#NewsBytesExplainer: कनाडा ने स्थगित किया भारत के साथ प्रस्तावित समझौता, क्यों बिगड़े दोनों देशों के रिश्ते?
क्या है खबर?
भारत-कनाडा के बीच संबंध तनावपूर्ण दौर से गुजर रहे हैं। कनाडा ने अब भारत के साथ प्रस्तावित मुक्त व्यापार समझौते (FTA) को स्थगित कर दिया है।
हाल ही में हुए G-20 शिखर सम्मेलन के दौरान भी भारत की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के बीच दूरी साफ नजर आई थी। खबर है कि खालिस्तान के मुद्दे पर लेकर दोनों देशों में बन नहीं रही है।
आइए समझते हैं कि संबंध खराब होने की वजह क्या है।
सम्मेलन
G-20 सम्मेलन के दौरान क्या हुआ था?
G-20 शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने करीब 15 नेताओं के साथ द्विपक्षीय बैठकें कीं। इसमें ट्रूडो का नाम शामिल नहीं था। इसके अलावा दोनों ही प्रधानमंत्रियों ने अपने सोशल मीडिया पर एक-दूसरे से मुलाकात की तस्वीरें शेयर नहीं की थीं।
स्वागत के दौरान भी दोनों नेता काफी असहज दिखाई दिए थे। सम्मेलन के दौरान राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की ओर से आयोजित रात्रिभोज में भी ट्रूडो ने शिरकत नहीं की थी।
विमान
ट्रूडो ने भारतीय विमान सेवा लेने से किया था इनकार
सम्मेलन खत्म होने वाले दिन ट्रूडो को वापस कनाडा लौटना था, लेकिन उनके विमान में तकनीकी खराबी आ गई थी।
तब भारत ने ट्रूडो को एयर इंडिया वन की सेवाएं देने की पेशकश की थी, जिसे ट्रूडो ने ठुकरा दिया था। वे 2 दिन तक भारत में ही रहे और जब तक विमान ठीक नहीं हो गया, तब तक होटल में ही रहे।
अंतत: 12 सितंबर को विमान ठीक हुआ और ट्रूडो ने इसी से देश वापसी की।
बैठक
मोदी-ट्रूडो की द्विपक्षीय बैठक में क्या हुआ?
बैठक में प्रधानमंत्री मोदी ने ट्रूडो के समक्ष अलगाववादी खालिस्तानी आंदोलन का मुद्दा उठाया था और इसे लेकर चिंता व्यक्त की थी।
इसके बाद खालिस्तान के मुद्दे पर ट्रूडो ने कहा था, "बीते कुछ सालों में मेरी प्रधानमंत्री मोदी से इस मुद्दे पर बात हुई है। हम हमेशा से अभिव्यक्ति की आजादी का समर्थन करते हैं। शांतिपूर्ण प्रदर्शन सभी का अधिकार है। हम हिंसा का विरोध करते हैं और किसी भी तरह की नफरत की भावना को दूर करेंगे।"
खालिस्तान
क्या दोनों देशों में तनाव की वजह खालिस्तान है?
ऐसा माना जा सकता है। कनाडा में हाल ही में भारत विरोधी और खालिस्तान के समर्थन की घटनाएं बढ़ी हैं।
कनाडा में इंदिरा गांधी हत्याकांड की झांकी निकाली गई, भारतीय दूतावास से तिरंगा उतारकर खालिस्तान का झंडा फहराया गया, हिंदू मंदिरों पर हमले किए गए, भारत विरोधी नारे लगाए गए और खालिस्तान को लेकर जनमत संग्रह भी करवाया गया।
भारत ने इन गतिविधियों पर कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा था कि कनाडाई सरकार नरम रुख अपना रही है।
व्यापार
दोनों देशों के बीच कैसा रहा है व्यापार?
भारत और कनाडा एक-दूसरे के साथ बड़े पैमाने पर व्यापार करते रहे हैं।
वित्त वर्ष 2023 में भारत ने कनाडा के साथ 678 अरब रुपये का व्यापार किया था। तब कनाडा भारत का 35वां सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार था।
इस दौरान भारत ने कनाडा को 341 अरब रुपये का निर्यात किया और 336 अरब रुपये का आयात किया। दोनों के बीच रसायन, कपड़ा, कीमती पत्थर, वाहन उपकरण, सब्जी, कागज, खनिज जैसे कई चीजों का आयात-निर्यात होता है।
संबंध
दोनों देशों के बीच कैसे रहे हैं संबंध?
1947 में आजादी के बाद से ही भारत के कनाडा के साथ राजनयिक संबंध हैं।
कनाडा के ओटावा में भारतीय उच्चायोग है और टोरंटो, वैंकूवर में महावाणिज्य दूतावास भी है।
इसी तरह दिल्ली में कनाडा का उच्चायोग है। चंडीगढ़, चेन्नई, मुंबई में कनाडा के महावाणिज्य दूतावास हैं।
दोनों के बीच मंत्रिस्तर पर विदेश नीति, व्यापार, निवेश, वित्त और ऊर्जा जैसे मुद्दों पर रणनीतिक साझेदारी है। इनके अलावा आतंकवाद, सुरक्षा, कृषि और शिक्षा जैसे मुद्दों पर कार्यसमितियां हैं।
सिख
खालिस्तान समर्थकों को लेकर क्या है ट्रूडो की मजबूरी?
कनाडा में भारतीय मूल के 24 लाख लोग हैं। इनमें से 7 लाख सिख हैं, जिन्हें ट्रूडो की पार्टी एक बड़े वोटबैंक के तौर पर देखती है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, 2016 में कनाडा की कुल आबादी में अल्पसंख्यक 22.3 प्रतिशत थे और 2036 तक कनाडा की कुल आबादी में अल्पसंख्यक 33 प्रतिशत हो जाएंगे।
यह भी एक बड़ा कारण है कि खालिस्तान समर्थकों पर कार्रवाई करके ट्रूडो सिख और अल्पसंख्यक वोटबैंक को नहीं खोना चाहते।