कोरोना संक्रमण के खिलाफ बेहतर सुरक्षा देती हैं अलग-अलग वैक्सीनों की खुराकें- अध्ययन
क्या है खबर?
बीते काफी समय से इस बात पर बहस हो रही है कि क्या लोगों को अलग-अलग कोरोना वैक्सीनों की खुराकें (मिक्स डोज) देने से संक्रमण के खिलाफ बेहतर सुरक्षा मिलती है। ब्रिटेन में हुए एक ट्रायल में इसका सकारात्मक जवाब मिला है।
Com-COV2 नाम के इस ट्रायल में सामने आया है कि जिन लोगों को एस्ट्राजेनेका या फाइजर कोरोना वैक्सीन की पहली खुराक के नौ सप्ताह बाद मॉडर्ना वैक्सीन की खुराक लगाई गई, उनमें बेहतर इम्युनिटी पाई गई है।
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ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी ने किया था ट्रायल
द लान्सेट मेडिकल जर्नल में प्रकाशित हुए इस अध्ययन में बताया गया है कि ट्रायल के दौरान किसी भी वॉलेंटियर में सुरक्षा चिंताएं नहीं देखी गईं। बता दें कि 1,000 से अधिक वॉलेंटियर ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के इस अध्ययन में शामिल हुए थे।
कोरोना वैक्सीन
ट्रायल में शामिल सभी लोगों में बेहतर रहे नतीजे
ट्रायल में मुख्य भूमिका निभाने वाले ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर मैथ्यू स्नेप ने बताया कि सभी लोगों में काफी अच्छा इम्युन रिस्पॉन्स देखा गया। यह एस्ट्राजेनेका (कोविशील्ड) के नतीजों से भी बेहतर है। अगर कोई अलग-अलग वैक्सीन इस्तेमाल करता है तो यह ठीक है।
ये नतीजे गरीब देशों के लिए बड़ी राहत बनकर आए हैं, जहां आपूर्ति कम या अस्थिर होने के कारण लोगों को अलग-अलग वैक्सीन की खुराकें देनी पड़ सकती हैं।
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इन वैक्सीनों का किया गया ट्रायल
इस अध्ययन में सामने आया कि अगर कोविशील्ड की पहली खुराक के बाद मॉडर्ना या नोवावैक्स की खुराक दी जाती है तो व्यक्ति में कोविशील्ड की दो खुराकों की तुलना में अधिक एंटीबॉडीज और टी-सेल पैदा होती हैं।
इसी तरह फाइजर की पहली खुराक के बाद मॉडर्ना की एक खुराक, फाइजर की दोनों खुराकें से बेहतर नतीजे देती है। वहीं फाइजर और नोवावैक्स की खुराकें कोविशील्ड की तुलना में अधिक एंटीबॉडीज बनाती हैं।
वैक्सीनेशन
कई देश लगा रहे हैं अलग-अलग वैक्सीनों की खुराकें
बता दें कि इस दिशा में पर्याप्त आंकड़े उपलब्ध होने के पहले से ही कई देश अलग-अलग वैक्सीनों की खुराकें लगा रहे हैं।
अमेरिका ने कोरोना वायरस वैक्सीन की बूस्टर (तीसरी) खुराक के लिए अलग-अलग वैक्सीनों को मिक्स करने की इजाजत दे दी है। इसका मतलब अब लोगों को फाइजर, मॉडर्ना और जॉनसन एंड जॉनसन में से किसी की भी बू्स्टर खुराक लग सकेगी, चाहे उन्हें पहले कोई भी वैक्सीन लगी हो।
कनाडा भी ऐसा फैसला कर चुका है।
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भारत में भी चल रहा है अध्ययन
बता दें कि भारत में कोविशील्ड और कोवैक्सिन की मिक्स डोज के असर की जांच के लिए अध्ययन किया जा रहा है।
इस संबंध में गत 11 अगस्त को ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) ने दोनों वैक्सीनों की मिक्स डोज पर अध्ययन को मंजूरी दी थी।
वेल्लोर स्थित क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज में यह अध्ययन किया जा रहा है। इसमें यह परखा जाएगा कि एक ही वैक्सीन की दो खुराकों की जगह मिक्स डोज कितनी प्रभावी होती हैं।
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मिक्स डोज का विरोध कर चुके हैं पूनावाला
बता दें कि सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) के चेयरमैन साइरस पूनावाला वैक्सीन की मिक्स डोज का विरोध कर चुके हैं। उन्होंने कहा था कि ऐसा करना गलत है और इससे दोनों वैक्सीन निर्माताओं के बीच आरोप-प्रत्यारोप का खेल शुरू हो जाएगा।