क्या RT-PCR टेस्ट के जरिए ओमिक्रॉन वेरिएंट से संक्रमितों का पता लगाया जा सकता है?
क्या है खबर?
कोरोना के 32 म्यूटेंट वाले ओमिक्रॉन वेरिएंट ने दुनियाभर में खलबली मचा रखी है।
अब तक 29 देशों में 373 मामले सामने आ चुके हैं और भारत भी इस सूची में शामिल हो गया है। गुरुवार को कर्नाटक में 66 और 46 वर्षीय दो लोगों को इससे संक्रमित पाया गया है।
इसी बीच बड़ा सवाल यह उठता है कि क्या RT-PCR टेस्ट के जरिए इस वेरिएंट से संक्रमित होने का पता लगाया जा सकता है?
यहां जानते हैं विस्तृत जानकारी।
ओमिक्रॉन
क्यों खतरनाक माना जा रहा है ओमिक्रॉन वेरिएंट?
दक्षिण अफ्रीका, हांगकांग और बोत्सवाना समेत 29 देशों में मिल चुके ओमिक्रॉन वेरिएंट का वैज्ञानिक नाम B.1.1.529 है और इसकी स्पाइक प्रोटीन में 32 म्यूटेशन हैं।
विशेषज्ञों के अनुसार, वेरिएंट वायरस के अन्य वेरिएंट्स की तुलना में अधिक संक्रामक और खतरनाक हो सकता है। इसके वैक्सीनों को चकमा देने की आशंका भी लगाई जा रही है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने इसे 'वेरिएंट ऑफ कंसर्न' बताया है और इस ऐलान के बाद कई देश यात्रा प्रतिबंध लागू कर चुके हैं।
सवाल
क्या RT-PCR टेस्ट से पकड़ में आ सकता है ओमिक्रॉन वेरिएंट?
WHO के अनुसार, ओमिक्रॉन वेरिएंट का पता कुछ RT-PCR टेस्ट से चल सकता है। इससे इसका पता लगाने में और फैलने से रोकने में मदद मिल सकती है, जबकि दूसरे वेरिएंट का पता लगाने के लिए जीनोम सीक्वेंसिंग का सहारा लेना पड़ता है।
हालांकि, कुछ वैज्ञानिकों का मानना है कि यह इतना आसान काम नहीं है। अधिकतर RT-PCR टेस्ट ओमिक्रॉन और दूसरे वेरिएंट में फर्क करने में सक्षम नहीं हैं। इससे वेरिएंटों का सही पता लगाना मुश्किल है।
सच्चाई
RT-PCR टेस्ट में चलता है केवल संक्रमित होने का पता
BBC हिंदी के अनुसार, अधिकतर वैज्ञानिकों का दावा है कि RT-PCR टेस्ट से केवल लोगों को कोरोना वायरस से संक्रमित होने या नहीं होने का पता लगाया जा सकता है। इसमें यह पता नहीं चलता कि वह किस वेरिएंट से संक्रमित हैं। ऐसे में जीनोम सीक्वेंसिंग आवश्यक हो जाता है।
वैज्ञानिकों का मानना है कि सभी संक्रमितों के सैंपल को जीनोम सिक्वेंसिंग के लिए नहीं भेजे जा सकत हैं। यह प्रक्रिया काफी धीमी, जटिल और महंगी होती है।
मुश्किल
RT-PCR टेस्ट में क्यों नहीं चल पाता है वेरिएंट का पता?
वैज्ञानिकों के अनुसार, अधिकतर RT-PCR टेस्ट वायरस के उस हिस्से को तलाशते हैं, जिनमें अधिक बदलाव नहीं होता है। वेरिएंट को म्युटेशन में अंतर के आधार पर तय किया जाता है।
ओमिक्रॉन के मामले में अंतर स्पाइक प्रोटीन के म्युटेशन से जुड़ा है, जो कि वायरस का एक ऐसा हिस्सा है जो कि बार-बार बदलता है ताकि वह ख़ुद को दवाइयों और इम्यूनिटी से बचा सके। यही कारण है कि टेस्टों में वेरिएंट का पता लगाना बहुत मुश्किल होता है।
प्रयास
थर्मो फिशर ने पेश किया वेरिएंट का पता लगाने के लिए नया टेस्ट
थर्मो फिशर साइंटिफिक कंपनी ने कोरोना वायरस के संक्रमण के साथ ओमिक्रॉन वेरिएंट का पता लगाने के लिए भी एक नया टेस्ट प्रस्तुत किया है। यह टेस्ट वायरस के तीन हिस्सों पर नजर रखता है। इनमें से दो हिस्से स्थिर और तीसरा हिस्सा बदलाव वाला स्पाइक प्रोटीन क्षेत्र है।
ऐसे में ओमिक्रॉन से संक्रमित के टेस्ट में पहले दो हिस्से पॉजिटिव होंगे और स्पाइक प्रोटीन क्षेत्र में निगेटिव मिलेगा। इससे इस वेरिएंट का आसानी से पता लगाया जा सकता है।
जानकारी
थर्मो फिशर के टेस्ट से चल रहा है डेल्टा वेरिएंट का पता
बता दें के इस समय नए मामलों में से 99 प्रतिशत डेल्टा वेरिएंट के हैं। इसकी जांच के लिए भी थर्मो फिशर PCR टेस्ट किया जा रहा है। इसमें तीनों क्षेत्रों में पॉज़िटिव मिलने पर संबंधित व्यक्ति को डेल्टा वेरिएंट से संक्रमित माना जाता है।
घातकता
कितना घातक है ओमिक्रॉन वेरिएंट?
WHO के अनुसार, अभी यह स्पष्ट नहीं है कि ओमिक्रॉन वेरिएंट अधिक संक्रामक है या नहीं। इसी तरह इसकी अन्य वेरिएंटों की तुलना में घातकता का भी कोई अंदाजा नहीं है।
संगठन ने कहा है कि शुरूआती आंकड़ों में दक्षिण अफ्रीका में अस्पताल में भर्ती होने वाले लोगों की संख्या बढ़ने की बात सामने आई है, लेकिन ये संक्रमित होने वाले लोगों की संख्या में वृद्धि के कारण भी हो सकता है। ऐसे में देशों को ऐहतियाती कदम उठाने चाहिए।
जानकारी
सरकारों और लोगों को WHO ने दी ये सलाह
WHO ने सभी देशों से ओमिक्रॉन के प्रसार को रोकने के लिए पहले से उठाए जा रहे कदमों पर ही ध्यान देने को कहा है, वहीं लोगों को सोशल डिस्टेंसिंग, फिट मास्क पहनने और भीड़ वाली जगहों से बचने आदि की सलाह दी गई है।
लक्षण
ओमिक्रॉन से संक्रमितों में दिख रहे हैं बहुत हल्के लक्षण
बता दें कि ओमिक्रॉन वेरिएंट का सबसे पहले पता लगाने वाली दक्षिण अफ्रीका मेडिकल एसोसिएशन की अध्यक्ष डॉ एंजेलिक कोएत्जी ने कहा है कि इस वेरिएंट को लेकर जबरन हल्ला मचाया जा रहा है। अभी तक तक इस वेरिएंट से संक्रमित मिले लोगों में बहुत मामूली लक्षण नजर आए हैं।
उन्होंने कहा अधिकतर मरीज बदन दर्द और थकावट की शिकायत कर रहे हैं। अधिकतर मरीजों का तो घर पर ही उपचार जारी है और कुछ ही अस्पताल में भर्ती हैं।