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    दुनियाभर में कोरोना वायरस के नए वेरिएंट्स क्यों सामने आ रहे हैं?

    दुनियाभर में कोरोना वायरस के नए वेरिएंट्स क्यों सामने आ रहे हैं?
    लेखन प्रमोद कुमार
    Feb 24, 2021, 07:29 pm 1 मिनट में पढ़ें
    दुनियाभर में कोरोना वायरस के नए वेरिएंट्स क्यों सामने आ रहे हैं?

    पिछले कुछ हफ्तों से इंग्लैंड और ब्राजील समेत कई देशों में कोरोना संक्रमण के मामले बढ़ रहे हैं। इनके पीछे कोरोना वायरस के नए स्ट्रेन्स का हाथ माना जा रहा है। इन सबके बीच यह सवाल उठ रहा है कि महामारी की शुरुआत के कई महीनों तक कोई नया स्ट्रेन नहीं मिला था और अब अचानक से वायरस के नए स्ट्रेन क्यों सामने आने लगे हैं? अगर आपके मन में भी यह सवाल है तो आइये इसका जवाब जानते हैं।

    कैसे बनता है वायरस का नया स्ट्रेन?

    कोरोना महामारी फैलाने के पीछे SARS-CoV2 वायरस का हाथ है। वायरस के DNA में बदलाव को म्यूटेशन कहा जाता है। ज्यादा म्यूटेशन होने पर वायरस नया रूप ले लेता है, जिसे नया स्ट्रेन कहा जाता है। वायरस के नए स्ट्रेन सामने आने के कई कारण हैं। इसमें एक कारण लगातार वायरस का फैलना है। कोरोना से संक्रमित हर नया मरीज वायरस को म्यूटेट होना का मौका देता है। ऐसे में मरीज बढ़ने के साथ-साथ वेरिएंट की संभावना बढ़ जाती है।

    क्यों होते हैं वायरस में म्यूटेशन?

    सरल भाषा में समझें तो SARS-CoV-2 का जेनेटिक कोड लगभग 30,000 अक्षरों के RNA का एक गुच्छा है। जब वायरस इंसानी कोशिकाओं में प्रवेश करता है तो यह वहां अपनी तरह के हजारों वायरस पैदा करने की कोशिश करता है। कई बार इस प्रक्रिया के नए वायरस में पुराने का DNA पूरी तरह 'कॉपी' नहीं हो पाता है। ऐसी स्थिति में हर कुछ हफ्तों के बाद वायरस म्यूटेट हो जाता है, मतलब उसका जेनेटिक कोड बदल जाता है।

    ज्यादा म्यूटेशन से बदल जाती है वायरस की सरंचना

    वायरस के RNA में कई बार ये बदलाव इकाई के आंकड़े में होते हैं। इन बदलावों से ज्यादा असर नहीं पड़ता। ये अकसर होने वाले बदलाव हैं, लेकिन कई बार यह बदलाव बड़े स्तर पर होता है, जिससे वायरस की भौतिक सरंचना भी बदल जाती है। एक रिपोर्ट के अनुसार, हालिया महीनों में इंग्लैंड (B.1.1.7), दक्षिण अफ्रीका (B.1.351) और ब्राजील (P.1) में इसी तरह के म्यूटेशन हुए हैं, जिससे वायरस में भौतिक बदलाव देखने को मिले हैं।

    प्रोटीन स्पाइक में होते हैं बदलाव

    ये बदलाव आमतौर पर वायरस की बाहरी सतर पर बने प्रोटीन स्पाइक में होता है, जो कोशिका को संक्रमित करता है। ऐसे बदलाव इंसान के इम्युन सिस्टम से बच जाते हैं क्योंकि उसके पास इसकी पहचान नहीं होती है।

    हालिया महीनों में ही नए स्ट्रेन क्यों मिले हैं?

    हालिया महीनों में ही नए स्ट्रेन मिलने की सबसे बड़ी वजह बीते साल की आखिरी तिमाही में कोरोना संक्रमण की रफ्तार बढ़ना है। 2020 के शुरुआती नौ महीनों में दुनियाभर में कोरोना के लगभग 3.5 करोड़ मामले थे, जबकि बाद के तीन महीनों में यह संख्या दोगुनी से ज्यादा हो गई थी। आज सुबह तक पूरी दुनिया में 11.21 करोड़ से ज्यादा लोग कोरोना वायरस से संक्रमित हो चुके थे, वहीं 24.85 लाख लोगों की मौत हुई थी।

    इम्युन सिस्टम से भी बचने की कोशिश

    आबादी का कुछ हिस्सा अब तक वायरस के खिलाफ प्रतिरक्षा प्राप्त कर चुका है। ऐसे में यह वायरस उसके खिलाफ भी प्रतिक्रिया दे रहा है। वायरस उस प्रतिरक्षा से पार पाने के लिए खुद को बदल रहा है। जो म्यूटेशन इंसान के इम्युन सिस्टम से बच जाता है, वह ज्यादा समय तक फैलता है। ब्राजील, इंग्लैंड और दक्षिण अफ्रीका में मिले तीनों नए स्ट्रेन अधिक तेजी से फैलते हैं और इम्युन सिस्टम के प्रति इनकी प्रतिक्रिया में भी अंतर है।

    कमजोर इम्युन सिस्टम वाले लोगों में होते हैं ज्यादा म्यूटेशन

    ब्राजील और इंग्लैंड में मिले नए स्ट्रेन्स में कोरोना के असली वायरस से 25 से अधिक म्यूटेशन देखने को मिले हैं। यह असामान्य है और वायरस के अंदर ऐसे बदलाव कमजोर इम्युन सिस्टम वाले लोगों में रहते हुए होते हैं। ऐसे लोगों में वायरस लगातार विकसित होता रहता है। इनका इम्युन सिस्टम वायरस के विकास को रोकता रहता है, लेकिन मार नहीं सकता। इससे वायरस एक तरह से इम्युन सिस्टम से बचने में प्रशिक्षित हो जाता है।

    क्या आगे भी नए स्ट्रेन मिलेंगे?

    इस सवाल का जवाब हां है। जब तक यह वायरस दुनिया में रहेगा, तब तक इसमें म्युटेशन होते रहेंगे। इनसे बचाव का सबसे बेहतर तरीका यह है कि वैक्सीनेशन और ऐहतियाती कदमों के जरिये कोरोना के मामलों की संख्या कम की जाएगी।

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