चीन ने भारत की ओर बढ़ाया हाथ, जताई साथ मिलकर काम करने की इच्छा
क्या है खबर?
अमेरिका की ओर से चीनी उत्पादों पर लगाए गए व्यापक टैरिफ के कारण दोनों देशों में बढ़े तनाव के बीच चीन ने भारत की ओर हाथ बढ़ाते हुए साथ मिलकर काम करने की इच्छा जताई है।
बीजिंग में चीन की संसद के वार्षिक सत्र के दौरान विदेश मंत्री वांग यी ने कहा कि चीन और भारत को ऐसे साझेदार बनना चाहिए जो एक-दूसरे की सफलता में योगदान दे सकें।
आइए जानते हैं उन्होंने क्या कुछ कहा।
बयान
कमतर आंकने की जगह करें एक-दूसरे का सहयोग- वांग
वांग ने कहा, "एक दूसरे को कमतर आंकने के बजाय एक दूसरे का समर्थन करना, एक दूसरे के खिलाफ सुरक्षा करने के बजाय एक दूसरे के साथ मिलकर काम करना, यही वह रास्ता है जो वास्तव में चीन और भारत और उनके लोगों के मौलिक हितों की रक्षा करता है।"
उन्होंने आगे कहा, "जब चीन और भारत हाथ मिलाएंगे, तो अंतरराष्ट्रीय संबंधों में अधिक लोकतंत्र और एक मजबूत वैश्विक दक्षिण की संभावनाएं काफी ज्यादा बढ़ जाएंगी।"
हित
"सहयोगात्मक साझेदारी ही एकमात्र रास्ता"
वांग ने जोर देकर कहा कि भारत और चीन के बीच सहयोगात्मक साझेदारी ही एकमात्र रास्ता है जो दोनों देशों के मौलिक हितों की पूर्ति करता है और आंतरिक संबंधों को नियंत्रित करने वाले बुनियादी मानदंडों की रक्षा करता है।
उन्होंने कहा, "चीन भारत के साथ मिलकर काम करने के लिए तैयार है ताकि पिछले अनुभवों को समेटा जा सके और चीन-भारत संबंधों को मजबूत और स्थिर विकास के रास्ते पर तेजी से आगे बढ़ाया जा सके।"
संबंध
भारत और चीन संबंधों में हुई सकारात्मक प्रगति- वांग
वांग ने आगे कहा, "भारत और चीन के बीच संबंधों में सकारात्मक प्रगति हुई है और पूर्वी लद्दाख में 4 साल से चल रहे सैन्य गतिरोध को हल करने के लिए पिछले साल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच सफल बैठक के बाद कई परिणाम हासिल हुए हैं।"
उन्होंने कहा, "प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति जिनपिंग ने अक्टूबर 2023 में कजान बैठक में द्विपक्षीय संबंधों में सुधार के लिए रणनीतिक मार्गदर्शन प्रदान किया।"
संबंध
"सीमा विवाद से परिभाषित न हों भारत-चीन संबंध"
वांग ने कहा, "निष्पक्ष और उचित समाधान होने तक दो प्राचीन सभ्यताओं के रूप में हमारे पास सीमा क्षेत्रों में शांति और सौहार्द बनाए रखने के लिए पर्याप्त ज्ञान और क्षमता है। हमें कभी भी द्विपक्षीय संबंधों को सीमा विवाद से परिभाषित नहीं होने देना चाहिए, या विशिष्ट मतभेदों को हमारे द्विपक्षीय संबंधों की समग्र तस्वीर को प्रभावित नहीं करने देना चाहिए।"
उन्होंने कहा कि इस साल भारत-चीन कूटनीतिक संबंधों की 75वीं वर्षगांठ है।
स्थिति
LAC पर अब क्या है स्थिति?
भारत और चीन ने लद्दाख में टकराव के आखिरी दो बिंदुओं देपसांग और डेमचोक से सैनिकों की वापसी के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद विघटन प्रक्रिया पूरी कर ली है। इससे सीमा पर तनाव में काफी कमी आई है।
पिछले महीने वांग ने दक्षिण अफ्रीका के जोहान्सबर्ग में G-20 विदेश मंत्रियों की बैठक में विदेश मंत्री एस जयशंकर से मुलाकात कर दोनों देशों के आपसी विश्वास की बहाली के प्रति इच्छा जाहिर की थी।
पृष्ठभूमि
अमेरिका के टैरिफ बढ़ाने से बढ़ा विवाद
वांग का यह बयान अमेरिका और चीन के बीच चल रहे टैरिफ युद्ध के दौरान आया है। यह एक ऐसी लड़ाई है जो अमेरिकी राष्ट्रपति के रूप में डोनाल्ड ट्रंप के पहले कार्यकाल की घटनाओं का परिणाम है।
ट्रम्प ने चीनी आयात पर टैरिफ को 10 से 20 प्रतिशत तक बढ़ाने के आदेश पर हस्ताक्षर किए हैं। इसके बाद चीन ने भी अमेरिकी कृषि और खाद्य उत्पादों पर 10 से 15 प्रतिशत टैरिफ बढ़ाने की घोषणा कर दी।