2070 तक फेसबुक पर जीवित लोगों से ज्यादा होंगे मृत लोगों के अकाउंट
क्या है खबर?
अगले 50 सालों में फेसबुक पर जीवित लोगों से ज्यादा मृत लोगों के अकाउंट होंगे। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के इंटरनेट इंस्टीट्यूट की एक स्टडी में यह बात सामने आई है।
रिसर्चर्स की माने तो इससे सोशल मीडिया कंपनी फेसबुक के पास बड़ी मात्रा में डाटा आर्काइव स्टोर हो जाएगा जो आने वाली पीढ़ियों और इतिहासकारों के लिए एक बड़े खजाने की तरह काम आएगा।
आइये, जानते हैं कि इस स्टडी में और क्या-क्या बातें निकलकर सामने आई हैं।
स्टडी
2100 से पहले मर जाएंगे 140 करोड़ यूजर्स
दुनिया के अधिकतर देशों में फेसबुक के यूजर्स हैं। आकंड़ों के मुताबकि, फेसबुक पर अभी कुल 220.7 करोड़ यूजर्स हैं।
ऑक्सफोर्ड इंटरनेट इंस्टीट्यूट (OII) ने अनुमान लगाया है कि इनमें से 140 करोड़ यूजर्स साल 2100 से पहले मर जाएंगे।
इसको फेसबुक की वृद्धि दर के साथ मिलाने पर पता चलता है कि 2070 तक फेसबुक पर मृत लोगों के प्रोफाइल जीवित लोगों से ज्यादा होंगे।
सदी के अंत तक यह आकंड़ा बढ़कर 490 करोड़ से पार जा सकता है।
जानकारी
यह अनुमान कैसे लगाया गया?
रिसर्चर्स ने ये आंकड़ें संयुक्त राष्ट्र द्वारा अलग-अलग देशों की मृत्यु दर के अनुमान और फेसबुक यूजर्स के इनसाइट फीचर के अलग-अलग परिदृश्यों से स्टडी करने के बाद तैयार किए हैं।
डाटा सरंक्षण
डाटा सरंक्षण की बढ़ेगी जरूरत
ऐसी स्थिति में डाटा सरंक्षण की जरूरत बढ़ेगी। फेसबुक पर मृत लोगों के प्रोफाइल से कंपनी को ऐड रेवेन्यू नहीं मिलेगा, ऐसे में रिसर्चर्स ने उनके डाटा सरंक्षण की जरूरत पर जोर दिया है।
उन्होंने कहा कि यह मृत लोगों का यह डाटा 21वीं सदी की विरासत होगा, जो आने वाली पीढ़ियों और इतिहासकारों के लिए काफी महत्वपूर्ण होगा।
स्टडी करने वाले कार्ल ओह्मान ने कहा कि इससे डाटा की सुरक्षा, प्रबंधन और अधिकारों को लेकर कई सवाल उठे हैं।
मुश्किलें
कंपनी के लिए मुश्किलें खड़ी करेगा इतना डाटा
अगर रिसर्चर द्वारा अनुमानित आकंड़े सच होते हैं तो फेसबुक के लिए लगभग 500 करोड़ मृत लोगों का डाटा
संभालना खासा मुश्किल हो जाएगा।
एक कंपनी के लिए इतना डाटा मैनेज करना मुश्किल होने वाला है। इसलिए रिसर्चर ने कंपनी को आर्काइविस्ट, पुरातत्वविदों, इतिहासकारों और अन्यों के साथ मिलकर अगली पीढ़ी के लिए डाटा स्टोर करने के नए तरीके विकसित करने को कहा है।
जानकारी
अगली पीढ़ी के कैसे काम आएगा यह डाटा
अगर इस डाटा का सरंक्षित किया जाता है तो इससे आने वाली पीढ़ियों को यह जानने का मौका मिलेगा कि पिछली पीढ़ी कैसे रहती थी। आमतौर पर भूला दिये जाने वाले लोगों को भी इसके माध्यम से याद रखा जा सकेगा।