कोरोना वायरस के नए वेरिएंट्स के खिलाफ वैक्सीन के वर्जन विकसित कर रहे ऑक्सफोर्ड के वैज्ञानिक
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक यूनाइटेड किंगडम (UK), दक्षिण अफ्रीका और ब्राजील में सामने आए कोरोना वायरस के नए वेरिएंट्स से लड़ने के लिए अपनी कोरोना वैक्सीन के नए वर्जन तैयार कर रहे हैं। ब्रिटिश अखबार द टेलीग्राफ की एक रिपोर्ट के अनुसार, वैज्ञानिक अपनी वैक्सीन की तकनीक में बदलाव के लिए अध्ययन कर रहे हैं और उनका मकसद यह पता लगाना है कि वे नए वेरिएंट्स के हिसाब से कितनी जल्दी अपनी वैक्सीन में बदलाव कर सकते हैं।
इन तकनीक से बनाई गई है ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की वैक्सीन
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के जेनर इंस्टीट्यूट ने एस्ट्राजेनेका के साथ साझेदारी में जो कोरोना वैक्सीन तैयार की है, उसे चिंपैजी में साधारण जुकाम करने वाले निष्क्रिय एडिनोवायरस को प्लेटफॉर्म की तरह इस्तेमाल करके और इसके ऊपर कोरोना वायरस (SARS-CoV-2) की स्पाइन प्रोटीन का जेनेटिक मेटेरियल लगाकर तैयार किया गया है। इस तकनीक के उपयोग का मतलब है कि ये वैक्सीन खासतौर पर कोरोना की स्पाइक प्रोटीन पर काम करती है और नए वेरिएंट्स में इन प्रोटीन में ही बदलाव आया है।
वैक्सीन इम्युनिटी पर वेरिएंट्स के असर का मूल्यांकन कर रही है यूनिवर्सिटी
द टेलीग्राफ की रिपोर्ट के अनुसार, अब यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक इस बात का अध्ययन कर रहे हैं कि वे जरूरत पड़ने पर अपनी वैक्सीन में नए वेरिएंट्स के हिसाब से कितनी जल्दी बदलाव कर सकते हैं। ऑक्सफोर्ड के एक प्रवक्ता ने भी कहा कि यूनिवर्सिटी वैक्सीन द्वारा पैदा की जाने वाली इम्युनिटी पर नए वेरिएंट्स के असर का ध्यानपूर्वक आंकलन कर रहे हैं और तेजी से बदली हुई वैक्सीनें बनाने की प्रक्रिया का भी मूल्यांकन कर रहे हैं।
वैक्सीन के नए वर्जन को मंजूरी देने को तैयार है रेगुलेटर- जॉनसन
इससे पहले बुधवार को UK के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने भी कहा कि देश का मेडिकल रेगुलेटर नए वेरिएंट्स से लड़ने के लिए तैयार की गए वैक्सीनों के नए वर्जनों को जल्द मंजूरी देने के लिए तैयार है।
UK, दक्षिण अफ्रीका और ब्राजील में मिले हैं अधिक संक्रामक वेरिएंट
गौरतलब है कि हालिया समय में UK, दक्षिण अफ्रीका और ब्राजील में कोरोना वायरस के तीन अलग-अलग वेरिएंट्स सामने आए हैं जो पहले से अधिक संक्रामक प्रतीत होते हैं। UK वेरिएंट को 70 प्रतिशत तो दक्षिण अफ्रीकी वेरिएंट को 50 प्रतिशत अधिक संक्रामक बताया जा रहा है, वहीं ब्राजीली वेरिएंट पर अभी शोध जारी हैं। इन तीनों वेरिएंट्स की स्पाइक प्रोटीन में N501Y नामक एक महत्वपूर्ण म्यूटेशन हुआ है, जिसे इनके अधिक संक्रामक होने का कारण माना जा रहा है।
UK वेरिएंट के खिलाफ कारगर है फाइजर की वैक्सीन- स्टडी
वैज्ञानिक इन तीनों वेरिएंट्स में से UK वेरिएंट के खिलाफ मौजूदा वैक्सीनें के काम करने की संभावना जता चुके हैं और दो अलग-अलग स्टडी में फाइजर और बायोएनटेक की कोरोना वैक्सीन को इस वेरिएंट के खिलाफ असरदार भी बताया गया है। इन स्टडीज में फाइजर वैक्सीन लैब में UK वेरिएंट को निष्क्रिय करने में कामयाब रही। हालांकि दक्षिण अफ्रीकी वेरिएंट के खिलाफ वैक्सीनों के काम करने को लेकर वैज्ञानिक इतने आश्वस्त नहीं है क्योंकि इसमें अधिक म्यूटेशन हुए हैं।