वाहन और हाइड्रोजन कार से बदला जा रहा है। कंपनियां हाइड्रोजन वाले विमानों पर काम कर रही हैं क्योंकि इसे जीरो-एमिशन फ्यूल माना जाता है। अब यूनिवर्सल हाइड्रोजन ने घोषणा की है कि उसने फ्यूल-सेल हाइड्रोजन ईंजन से डैश-8 कम्यूटर विमान को उड़ाने में सफलता पाई है।
40-सीटर था डैश-8 विमान
यूनिवर्सल हाइड्रोजन ने बताया कि उसने 40-सीटर डैश-8 विमान को पूरे 15 मिनट तक उड़ाकर परीक्षण पूरा किया है। कंपनी ने उड़ान को "ऐतिहासिक" बताया और कहा कि यह "उत्तरी अमेरिका की पहली जीरो-एमिशन एयरलाइन होने के लिए प्रतिबद्ध है।" विमान के साथ मैग्नीएक्स द्वारा निर्मित प्लग पावर और इलेक्ट्रिक मोटर से फ्यूल सेल के साथ बिजली संयंत्र भी ले जाया गया। इसे विमान के बाईं ओर स्थापित किया गया था।
हाइड्रोजन से चलाने के लिए डैश-8 को किया गया मॉडिफाइड
विमान की उड़ान की सुरक्षा के लिए इनमें एक स्टैंडर्ड प्रैट एंड व्हिटनी टर्बोप्रॉप इंजन को फिट किया गया था। इसने अपने स्वयं के मॉड्यूल के माध्यम से जुड़े उत्सर्जन-मुक्त ग्रीन हाइड्रोजन वाले इंजनों को आपूर्ति की, जो अत्यधिक वाष्पशील गैस को 100 घंटे तक तरल रूप में रखते हैं। डैश-8 को हाइड्रोजन फ्यूल से चलाने के लिए काफी मॉडिफाइड किया गया है। इसके टर्बाइन इंजन को मुख्य रूप से टेकऑफ के लिए इस्तेमाल किया गया था।
हाइड्रोजन फ्यूल के पावर पर क्रूज करने में सक्षम थे पायलट
विमान के पायलट इसे हाइड्रोजन फ्यूल के पावर पर भी क्रूज करने में सक्षम थे। मुख्य पायलट और पूर्व अमेरिकी वायुसेना परीक्षण पायलट एलेक्स क्रोल ने कहा कि पावर कम-ज्यादा होने के कारण इंजन कुछ झटके ले रहा था, लेकिन विमान ने इसे बहुत ही बेहतर तरीके से संभाला। उन्होंने यह भी कहा कि पारंपरिक टर्बाइन इंजन की तुलना में फ्यूल सेल पावरट्रेन से शोर और कंपन काफी कम है।
जीरोएविया ने हाइड्रोजन से उड़ाया था 19-सीटर विमान
पायलट इस विमान को 3,500 फीट की ऊंचाई तक सफलतापूर्वक ले गए और सुरक्षित लैंडिंग कराने में भी सफल रहे। कंपनी को कुछ हफ्ते पहले ही उड़ाने के लिए FAA की मंजूरी मिली थी। इससे पहले ब्रिटिश-अमेरिकी फर्म जीरोएविया ने भी इस साल की शुरुआत में अपने ट्विन-इंजन वाले डॉर्नियर 228 विमान पर इसी तकनीक के साथ उड़ान भरी थी। हालांकि, वो विमान 19-सीटर था।
एयरबस और रोल्स-रॉयस भी हाइड्रोजन विमान पर कर रहे हैं काम
एक अन्य दिग्गज विमान कंपनी एयरबस ने भी हाल ही में घोषणा की थी कि वह ऐसे फ्यूल सेल का निर्माण कर रही है, जो 100 सीटों वाले विमान को लगभग 1,800 किलोमीटर तक की पावर प्रदान कर सकता है। रोल्स-रॉयस ने भी हाल ही में सीधे हाइड्रोजन फ्यूल पर चलने वाले जेट इंजन का परीक्षण पूरा किया है। हालांकि, हाइड्रोजन फ्यूल से विमान को उड़ाने के लिए कई संभावित समस्याएं अभी भी बनी हुई हैं।
हाइड्रोजन फ्यूल को स्टोर करने के लिए होती है बड़ी जगह की आवश्यकता
हाइड्रोजन बहुत कम ऊर्जा घनत्व रखता है। इसलिये इसे पर्याप्त मात्रा में स्टोर करने के लिये बड़ी जगह की आवश्यकता है। इसलिए अभी हाइड्रोजन को कम दूरी वाले विमानों के लिए बेहतर माना जा रहा है।