दुनिया के किन-किन देशों में बच्चों को दी जा रही है कोरोना वैक्सीन की खुराक?
क्या है खबर?
कोरोना वायरस महामारी से बचाव के लिए बच्चों को भी वैक्सीन लगाए जाने की मुहिम तेज होती जा रही है।
इसी कड़ी में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के विशेषज्ञ समूह ने भारत बायोटेक की कोरोना वैक्सीन 'कोवैक्सिन' को दो से 18 साल तक के बच्चों पर इस्तेमाल की मंजूरी देने की सिफारिश की है। इसके साथ ही भारत में बच्चों के वैक्सीनेशन का रास्ता साफ हो गया है।
यहां जानते हैं किन-किन देशों में बच्चों को वैक्सीन दी जा रही है।
जानकारी
जून में शुरू हुआ था बच्चों पर 'कोवैक्सिन' का ट्रायल
वयस्कों पर सुरक्षित और प्रभावी पाए जाने के बाद भारतीय बायोटेक ने इसी साल जून में कोवैक्सिन का 2 साल से 18 साल के बच्चों पर ट्रायल शुरू किया था। इस ट्रायल के नतीजों के आधार पर ही उसे मंजूरी मिलेगी।
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दुनिया में दो साल के बच्चों को वैक्सीन लगाने वाला पहला देश बना क्यूबा
कैरेबियाई देश क्यूबा दो साल के बच्चों को कोरोना वैक्सीन लगाने वाला दुनिया का पहला देश बना है। यहां 3 सितम्बर को 12 साल से अधिक उम्र के बच्चों को कोरोना वैक्सीन लगनी शुरू हुई थी।
इसके बाद 6 सितंबर से दो से 11 साल के बच्चों को भी वैक्सीन लगानी शुरू कर दी गई।
हालांकि, बच्चों को दी जा रही वैक्सीन क्यूबा में ही तैयार हुई है और इसे अभी विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की मंजूरी नहीं मिल है।
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डेनमार्क और स्पेन में भी लगाई जा रही है किशोरों को वैक्सीन
BBC न्यूज के अनुसार, यूरोपियन मेडिसिन एजेंसी (EMA) ने 12 से 15 साल के बच्चों के लिए फाइजर वैक्सीन को मंजूरी दी थी। तब से विभिन्न यूरोपीय देश बच्चों को वैक्सीन लगा रहे हैं।
इसमें डेनमार्क में 12 से 15 साल के अधिकतर बच्चों को वैक्सीन की एक खुराक लगाई जा चुकी है।
इसी तरह स्पेन में 12 से 19 साल के बच्चों को वैक्सीन दी जा रही है। यहां भी अधिकतर बच्चों को एक खुराक दी जा चुकी है।
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फ्रांस और जर्मनी में 12 साल से अधिक उम्र के बच्चों को मिल रही वैक्सीन
फ्रांस में 12 से 17 साल के बच्चों को वैक्सीन लगाई जा रही है। अब तक 66 प्रतिशत बच्चों को पहली और 52 प्रतिशत को दोनों खुराकें मिल चुकी है। सरकार अक्टूबर से इसे अनिवार्य करने जा रही है।
इसी तरह जर्मनी में जुलाई में 12-15 साल तक के बच्चों को वैक्सीन दी जा रही थी, लेकिन डेल्टा वेरिएंट का प्रकोप बढ़ने के बाद अगस्त में इसे 12 साल से अधिक उम्र के सभी लोगों के लिए लागू कर दिया।
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स्वीडन और नॉर्वे में शर्तों के आधार पर लगाई जा रही बच्चों को वैक्सीन
स्वीडन में 12 से 15 साल के उन्हें बच्चों को कोरोना वैक्सीन लगाई जा रही है, जो फेफड़े की बीमारी, गंभीर अस्थमा या कोई अन्य गंभीर खतरे वाली बीमारी से ग्रसित है।
इसी तरह नॉर्वे में 12-15 साल के बच्चों को वैक्सीन दी जा रही है, लेकिन यहां अभी तक बच्चों को वैक्सीन की एक ही खुराक देने का निर्णय किया गया है। सभी बच्चों को पहली खुराक मिलने के बाद सरकार उन्हें दूसरी खुराक देने पर निर्णय करेगी।
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अमेरिका में 52 प्रतिशत बच्चों को मिली वैक्सीन की पहली खुराक
अमेरिकी सरकार ने मई में फाइजर की वैक्सीन के साथ 12 साल से अधिक उम्र के सभी बच्चों का वैक्सीनेशन करने की मंजूरी दी थी।
उसके बाद से जुलाई के अंत तक 12-17 साल के 52 प्रतिशत को पहली और 32 प्रतिशत को दोनों खुराकें दी जा चुकी थी। उस दौरान सरकार ने मॉडर्ना की वैक्सीन को भी मंजूरी दे दी थी।
अमेरिकी सरकार ने बच्चों में तेजी से फैलते संक्रमण को देखते हुए वैक्सीनेशन का निर्णय किया था।
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चीन और चिली ने भी दे रखी है बच्चों के वैक्सीनेशन को मंजूरी
चीनी सरकार ने जून में तीन से 17 साल के कुछ बच्चों को सिनोवैक की वैक्सीन लगाने की अनुमति देना शुरू कर दिया था। जिससे वह इतने कम आयु वर्ग के लिए वैक्सीन को मंजूरी देने वाला पहला देश बन गया था।
इसी तरह चिली ने पिछले महीने छह से 17 साल तक के बच्चों को वैक्सीन देने की मंजूरी दी थी।
इसी तरह दक्षिण अफ्रीका में भी इस उम्र के बच्चों पर वैक्सीन का ट्रायल चल रहा है।
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भारत में जल्द होगी बच्चों के वैक्सीनेशन की शुरुआत
भारत में भी बच्चों के वैक्सीनेशन की जल्द ही शुरुआत होने वाली है। कोवैक्सिन से पहले जायडस कैडिला की DNA कोरोना वैक्सीन को बच्चों पर इस्तेमाल की मंजूरी मिल चुकी है। हालांकि, इसे केवल 12 से 18 साल के बच्चों पर इस्तेमाल किया जाएगा।
वहीं सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) भी अपनी 'कोवावैक्स' वैक्सीन का सात से 11 साल के बच्चों पर ट्रायल कर रहा है। सरकार ने बच्चों के वैक्सीनेशन की सभी तैयारी पूरी कर ली है।