
#NewsBytesExplainer: अमेरिकी टैरिफ आज से होंगे लागू, भारत पर क्या होगा असर?
क्या है खबर?
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने आज यानी 2 अप्रैल से सभी देशों पर समान टैरिफ लागू करने का ऐलान किया है। ट्रंप ने इसे अमेरिका के लिए 'मुक्ति दिवस' कहा है।
व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरोलिन लेविट ने बताया कि ट्रंप अपने दूसरे कार्यकाल की पहली प्रेस कॉन्फ्रेंस में टैरिफ योजना का अनावरण करेंगे।
जिन देशों पर टैरिफ लागू होना है, उनमें भारत भी शामिल है।
आइए जानते हैं भारत पर इसका क्या असर हो सकता है।
वजह
सबसे पहले जानिए ट्रंप टैरिफ क्यों लगा रहे हैं?
व्हाइट हाउस ने बताया कि टैरिफ अमेरिकी व्यापारियों को न्याय दिलाने के लिए लागू किए जा रहे हैं।
लेविट ने कहा, "यह कदम अमेरिकी उत्पादकों के हित में उठाया जा रहा है, ताकि वे पूरी दुनिया में समान अवसर पा सकें। पारस्परिक टैरिफ योजना दशकों से हमारे देश को लूटने वाले अनुचित व्यापार व्यवहारों को वापस लेगी। टैरिफ अमेरिकी उद्योगों को अनुचित प्रतिस्पर्धा से बचाएंगे, सरकार के लिए धन जुटाएंगे और अन्य देशों से रियायतें मांगने का आधार प्रदान करेंगे।"
तरीका
कैसे लागू की जाएगी टैरिफ नीति?
टैरिफ को लेकर योजना अभी स्पष्ट नहीं है। माना जा रहा है कि टैरिफ दूसरे देशों द्वारा लगाए जाने वाले टैरिफ के साथ उनके मूल्य वर्द्धित करों और घरेलू कंपनियों को दी जाने वाली सब्सिडी को भी दर्शा सकते हैं।
अधिकारियों ने संकेत दिए हैं कि हर देश की टैरिफ दर मौजूदा व्यापार प्रथाओं के आधार पर निर्धारित की जाएगी।
ट्रंप के व्यापार और विनिर्माण के वरिष्ठ सलाहकार पीटर नवारो ने कहा कि टैरिफ की औसत दर 20 प्रतिशत होगी।
असर
लगभग सभी देशों पर होगा असर
ट्रंप ने कहा है कि जो देश अमेरिका पर जितना टैरिफ लगाते हैं, अमेरिका भी उन पर उतना ही टैरिफ लगाएगा।
हाल ही में ट्रंप ने कहा था, "हम सभी देशों से शुरुआत करेंगे, देखते हैं क्या होता है। प्रभावित देशों की संख्या पर कोई पूर्व निर्धारित सीमा नहीं है।"
हालांकि, अधिकारियों ने संकेत दिया है कि टैरिफ का पहला लक्ष्य उन देशों का समूह होगा, जिनका अमेरिका के साथ व्यापार घाटा है।
भारत
भारत पर क्या होगा असर?
भारत का अमेरिका को निर्यात 30 क्षेत्रों में होता है। इनमें से 6 कृषि क्षेत्र और 24 उद्योग क्षेत्र में हैं।
हर किसी को अलग-अलग टैरिफ का सामना करना पड़ सकता है, क्योंकि इसमें भारत और अमेरिका के बीच टैरिफ अंतर 10.90 प्रतिशत है।
आंकड़े बताते हैं कि 'फाइनल गुड्स' श्रेणी में भारत का अमेरिका के साथ करीब 2 लाख करोड़ रुपये का सबसे बड़ा व्यापार अधिशेष है। इस श्रेणी में सबसे बड़ा हिस्सा फार्मास्युटिकल और रत्न-आभूषणों का है।
भारत पर असर
टैरिफ की चपेट में कौन-कौनसे उद्योग आएंगे?
रिसर्च एंड इंफॉर्मेशन सिस्टम फॉर डेवलपिंग कंट्रीज (RIS) के मुताबिक, "नई व्यवस्था चुनिंदा उच्च मूल्य वाली वस्तुओं को प्रभावित कर सकती है, खासतौर पर फार्मास्यूटिकल्स, मत्स्य पालन और आभूषण को। अगर प्रतिबंध व्यापक दृष्टिकोण अपनाते हैं तो रासायनिक उत्पाद, वस्त्र और लकड़ी के गूदे जैसी वस्तुएं भी जांच के दायरे में आ सकती हैं।"
वहीं, परिधानों, अयस्कों, खनिजों और पेट्रोलियम जैसे क्षेत्रों में अतिरिक्त शुल्क नहीं लगेगा, क्योंकि अमेरिका पहले से ही ज्यादा टैरिफ लगा रहा है।
कदम
टैरिफ से निपटने के लिए क्या तैयारी कर रहा है भारत?
भारत अमेरिका के साथ एक व्यापार समझौते पर चर्चा कर रहा है। हाल ही में दक्षिण और मध्य एशिया के लिए अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि ब्रेंडन लिंच के नेतृत्व में एक अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल 5 दिवसीय भारत यात्रा पर आया था।
इससे पहले भारतीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने अमेरिका का दौरा किया था।
इस दौरान इस समझौते पर चर्चा हुई थी।
वहीं, भारत कथित तौर पर कई वस्तुओं पर टैरिफ कम कर सकता है।
व्यापार
भारत-अमेरिका के बीच कितना व्यापार होता है?
2023 में भारत-अमेरिका के बीच द्विपक्षीय व्यापार 10 लाख करोड़ रुपये का था। पिछले 10 सालों में अमेरिका के साथ भारत का माल व्यापार अधिशेष 1.40 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 3 लाख करोड़ रुपये हो गया है।
इस दौरान अमेरिका को भारत का निर्यात 3.38 लाख करोड़ रुपये से लगभग दोगुना होकर 6.71 लाख करोड़ रुपये हो गया है।
फिलहाल भारत सबसे ज्यादा माल अमेरिका को निर्यात करता है। कुल भारतीय निर्यात का 17.73 प्रतिशत अमेरिका को होता है।