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बांग्लादेश: सत्यजीत रे के आवास को लेकर दावा, तोड़े गए घर में रे कभी नहीं रहे
बांग्लादेश के अधिकारियों का कहना है कि तोड़ा गया घर सत्यजीत रे का नहीं है

बांग्लादेश: सत्यजीत रे के आवास को लेकर दावा, तोड़े गए घर में रे कभी नहीं रहे

लेखन गजेंद्र
Jul 17, 2025
11:15 am

क्या है खबर?

बांग्लादेश के मैमनसिंह में महान फिल्मकार और ऑस्कर विजेता सत्यजीत रे के पुश्तैनी मकान को तोड़ने को लेकर बांग्लादेश उच्चायोग ने सफाई दी है। उच्चायोग अधिकारी फैसल महमूद ने NDTV को बताया कि जिस घर को तोड़ा गया है उसमें रे कभी नहीं रहे और न ही उनके दादा उपेंद्र किशोर यहां रहे थे। उन्होंने बताया कि यह संरक्षित इमारत नहीं थी। हालांकि, पैतृक घर को गिराने का काम अभी रुका है और समिति पुर्नर्निमाण का विचार कर रही है।

बयान

बांग्लादेश उच्चायोग अधिकारी ने क्या कहा?

रिपोर्ट के मुताबिक, महमूद ने बताया कि रे के दादा उपेंद्र किशोर राय चौधरी पड़ोसी किशोरगंज जिले के कोटियाडी में रहते थे। उनका घर एक संरक्षित इमारत है और बांग्लादेश की विरासत सूची में 531 संरक्षित इमारतें हैं। उन्होंने बताया कि मैमनसिंह में स्थित घर उपेंद्र किशोर के पूर्वज का है और प्रशासन की चूक है कि इसे उस विरासत सूची में शामिल नहीं किया गया, इसलिए यह संरक्षित नहीं थी। उन्होंने कहा कि रे बांग्लादेश का गौरव हैं।

दावा

मैमनसिंह के अधिकारी ने भी इमारत गिराने का खंडन किया

इंडिया टुडे ने इस संबंध में मैमनसिंह के उपायुक्त मोफिदुल आलम के हवाले से बताया कि ध्वस्त किया जा रहा मकान का रे के परिवार से कोई संबंध नहीं है। उ्नहोंने कहा कि स्थानीय अधिकारियों ने विस्तृत सत्यापन, रिकॉर्ड की जांच और बुजुर्गों से बात कर यह निष्कर्ष निकाला कि रे यहां कभी नहीं रहे और न ही ये घर उनके पूर्वजों का था। उन्होंने बताया कि रे का पैतृक घर 'डुरलोव हाउस' है, जो पूरी तरह सुरक्षित है।

गलतफहमी

बांग्लादेश के अधिकारी ने गलतफहमी को बताई वजह

आलम ने बताया कि प्रशासन ने रे के पैतृक घर के वर्तमान मालिक से बात की है, जिन्होंने रे के परिवार से संपत्ति खरीदी थी। उनके पास इमारत के दस्तावेज भी हैं। उन्होंने बताया कि जिस इमारत को गिराया गया है वह असली पैतृक घर के बगल में बना मैमनसिंह शिशु अकादमी है, जिसे गलती से पैतृक घर बताया जा रहा है। उन्होंने आश्वासन दिया कि रे की पैतृक संपत्ति सुरक्षित रहेगी और भ्रम को गलतफहमी का कारण बताया।

विवाद

क्या है मामला?

बांग्लादेश की मीडिया ने कुछ दिन पहले खबर चलाई कि मैमनसिंह में रे के 100 साल पुराने पुश्तैनी घर को तोड़ा जा रहा है। यहां मैमनसिंह शिशु अकादमी की इमारत बनेगी। हालांकि, घर में पहले से अकादमी चल रही थी, लेकिन जर्जर होने के कारण यह 10 साल से बंद पड़ी थी। भारत सरकार ने खबर का संज्ञान लिया और इमारत को ध्वस्त न करने का अनुरोध करते हुए इसे संरक्षित और मरम्मत के लिए मदद की बात कही थी।