क्या है एथिलीन ग्लाइकोल, जिसके कारण उज्बेकिस्तान में हुई बच्चों की मौत?
क्या है खबर?
उज्बेकिस्तान में भारत में बने एक सिरप को पीकर 18 बच्चों की मौत का मामला सामने आया है।
देश के स्वास्थ्य मंत्रालय ने दावा किया है कि नोएडा की मरिओन बायोटेक प्राइवेट लिमिटेड द्वारा निर्मित इस सिरप में एथिलीन ग्लाइकोल नामक खतरनाक रसायन मिला है।
यह वही घातक रसायन है जिसे गांबिया में बच्चों की मौत का जिम्मेदार माना गया था।
आइए जानते हैं कि एथिलीन ग्लाइकोल क्या है और यह खतरनाक क्यों है।
रसायन
क्या है एथिलीन ग्लाइकोल और इसका कहां-कहां इस्तेमाल होता है?
एथिलीन ग्लाइकोल एक रंगहीन और गंधहीन अल्कोहलिक यौगिक है जिसका स्वाद मीठा होता है। यह कमरे के तापमान पर सिरप की तरह गाढ़ा और चिपचिपा तरल पदार्थ रहता है।
रोग नियंत्रण केंद्र (CDC) के अनुसार, यह हाइड्रॉलिक ब्रेक फ्लूड, स्टैंप पैड इंक, बॉलपॉइंट पेन, सॉल्वैंट्स, पेंट्स, कॉस्मेटिक्स और प्लास्टिक जैसे कई उत्पादों में भी पाया जाता है।
एथिलीन ग्लाइकोल का पॉलिस्टर फाइबर के निर्माण के लिए कच्चे माल के रूप में भी उपयोग होता है।
मिलावट
सिरप में अवैध रूप से मिलाया जाता है एथिलीन ग्लाइकोल
डायथिलीन ग्लाइकोल और एथिलीन ग्लाइकोल की तरल दवाओं (सिरप) में सॉल्वैंट्स के रूप में अवैध रूप से मिलावट की जाती है।
बतौर रिपोर्ट्स, कई फार्मास्युटिकल कंपनियां अपनी लागत बचाने के लिए तरल दवाओं में ग्लिसरीन या प्रोपलीन जैसे सॉल्वैंट्स के विकल्प के रूप में डायथिलीन ग्लाइकोल और एथिलीन ग्लाइकोल का इस्तेमाल करती हैं।
इनका सेवन सेहत के लिए काफी हानिकारक और घातक साबित हो सकता है।
जानकारी
एथिलीन ग्लाइकोल के सेवन से क्या-क्या हो सकता है?
CDC के मुताबिक, एथिलीन ग्लाइकोल के सेवन के बाद उल्टी, अवसाद, पेट दर्द, दस्त, पेशाब करने में परेशानी, सिरदर्द और बेहोशी जैसी कई परेशानियां हो सकती हैं। अधिक मात्रा में लिए जाने पर व्यक्ति की कोमा में जाने के बाद मौत तक हो सकती है।
चेतावनी
WHO भी एथिलीन ग्लाइकोल को लेकर जारी कर चुका है चेतावनी
सितंबर और अक्टूबर में अफ्रीकी देश गांबिया में भी भारतीय सिरप के सेवन के बाद करीब 70 बच्चों की मौत होने का मामला सामने आया था।
इसके बाद विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने भारतीय कंपनी की बनाई चार दवाओं को लेकर अलर्ट जारी किया था।
WHO ने कहा था कि डायथिलीन ग्लाइकोल और एथिलीन ग्लाइकोल बच्चों में गंभीर बीमारी और मौत तक की वजह बन सकता है।
अन्य मामले
भारत में भी हो चुकी हैं ऐसी मौतें
भारत में भी खराब दवा लेने से बच्चों की मौत के मामले सामने आ चुके हैं। 2020 में जम्मू-कश्मीर में डायथिलीन ग्लाइकोल से युक्त खांसी की दवा लेने से 17 बच्चों की मौत हुई थी।
एक और मामले में पिछले साल दिल्ली में डेक्स्ट्रोमेथोर्फन से युक्त खांसी की दवा लेने से तीन बच्चों की मौत हुई थी। WHO ने जिन चार दवाओं पर अब रोक लगाई है, उनमें से एक में डेक्स्ट्रोमेथोर्फन मिला हुआ है।