ओमिक्रॉन वेरिएंट से जूझ रहे देशों से बाकी दुनिया क्या सीख सकती है?
क्या है खबर?
दक्षिण अफ्रीका, ब्रिटेन और डेनमार्क में इन दिनों ओमिक्रॉन वेरिएंट के सबसे ज्यादा मामले सामने आ रहे हैं।
ब्रिटेन जहां वैक्सीनेशन के सहारे इससे पार पाने की कोशिश में हैं, वहीं डेनमार्क नए प्रतिबंध लागू करने पर विचार कर रहा है।
बीते करीब दो सालों से महामारी से जूझ रही दुनिया के लिए ओमिक्रॉन वेरिएंट नए झटके की तरह आया है।
आइये जानते हैं कि इन तीनों देशों से बाकी दुनिया क्या सीख ले सकती है।
कोरोना संकट
अब ओमिक्रॉन के प्रसार को रोकना बहुत मुश्किल
कई देशों ने ओमिक्रॉन का पता चलते ही यात्रा संबंधी प्रतिबंध लगाने शुरू कर दिए थे, लेकिन इसके बावजूद इस वेरिएंट का प्रसार नहीं रुका है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) कह चुका है कि यह मंगलवार तक 77 देशों में इसके मामले सामने आ चुके हैं।
संगठन के निदेशक ने कहा कि ओमिक्रॉन अधिकतर देशों में मौजूद हैं, भले ही यह पकड़ में न आया हो। यह बाकी वेरिएंट्स की तुलना में अधिक तेजी से फैल रहा है।
कोरोना संक्रमण
प्रमुख वेरिएंट बनने में नहीं लगेगी देर
ओमिक्रॉन की संक्रामकता को देखते हुए इसे प्रमुखता से फैलने वाला वेरिएंट बनने में देर नहीं लगेगी।
ब्रिटेन में 27 नवंबर को पहली बार ओमिक्रॉन के दो नए मामले सामने आए थे और बीते मंगलवार तक यह लंदन में डेल्टा वेरिएंट को पछाड़कर प्रमुखता से पैर पसारने वाला वेरिएंट बन गया।
ब्रिटेन में हर दो दिन में ओमिक्रॉन के मामले दोगुने हो रहे हैं और यहां इन दिनों रिकॉर्ड संख्या में लोग संक्रमित हो रहे हैं।
ओमिक्रॉन
लक्षणों की गंभीरता का अंदाजा लगाना अभी जल्दबाजी
कई आंकड़े दिखाते हैं कि ओमिक्रॉन डेल्टा जितना घातक नहीं है और इससे संक्रमित मरीजों में हल्के लक्षण नजर आ रहे हैं। हालांकि, सभी जानकार इस राय से सहमत नहीं हैं।
इंग्लैंड के प्रमुख मेडिकल अधिकारी क्रिस व्हीटी ने कहा कि बढते मामलों के कारण बड़ी संख्या में लोगों को अस्पताल के इलाज की जरूरत पड़ेगी और ओमिक्रॉन की घातकता का पता लगाने के लिए अभी और रियल-टाइम आंकड़ों की जरूरत है।
कोरोना संकट
केवल वैक्सीनेशन के सहारे ओमिक्रॉन नहीं रुक सकता
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि ओमिक्रॉन के प्रसार को रोकने के लिए मास्क पहनने, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने, हाथों की बार-बार सफाई और वेंटिलेशन जैसे कदमों पर जोर देना होगा और अकेले वैक्सीनेशन से इसका फैलना नहीं रुक सकता।
WHO ने भी मास्क पहनने और सोशल डिस्टेंसिंग जैसे कदमों पर ध्यान देने को कहा है।
कई अध्ययनों में पता चला है कि कोरोना के दूसरे वेरिएंट के खिलाफ प्रभावी साबित हुईं वैक्सीनें ओमिक्रॉन के खिलाफ कम असरदार हैं।
ओमिक्रॉन
बढ़ सकती है टेस्ट और वैक्सीन की मांग
ओमिक्रॉन वेरिएंट के मामले बढ़ने के साथ लोगों में वैक्सीन और टेस्टिंग की मांग बढ़ सकती है।
ब्रिटेन में बूस्टर शॉट की मांग बढ़ने के कारण राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा की वेबसाइट क्रैश हो गई थी। वहीं कई ऑनलाइन स्टोर पर टेस्ट किट्स की भी कमी पड़ गई।
डेनमार्क में संक्रमितों की संख्या में इजाफे के कारण टेस्टिंग व्यवस्था दबाव का सामना कर कर रही है। अन्य देशों में भी ऐसा देखने को मिल सकता है।
जानकारी
शायद लॉकडाउन की जरूरत न पड़े
ब्रिटेन, दक्षिण अफ्रीका और डेनमार्क समेत कई देशों में ओमिक्रॉन तेजी से पैर पसार रहा है, लेकिन अभी तक कहीं लॉकडाउन की जरूरत नहीं पड़ी है। ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने कहा कि लॉकडाउन की जगह सरकार लोगों से सतर्क रहने को कह रही है।
जानकारी
खतरनाक क्यों माना जा रहा ओमिक्रॉन वेरिएंट?
पहली बार दक्षिण अफ्रीका में पकड़ में आए ओमिक्रॉन वेरिएंट का वैज्ञानिक नाम B.1.1.529 है और इसकी स्पाइक प्रोटीन में 32 म्यूटेशन हैं।
विशेषज्ञों का कहना है यह वेरिएंट वायरस के अन्य वेरिएंट्स की तुलना में अधिक संक्रामक और खतरनाक हो सकता है। इसके वैक्सीनों को चकमा देने की आशंका भी लगाई जा रही है।
WHO ने इसे 'वेरिएंट ऑफ कंसर्न' करार दिया है और इस ऐलान के बाद कई देश यात्रा प्रतिबंध लागू कर चुके है।
न्यूजबाइट्स प्लस
भारत में इसके कितने मामले?
राजधानी दिल्ली में शुक्रवार को 10 लोगों में ओमिक्रॉन वेरिएंट की पुष्टि हुई है, जिसके बाद देश में इससे संक्रमित कुल लोगों की संख्या 97 पहुंच गई है।
देश में गुरुवार को ओमिक्रॉन के 14 नए मामले सामने आए थे। इनमें कर्नाटक में पांच, हैदराबाद और दिल्ली में चार-चार और गुजरात में एक मामला सामने आया था।
महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा 32 लोगों को इस नए वेरिएंट से संक्रमित पाया जा चुका है।