इस बिजनेसमैन ने 41 बाद खोज निकाली अपनी असली माँ, कहानी कर देगी भावुक
क्या है खबर?
माँ-बेटे के रिश्ते को दुनिया में सबसे प्यारा रिश्ता माना जाता है। एक माँ के लिए बेटा और बेटे के लिए माँ दुनिया में सबसे बढ़कर होती है।
यही वजह है कि इस रिश्ते को दुनिया में सबसे ज़्यादा सम्मान दिया जाता है।
जिन लोगों के पास माँ नहीं होती है, वही माँ की असली क़ीमत समझ सकता है।
ऐसे ही एक बिजनेसमैन ने अपनी माँ से बिछड़ने के 41 साल बाद आख़िरकार उन्हें खोज ही निकाला। आइए जानें।
मामला
दो साल की उम्र में डेविड को डेनमार्क के एक दंपति ने लिया गोद
टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के अनुसार, डेविड अपनी माँ के साथ तमिलनाडु के पल्लावरम के एक चाइल्ड होम में रहते थे।
एक दिन चाइल्ड होम ने बिना सूचना के डेविड को गोद दिए जाने वाले बच्चों की सूची में शामिल कर लिया।
जब डेविड दो साल के थे, तभी डेनमार्क के एक दंपति ने उन्हें गोद ले लिया।
सबसे हैरान करने वाली बात ये है कि इस बात का पता डेविड की माँ को भी नहीं चला।
खोज
ब्लैक एंड व्हाइट फोटो से माँ को खोजा
बता दें कि इस समय डेविड की उम्र 43 साल है और वो डेनमार्क में ही बॉन्ड ट्रेडर हैं।
ख़बरों के अनुसार, डेविड ने एक ब्लैक एंड व्हाइट फोटो की मदद से अपनी माँ को खोज निकाला। इस काम में डेविड के दोस्तों और वकीलों ने भी पूरी मदद की।
जब डेविड अपनी माँ से इतने सालों बाद मिले तो उन्होंने कहा, "यह मेरे लिए बहुत भावनात्मक पल है।"
जिसने भी डेविड की कहानी सुनी, वो काफ़ी हैरान हुआ।
हालात
गरीबी की वजह से चाइल्ड होम में दिए थे बच्चे
चेन्नई कॉर्पोरेशन के रिकॉर्ड के अनुसार, डेविड का जन्म, 03 अगस्त, 1976 में हुआ था और उनके माता-पिता का नाम धनलक्ष्मी और कालियामूर्ति है।
वर्तमान में डेविड की माँ धनलक्ष्मी मनाली में लोगों के घरों में काम करती हैं और अपने छोटे बेटे सरवनन के साथ रहती हैं।
डेविड के माता-पिता बहुत गरीब थे, इसलिए उन्होंने अपने दो बेटों को पल्लावरम चाइल्ड होम में दे दिया। धनलक्ष्मी ख़ुद भी वहीं रहने लगी थीं।
जानकारी
बड़े भाई रंजन के बारे में भी पता चला
एक दिन वहाँ के प्रशासन ने धनलक्ष्मी को चाइल्ड होम छोड़ने के लिए कहा।
जब वो जाने से पहले अपने बच्चों को लेने गईं तो उन्हें बताया गया कि उनके बच्चों को गोद ले लिया गया है।
प्रशासन ने उन्हें भरोसा दिलाया कि डेनमार्क में उनके बच्चों को अच्छी ज़िंदगी मिलेगी। यह सुनकर धनलक्ष्मी चुप हो गईं और वहाँ से चली गईं।
डेविड ने अपनी माँ को खोजा, तो उन्हें अपने बड़े भाई रंजन के बारे में भी पता चला।
जानकारी
रंजन को भी डेनमार्क के एक परिवार ने लिया था गोद
बता दें कि डेविड के बड़े भाई रंजन को भी डेनमार्क के एक परिवार ने गोद लिया था। डेनमार्क में रंजन को गोद लेने वाले परिवार ने उनका नाम बदलकर मार्टिन रासमुसेन रख दिया था।
अन्य मामला
ऑस्ट्रेलिया के सारू ने भी खंडवा में रहने वाली अपनी माँ को खोजा
इससे पहले ऑस्ट्रेलिया के शेरू उर्फ़ सारू ब्रियली ने भी मध्य प्रदेश के खंडवा में रहने वाली अपनी माँ फातिमा बी को खोज निकाला था।
दरअसल, सारू बचपन में अपनी माँ से बिछड़ गए थे, जिसके बाद कोलकाता के एक NGO ने एक ऑस्ट्रेलियाई परिवार को गोद दे दिया।
सारू ने अपने घर का पता लगाने की बहुत कोशिश की, लेकिन उन्हें कुछ भी याद नहीं आ रहा था। आख़िरकार एक दिन उन्होंने अपनी माँ को खोज ही निकाला।