क्या है काबुल को दहलाने वाला ISIS-K और कैसे रहे हैं इसके तालिबान के साथ संबंध?
तालिबान के अफगानिस्तान पर कब्जा करने के बाद गुरुवार शाम को काबुल के हामिद करजई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के पास हुए दो बम धमाकों ने हालातों को और बिगाड़ दिया है। धमाकों में 13 अमेरिकी सैनिकों सहित करीब 103 लोगों की मौत हुई है और 150 से अधिक लोग घायल बताएं जा रहे हैं। इस्लामिक स्टेट खोरासन (ISIS-K) ने इस हमले की जिम्मेदारी ली है। ऐसे में यहां जानते हैं कि आखिर क्या है ISIS-K और क्या है इसका उद्देश्य।
हवाई अड्डे के गेट के बाहर हुए धमाके
गुरुवार को राजधानी काबुल में दो जोरदार धमाके हुए थे। पहला धमाका हामिद करजई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के एबी गेट और दूसरा धमाका गेट से थोड़ी दूर स्थित एक होटल के पास हुआ था। इसमें 13 अमेरिकी सैनिकों सहित 103 लोगों की मौत हो गई। हमले के बाद से हवाई अड्डे से उड़ानों का संचालन बंद कर दिया है। इसी बीच अमेरिका ने ISIS को चेतावनी दी है कि वह इसे नहीं भूलेगा और दोषियों को ढूंढकर सजा देगा।
अमेरिका और अफगान के मददगारों को बनाया निशाना- ISIS-K
इस हमले में मरने वालों में बच्चे, महिलाएं, आम नागरिक और अमेरिकी सैनिक शामिल हैं। धमाके में तालिबान के कुछ लड़ाके भी घायल हुए हैं। तालिबान ने भी इस हमले की निंदा की है। इधर, ISIS-K ने हमले की जिम्मेदारी लेते हुए कहा कि यह आत्मघाती हमला अमेरिका और अफगानिस्तान के मददगारों को निशाना बनाकर किया गया था। बता दें कि अमेरिकी सैनिकों पर साल 2011 के बाद से अफगानिस्तान में यह सबसे बड़ा हमला है।
आखिर क्या है हमले को अंजाम देने वाला ISIS-K?
NDTV के अनुसार, ISIS-K एक तरह से ISIS का ही हिस्सा है। 1999 में स्थापित ISIS को दुनिया ने 2014 के बाद से जाना था। 2015 में तालिबान के पाकिस्तानी सहयोगी के असंतुष्ट सदस्यों ने ISIS-K की स्थापना की। इसे तालिबान और अमेरिका का दुश्मन माना जाता है। खुरासान शब्द एक प्राचीन इलाके के नाम पर आधारित है, जिसमें कभी उज्बेकिस्तान, अफगानिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और ईराक का हिस्सा शामिल था। वर्तमान में यह अफगानिस्तान व सीरिया के बीच का हिस्सा है।
क्या है ISIS-K का मकसद?
अब बड़ा सवाल यह है कि ISIS-K मुख्य खुरासान क्या है। दरअसल, ISIS-K का मकसद एक अलग खुरासान राज्य की स्थापना करना है। इसके लिए उसने अपना अगल नक्शा भी तैयार कर रखा है। चौंकाने वाली बात यह है कि उसके नक्शे में भारत का गुजरात, राजस्थान, पंजाब, हरियाणा और जम्मू कश्मीर भी आता है। वहीं इसमें आधा चीन, पाकिस्तान, ईरान, तुर्कमेनिस्तान, उज्बेकिस्तान, कजाकिस्तान और किर्गिस्तान को भी शामिल किया गया है।
कैसे हुई ISIS-K और अमेरिका की दुश्मनी?
ISIS-K की अमेरिका से दुश्मनी उस समय शुरू हुई थी जब अमेरिका ने इसे तालिबान से बड़ा खतरा मानते हुए इस पर एयरस्ट्राइक शुरू की। इससे ISIS-K की ताकत कमजोर पड़ गई थी। 2016 तक ISIS-K में 1,500 से 2,000 आतंकवादी ही बचे थे। उस दौरान 13 अप्रैल, 2017 को अमेरिका ने इसके ठिकाने पर सबसे बड़ा गैर परमाणु बम गिरा दिया। इस हमले में ISIS-K के तीन दर्जन से अधिक आतंकी एक ही झटके में मारे गए थे।
अमेरिका के हमलों के बाद ISIS-K ने खुद को किया मजबूत
अमेरिका की हमलों के बाद भी ISIS-K ने हार नहीं मानी और धीरे-धीरे खुद को मजबूत करते हुए एक बड़े आतंकवादी संगठन में तब्दील कर दिया। साल 2020 में ISIS-K ने शिहाब अल-मुहाजिर को अपना नया लीडर घोषित कर अफगानिस्तान को दहलाना शुरू कर दिया।
ISIS-K ने किए हैं कई बड़े आतंकी हमले
ISIS-K अफगानिस्तान-पाकिस्तान में कुछ सबसे घातक हमलों के लिए जिम्मेदार रहा है। इसने दोनों देशों में मस्जिदों, धार्मिक स्थलों, सार्वजनिक चौकों और यहां तक कि अस्पतालों में लोगों को अपना निशाना बनाया है। इसने मई में काबुल में लड़कियों के एक स्कूल में बड़ा धमाका किया था। जिसमें 68 लोगों की मौत हुई थी और 165 घायल हुए थे। इस तरह जून में ब्रिटिश-अमेरिकी हालो (HALO) ट्रस्ट पर भी हमला किया था। जिसमें 10 लोगों की मौत हुई थी।
ISIS-K ने काबुल के अस्पताल को बनाया था निशाना
ISIS-K की ओर से पिछले साल काबुल के अस्पताल में किए गए हमले ने पूरी दुनिया को झंकझौर दिया था। आतंकियों ने काबुल के एक अस्पताल के प्रसूती वार्ड में अंधाधुंध फायरिंग की थी। इसमें 16 गर्भवती महिलाओं की मौत हो गई थी। यह संगठन आत्मघाती हमलों के लिए भी कुख्यात रहा है और अब तक इसके कई आतंकी खुद के शरीर पर बम लगाकर धमाका कर चुके हैं। इसके बाद भी यह किसी क्षेत्र पर कब्जा नहीं कर पाया।
तालिबान से कैसे रहे हैं ISIS-K के संबंध?
जैसा कि दोनों संगठन कट्टर सुन्नी विचारधाराओं वाले हैं, लेकिन इसके बाद भी दोनों के बीच हमेशा टकराव की स्थिति रही है। ये दोनों संगठन खुद को जिहाद का सच्चा हितैषी बताते हैं, लेकिन धर्म और रणनीति की बारीकियों पर इनमें कड़े मतभेद हैं। इन मतभेदों ने दोनों के बीच खूनी संघर्ष को जन्म दिया है। तालिबान 2019 के बाद बड़े पैमाने पर विजयी हुआ जब ISIS-K अपने क्षेत्र को सुरक्षित करने में विफल हो गया था।
तालिबान के अफगानिस्तान पर कब्जे के बाद ISIS ने क्या दी है प्रतिक्रिया?
अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे को लेकर ISIS की प्रतिक्रिया सही नहीं रही है। ISIS पिछले साल वाशिंगटन और तालिबान के बीच सौदे की अत्यधिक आलोचना कर रहा था, जिसके कारण समूह पर जिहादी कारणों को छोड़ने का आरोप लगाते हुए विदेशी सैनिकों को वापस लेने का समझौता हुआ। अफगानिस्तान पर कब्जे के बाद दुनियाभर के जिहादी समूहों ने तालिबान को बधाई दी है, लेकिन ISIS इससे बिल्कुल भी खुश नहीं है।