#NewsBytesExplainer: अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में नरसंहार मामले की सुनवाई और इजरायल को दिए आदेश के क्या मायने?
क्या है खबर?
अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) ने दक्षिण अफ्रीका की ओर से गाजा में फिलिस्तीनी नागरिकों के जनसंहार के आरोप में दर्ज मुकदमे की सुनवाई की।
ICJ ने अपने आदेश में इजरायल से कहा है कि वह गाजा में फिलिस्तीनियों को हो रहे किसी भी तरह के नुकसान को तुरंत रोके और आवश्यक कदम उठाए। मामले में इजरायल को एक महीने के भीतर रिपोर्ट भी होगी।
आइए जानते हैं कि ICJ ने इजरायल से क्या कहा और इसके क्या मायने हैं।
अंतरराष्ट्रीय न्यायालय
ICJ में मामले की सुनवाई पर क्या हुआ?
ICJ ने दक्षिण अफ्रीका की ओर से दायर मुकदमे को रद्द करने के इजरायल के अनुरोध को स्पष्ट रूप से खारिज कर दिया।
प्रमुख न्यायाधीश जोन ई डोनोग्यू ने अपने आदेश कहा कि इजरायल को युद्ध में फिलिस्तीनी नागरिकों को मौत और गंभीर शारीरिक या मानसिक क्षति से बचाने के लिए हरसंभव कोशिश करनी चाहिए।
उन्होंने कहा इजरायल को युद्ध के बीच गाजा पट्टी में मानवीय त्रासदी को रोकने के लिए त्वरित और प्रभावी कदम उठाए जाने चाहिए।
आदेश
ICJ ने अपने आदेश में और क्या कहा?
ICJ के प्रमुख न्यायाधीश डोनोग्यू ने कहा कि इजरायल से कहा कि वह अपनी सेनाओं को नरसंहार के सभी कृत्यों को करने से रोके और नरसंहार के लिए सार्वजनिक तौर पर सेना को उकसाने का प्रयास करने वाले लोगों को दंडित करें।
उन्होंने कहा कि गाजा में तत्काल आवश्यक बुनियादी सेवाओं और मानवीय सहायता की अनुमति दी जानी चाहिए और कोर्ट का अंतिम निर्णय आने के पहले ही गाजा पट्टी में मानवीय स्थिति और खराब होने की आशंका है।
दक्षिण अफ्रीका के आरोप
दक्षिण अफ्रीका ने क्यों दर्ज कराया है मुकदमा?
ICJ में दक्षिण अफ्रीका ने इजरायल पर 1948 की नरसंहार संधि के तहत तय उसके दायित्वों का उल्लंघन करने का आरोप लगाया है। दक्षिण अफ्रीका और इजरायल दोनों ही देश इस संधि के हस्ताक्षरकर्ता हैं।
दक्षिण अफ्रीका ने ICJ में दायर अपने मुकदमे में कहा है कि इजरायल-हमास युद्ध में फिलिस्तीनी नागरिकों को शारीरिक और मानसिक रूप से गंभीर नुकसान पहुंचा रहा है।
उसका आरोप है कि इजरायल युद्ध का जिम्मेदार है और यह नरसंहार संधि का खुला उल्लंघन है।
कब तक होगी सुनवाई
कब तक आ सकता है फैसला?
ICJ ने दक्षिण अफ्रीका के इजरायल पर नरसंहार के आरोपों को स्वीकार किया है।
इसका मतलब है कि पहले चरण के तहत न्यायालय ने सुनवाई में इजरायल को युद्ध के दौरान आपातकालीन उपायों को लागू करने को कहा है।
न्यायालय ने माना है कि यह मामला उसके अधिकार क्षेत्र में आता है। इजरायल को नरसंहार का आरोपी साबित करने में अभी न्यायालय में लंबी सुनवाई चलेगी और अंतिम निर्णय आने में कई सालों का समय भी लग सकता है।
इजरायल का बयान
इजरायल ने जनसंहार के आरोपों पर क्या कहा?
ICJ में इजरायल खुद पर लगे जनसंहार के आरोपों को खारिज किया है। उसका कहना है कि युद्ध में फिलिस्तीनियों को जो नुकसान पहुंच रहा है, उसके लिए फिलीस्तीनी आतंकी समूह हमास जिम्मेदार है।
इजरायल का तर्क है कि हमास के आतंकी गाजा के घनी आबादी वाले कस्बों और शरणार्थी शिविरों को ढाल के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं और इजरायली सेना ने युद्ध के दौरान आम नागरिकों को बचाने का पूरा प्रयास किया।
आदेश के मा्यने
न्यायालय के आदेश के क्या हैं मायने?
इस आदेश को दक्षिण अफ्रीका या फिलिस्तीनियों की पूरी जीत नहीं माना जा सकता क्योंकि ICJ ने इजरायल को युद्धविराम करने या सैन्य अभियान रोकने का आदेश नहीं दिया है।
इसका मतलब है कि एक तरह से ICJ ने माना है कि हमास के हमले के बाद इजरायल को अपनी आत्मरक्षा का अधिकार है।
यही वजह है उसने तत्काल संघर्ष विराम को छोड़कर गाजा के जारी युद्ध में नागरिकों की सुरक्षा को लेकर आवश्यक कदम उठाने को कहा है।
ICJ के आदेश
क्या इजरायल आदश का करेगा पालन?
ICJ आदेश इजरायल के लिए बाध्य हैं, लेकिन न्यायालय के आदेशों को लागू कराने की कोई व्यवस्था नहीं है।
इसका मतलब है कि इजरायल गाजा युद्ध में आपातकालीन उपायों को लागू करने के आदेशों को नजरअंदाज भी कर सकता है। इससे पहले भी कई अन्य देश ऐसा कर चुके हैं।
साल 2022 में रूस ने यूक्रेन युद्ध में इसी तरह के ICJ के आदेशों का खुला उल्लंघन किया था और युद्ध में आम नागरिकों को नुकसान पहुंचाना जारी रखा।
प्लस
न्यूजबाइट्स प्लस
7 अक्टूबर, 2023 से इजरायल-हमास युद्ध जारी है। हमास के शुरुआती हमले में इजरायल में लगभग 1,140 लोगों की मौत हो गई थी। इसके बाद से इजरायली बल गाजा में लगातार हमले कर रहे हैं।
युद्ध में अब तक गाजा में 25,000 से अधिक लोग मारे गए हैं, जिनमें अधिकांश महिलाएं और बच्चे शामिल हैं।
गाजा पट्टी में अब भुखमरी के हालात बन गए हैं और युद्धविराम की कई कोशिशों के बाद भी 3 महीने से युद्ध जारी है।