उत्तर प्रदेश: उन्नाव में वैक्सीनेशन में धांधली, प्राइवेट कर्मचारी के घर पर मिलीं 3,000 खुराकें
उत्तर प्रदेश के उन्नाव में कोरोना वायरस वैक्सीनेशन में धांधली का एक बड़ा मामला सामने आया है। यहां के मियांगंज इलाके में बिना खुराक लगाए ही लोगों को वैक्सीनेशन के मैसेज भेजे जा रहे थे और सामुदायिक चिकित्सा केंद्र के लिए आई खुराकों को एक प्राइवेट कर्मचारी के घर रखा जा रखा था। अधिकारियों ने ऐसे ही लगभग 3,000 खुराकों को बरामद किया है जो खुले में रखी हुई थीं। मामले में जांच के आदेश दिए गए हैं।
वैक्सीन लगने का गलत मैसेज मिलने के बाद प्रकाश में आई धांधली
वैक्सीनेशन में धांधली का ये मामला कई लोगों को वैक्सीन लगने का गलत मैसेज मिलने के बाद सामने आया। ऐसे ही एक शख्स उमेश चंद्र (42) ने इंडिया टुडे को बताया कि उन्हें 7 नवंबर को दूसरी खुराक लगनी थी, लेकिन केंद्र पर पहुंचने से पहले ही उन्हें वैक्सीनेशन का मैसेज मिल गया। राजेश कनौजिया (26) को भी 7 नवंबर को खुराक लगवाने से पहले ही इसका मैसेज मिल गया। चिकित्सा केंद्र ने इसे तकनीकी खामी बताकर उन्हें टाल दिया।
सूचना मिलने पर भाजपा विधायक ने की जिलाधिकारी से शिकायत
समस्या बढ़ने पर लोगों ने स्थानीय भाजपा विधायक बंबालाल दिवाकर से इसकी शिकायत की जिन्होंने मामले को जिलाधिकारी के सामने उठाया। सूचना मिलने पर जिला प्रशासन ने तत्पर कार्रवाई की और मियांगंज चिकित्सा केंद्र की प्राइवेट कर्मचारी रानी के घर से वैक्सीन की लगभग 3,000 खुराकें बरामद कीं। इन खुराकों को कोल्ड स्टोरेज में नहीं रखा गया था और ये खुले में रखी हुई थीं। कोल्ड स्टोरेज में न रखने पर खुराकें खराब हो जाती हैं।
अधीक्षक के कहने पर रानी ने अपने घर पर रखे थे डिब्बे
जांच अधिकारी संगीत पटेल ने बताया कि स्टोर हेल्पर रानी को चिकित्सा केंद्र के अधीक्षक आफताब अहमद ने वैक्सीन के डिब्बों को अपने घर पर रखने को कहा था। रानी का कहना है कि उसे नहीं पता था कि इन डिब्बों का क्या होना है और वह केवल अधीक्षक के आदेश का पालन कर रही थी। उसने कहा कि अहमद उस पर फर्जी रिकॉर्ड बनाने का दबाव डालता था और विरोध करने पर नौकरी से निकालने की धमकी देता था।
अधीक्षक अहमद फरार, मुख्यमंत्री कार्यालय ने दिया जांच का आदेश
चिकित्सा केंद्र का अधीक्षक अहमद घटना प्रकाश में आने के बाद फरार हो गया है और उसका फोन भी बंद है। जांच टीम उसकी तलाश कर रही है। विधायक दिवाकर ने मामले में उच्च अधिकारियों और मुख्यमंत्री कार्यालय से शिकायत की है और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। उनकी शिकायत पर मुख्यमंत्री कार्यालय ने जांच का आदेश जारी कर दिया है। मामले में अभी तक किसी भी आरोपी की गिरफ्तारी नहीं हुई है।