
#NewsBytesExplainer: 4 दिन के कार्य सप्ताह से कंपनियों और कर्मचारियों पर क्या असर पड़ता है?
क्या है खबर?
यूनाइटेड किंगडम (UK) में करीब एक साल पहले हफ्ते में 4 कार्यदिवस का दुनिया का सबसे बड़ा परीक्षण हुआ था। अब इसके नतीजे सामने आ गए हैं।
नतीजों के अनुसार, जिन कंपनियों ने अपने कर्मचारियों को सप्ताह में कम दिन तक काम करने की अनुमति दी थी, उनमें से अधिकांश ने सप्ताह में 4 कार्यदिवस की नीति को स्थायी बना दिया है।
आइए विस्तार से जानते हैं कि यह परीक्षण क्या था और इससे क्या बदलाव आए।
परीक्षण
क्या था 4 दिवसीय कार्य सप्ताह परीक्षण?
एक गैर-लाभकारी थिंक टैक ऑटोमॉनी ने '4 डे वीक ग्लोबल और 4 डे वीक UK कैंपेन' के साथ-साथ कैम्ब्रिज, ऑक्सफोर्ड और बोस्टन कॉलेज के शोधकर्ताओं के सहयोग से यह परीक्षण किया।
इसमें 61 कंपनियों के कर्मचारियों ने जून से दिसंबर, 2022 तक इन कर्मचारियों ने 6 महीने के लिए समान वेतन पर पर अपने सामान्य घंटों में अपना शत प्रतिशत देने का वादा किया था।
इन सभी ने एक कार्य सप्ताह में औसतन करीब 31.6 घंटे काम किया।
प्रभाव
परीक्षण का कर्मचारियों पर दिखा सकारात्मक प्रभाव
निष्कर्ष के अनुसार, हफ्ते में 4 कार्यदिवस से कर्मचारियों और कंपनियों को काफी फायदा हुआ।
कर्मचारियों ने परीक्षण के बाद शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार, काम से संबंधित थकान में कमी, बेहतर कार्य-जीवन संतुलन और आत्मिक संतुष्टि में वृद्धि की सूचना दी। ये लाभ एक साल बाद भी जारी रहे।
बोस्टन कॉलेज में समाजशास्त्र के प्रोफेसर जूलियट शोर ने कहा कि इस परीक्षण का निष्कर्ष अल्पकालिक प्रभावों के कारण नहीं हैं, बल्कि यह प्रभाव वास्तविक और दूरगामी है।
नीति
51 प्रतिशत कंपनियों ने कम कार्यदिवस की नीति को अपनाया
रिपोर्ट में कहा गया है कि परीक्षण में शामिल कम से कम 54 (89 प्रतिशत) कंपनियां एक साल बाद भी इस नीति पर चल रही हैं, जबकि 31 (51 प्रतिशत) ने इसे स्थायी बना दिया है।
सर्वेक्षण में पाया गया कि आधी से अधिक (55 प्रतिशत) कंपनियों और उनके मुख्य कार्यकारी अधिकारियों (CEO) ने कहा कि उनके संगठन को 4 दिवसीय सप्ताह से लाभ हुआ है।
इसकी सफलता के कारण कई कंपनियां कम कार्यदिवस की नीति को अपना रही है।
कंपनियां
कम कार्यदिवस की नीति से उत्पादकता में आया सुधार
इस परीक्षण में शामिल कंपनियों ने पाया कि उसके कर्मचारी कम कार्यदिवस में 100 प्रतिशत काम करते हैं। 82 प्रतिशत कंपनियों ने कहा कि इसका कर्मचारियों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा।
कंपनियों ने पाया कि कर्मचारियों पर 50 प्रतिशत बोझ कम हो गया है और 32 प्रतिशत ने कहा कि इससे नौकरी की भर्ती में सुधार हुआ है।
इसके अलावा 46 प्रतिशत कंपनियों ने संकेत दिया कि उनके कामकाज के माहौल और उत्पादकता में सुधार हुआ है।
मांग
दुनिया भर में बढ़ रही है छोटे कार्यसप्ताह की मांग
दुनियाभर में छोटे कार्य सप्ताह की मांग बढ़ रही हैं। कोरोना वायरस महामारी के बाद लाखों कर्मचारियों ने नौकरी छोड़ दी और फिर नौकरी पर नहीं लौटे हैं।
इससे पहले 4 दिवसीय कार्य सप्ताह के साथ कई परीक्षण आयोजित किए गए। ऐसा एक अध्ययन 2022 में हुआ था, जिसमें 33 कंपनियां शामिल थीं, जिनके अधिकांश कर्मचारी अमेरिका और आयरलैंड के थे।
इसी साल स्कॉटिश सरकार ने कुछ सार्वजनिक सेवाओं में 4 दिवसीय कार्य सप्ताह का परीक्षण शुरू किया है।
काम
भारत सबसे अधिक काम करने वाले देशों में से एक
वर्तमान में भारत के श्रम कानून के अनुसार, कर्मचारियों को प्रतिदिन 8 घंटे काम करने की अनुमति है और यहां साप्ताहिक कार्य घंटों की सीमा 48 है।
वैश्विक डाटा से पता चलता है कि भारत सबसे अधिक काम करने वाले देशों में से एक है। दिलचस्प बात ये है कि संयुक्त अरब अमीरात (UAE) में 52.6 घंटे का सबसे लंबा कार्य सप्ताह होता है।
इसके बाद गाम्बिया में औसतन 50.8 घंटे और भूटान में 50.7 घंटे काम किया जाता है।
विदेश
इन देशों में भारत से कम हैं कार्य सप्ताह के घंटे
दुनियाभर में अधिकांश कार्यस्थलों में 40 घंटे काम करना अनिवार्य है, लेकिन हमेशा ऐसा नहीं होता था। 19वीं सदी में 40 घंटे के कार्य सप्ताह की शुरुआत हुई थी और 1940 में यह अमेरिका में कानून बन गया।
वर्तमान में अमेरिका में कर्मचारी एक सप्ताह में औसतन लगभग 36.4 घंटे सप्ताह काम करते हैं। इसी तरह दक्षिण कोरिया औसतन 37.9 घंटे, चीन 46.1 घंटे और रूस 37.8 घंटे कर्मचारी एक सप्ताह में काम करते हैं।