दिल्ली-NCR के 32 प्रतिशत परिवार दिवाली पर पटाखे फोड़ने को तैयार, सर्वे में खुलासा
क्या है खबर?
दिल्ली में वायु प्रदूषण के स्तर को देखते हुए दिल्ली सरकार ने दिवाली के अवसर पर पटाखों के इस्तेमाम पर पूर्णँ प्रतिबंध लगा रखा है।
इसके बावजूद एक सर्वे में सामने आया है कि दिल्ली-NCR में करीब 32 प्रतिशत परिवार दिवाली पर पटाखे फोड़ने की योजना बना रहे हैं।
हालांकि, 42 प्रतिशत परिवारों ने बढ़ते प्रदूषण को लेकर चिंता व्यक्त की और पटाखे न फोड़ने की बात कही।
आइए जानते हैं कि सर्वे में क्या-क्या सामने आया।
सर्वे
दिल्ली-NCR के 9,000 लोगों पर किया गया सर्वे
लोकल सर्किल्स प्लेटफॉर्म ने दिल्ली, नोएडा, गाजियाबाद, गुरुग्राम और फरीदाबाद में 9,000 लोगों पर ये सर्वे किया है।
इस सर्वे के मुताबिक, लोगों का मानना है कि पड़ोसी राज्यों में जलाई जा रही पराली के कारण ही नवंबर की शुरुआत में दिल्ली-NCR में प्रदूषण बढ़ रहा है।
रिपोर्ट के अनुसार, हरियाणा और उत्तर प्रदेश जैसे पड़ोसी राज्यों में पटाखों की बिक्री पर रोक नहीं है और पिछले कुछ सालों से दिल्ली के लोग इन राज्यों से पटाखे खरीद रहे हैं।
रिपोर्ट
सर्वे में और क्या है?
सर्वे के मुताबिक, मौजूदा स्थिति प्रशासन के लिए चुनौतीपूर्ण बन चुकी है, ऐसे में पटाखों पर प्रतिबंध को सख्ती से लागू करने और जागरूकता अभियान का विस्तार करने पर जोर दिया जा रहा है।
सर्वे में कहा गया है कि पिछले साल के आंकड़ों को देखें तो दिवाली के अगले दिन वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) के स्तर में उसके पूर्ववर्ती दिन के मुकाबले 100 से 300 अंकों तक का उछाल देखने को मिला था।
प्रदूषण
दिल्ली में पिछले 4 दिनों से AQI 'गंभीर' श्रेणी में
बता दें कि दिल्ली में पिछले 4 दिनों से AQI 450 अंक से ऊपर 'गंभीर' श्रेणी में बना हुआ है।
केंद्रीय प्रदूषण बोर्ड (CPCB) के अनुसार, सोमवार सुबह आरके पुरम में 464, रोहिणी में 478, बवाना में 478, द्वारका सेक्टर 8 में 461, ITO में 401, जहांगीरपुरी में 475, मुंडका में 466 AQI दर्ज किया गया।
इतने अधिक स्तर पर प्रदूषण गंभीर बीमारियों का कारण बन सकता है।
दिवाली के आसपास प्रदूषण और बढ़ने की आशंका है।
कारण
दिल्ली में क्यों बढ़ रहा प्रदूषण?
दिल्ली में वायु प्रदूषण के प्रमुख कारणों में पड़ोसी राज्यों में पराली जलाया जाना, निर्माण कार्य, वाहनों से निकलने वाला धुआं, दिवाली पर पटाखों का इस्तेमाल और सर्दियों में तापमान कम होने के कारण प्रदूषण कणों का जमना आदि शामिल हैं।
इसमें वाहनों से निकलने वाले धुएं का सबसे ज्यादा योगदान है। IITM पुणे के सर्वे के अनुसार, दिल्ली में 40 प्रतिशत प्रदूषण अकेले परिवहन क्षेत्र के कारण होता है।