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#NewsBytesExplainer: डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ लगाने से अमेरिका या चीन में से किसे ज्यादा नुकसान होगा?  
डोनाल्ड ट्रंप ने चीन पर 104 प्रतिशत टैरिफ लगा दिया है

#NewsBytesExplainer: डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ लगाने से अमेरिका या चीन में से किसे ज्यादा नुकसान होगा?  

लेखन आबिद खान
Apr 09, 2025
07:42 pm

क्या है खबर?

अमेरिका ने चीन पर 104 प्रतिशत टैरिफ लगा दिया है। यानी अमेरिका में बिकने वाले चीनी सामानों की कीमत दोगुने से भी ज्यादा हो जाएगी।नए टैरिफ 9 अप्रैल से लागू भी हो गए हैं। अमेरिका के इस कदम पर चीन ने भी 84 प्रतिशत जवाबी टैरिफ लगा दिया है। चीन ने कहा कि वो अंत तक लड़ाई जारी रखेगा। आइए जानते हैं कि अमेरिका और चीन के बीच जारी इस व्यापार युद्ध का किस पर ज्यादा असर पड़ेगा।

टैरिफ

अमेरिका ने चीन पर कब-कब लगाया टैरिफ?

फरवरी में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीन पर 10 प्रतिशत टैरिफ लगाने का ऐलान किया। बाद में इसे 20 प्रतिशत कर दिया गया।था। 2 अप्रैल को ट्रंप ने चीन पर 34 प्रतिशत टैरिफ लगाया। इसके जवाब में चीन ने अमेरिका पर 34 प्रतिशत टैरिफ लगाया। इसके बाद ट्रंप ने चीन पर 50 प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ लगा दिया। इस तरह चीन पर कुल अमेरिकी टैरिफ 104 प्रतिशत हो गया। इसके जवाब में चीन ने टैरिफ बढ़ाकर 84 प्रतिशत कर दिया।

व्यापार

अमेरिका और चीन में कितना व्यापार होता है?

अनुमान है कि 2024 में चीन के साथ अमेरिका का कुल व्यापार 50 लाख करोड़ रुपये हो सकता है। इस दौरान अमेरिका से चीन को निर्यात 12 लाख करोड़ रुपये था, जो 2023 से 2.9 प्रतिशत कम है। वहीं, चीन से अमेरिका को निर्यात 37 लाख करोड़ रुपये था, जो 2023 के मुकाबले 2.8 प्रतिशत ज्यादा है। चीन के साथ अमेरिका का लगभग 25 लाख करोड़ रुपये का व्यापार घाटा है, जो अमेरिकी अर्थव्यवस्था का लगभग एक प्रतिशत है।

अमेरिका पर असर

अमेरिका को क्या नुकसान हो सकता है?

रणनीतिक आयात के अलावा अमेरिकी लोग चीन से काफी रोजमर्रा की वस्तुएं खरीदते हैं। इनमें कपड़े, जूते और दूसरे सामान शामिल हैं। टैरिफ के चलते इन वस्तुओं की पहले से ही कीमतें बढ़ चुकी हैं। आशंका है इससे घरेलू स्तर पर ट्रंप के खिलाफ विरोध और बढ़ेगा। ब्याज दरों को लेकर ट्रंप प्रशासन का फेडरल रिजर्व के साथ टकराव भी होने की संभावना है। ऐसे में लंबे समय के हिसाब से विश्लेषक इसे अमेरिका के लिए नुकसानदायक मान रहे हैं।

चीन पर असर

चीन पर क्या असर हो सकता है?

विश्लेषकों का मानना है कि चीन को कम से कम अल्पावधि में अमेरिका जितना जोखिम नहीं है। ट्रंप को अपने ही देश में विरोध का सामना करना पड़ रहा है, जबकि शी जिनपिंग के लिए ऐसे हालात नहीं है। जिनपिंग के सामने चुनावों में उतरने की चुनौती भी नहीं है। इसके अलावा चीन ने पहले से ही राजकोषीय और मौद्रिक उपायों के मिले-जुले एक प्रोत्साहन पैकेज को लागू कर रखा है। ऐसे में चीन के पास ज्यादा स्थिरता है।

चीन के कदम

टैरिफ से निपटने के लिए चीन क्या कदम उठा रहा है?

चीन ने 1.9 लाख करोड़ डॉलर का अतिरिक्त लोन उद्योगों को दिया है। इसका इस्तेमाल कारखानों के निर्माण और उन्हें आधुनिक बनाने में किया जाएगा। तकनीक के मामले में आगे निकलने के लिए चीनी कंपनी हुआवेई ने शंघाई में 35,000 इंजीनियरों के लिए एक रिसर्च सेंटर खोला है। ये गूगल के मुख्यालय से 10 गुना बड़ा है। चीन के पास अमेरिका के करीब 760 अरब डॉलर के सरकारी बॉन्ड हैं।

विशेषज्ञ

क्या कह रहे हैं विशेषज्ञ?

चेन्नई के आर्थिक विशेषज्ञ डी मुथुकृष्णन ने सोशल मीडिया प्‍लेटफॉर्म 'एक्‍स' पर लिखा, 'यह सुनने में भले ही अजीब लगे, लेकिन अमेरिका को चीन की जितनी जरूरत है, उससे ज्यादा चीन को अमेरिका की जरूरत नहीं है। अगर चीन को एक आंख का नुकसान होता है तो अमेरिका अपनी दोनों आंखें खो देगा।' उन्होंने बाकी देशों पर असर के बारे में कहा कि इससे दुनिया का एक बड़ा हिस्सा भी आंशिक रूप से अंधा हो जाएगा।