कोरोना वायरस की वैक्सीन को लेकर ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी को मिली बड़ी सफलता
कोरोना वायरस महामारी से जूझ रही दुनिया को बचाने के लिए इसकी वैक्सीन बनाने में जुटी ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी को बड़ी सफलता मिली है। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की ओर से एस्ट्रेजेनेका के साथ मिलकर तैयार की गई वैक्सीन ChAdOx1 nCoV-19 के क्लिनिकल ट्रायल 1/2 के प्रारम्भिक परिणाम में सुरक्षित साबित हुई है और उससे इम्यून सिस्टम बेहतर होने के भी संकेत मिले हैं। मेडिकल जर्नल द लैंसेट में प्रकाशित इसके प्रारम्भिक परिणामों में इसका खुलासा किया गया है।
लैंसेट के संपादक ने परिणामों के लेख को ट्वीट कर दी जानकारी
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी द्वारा तैयार वैक्सीन के प्रारम्भिक परिणाम प्रकाशित होने के बाद लैंसेट के प्रधान संपादक रिचर्ड होर्टन लेख का ट्वीट कर इसकी सफलता की जानकारी दी। उन्होंने लिखा, 'ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की ओर से तैयार की वैक्सीन के क्लिनिकल ट्रायल 1/2 के प्रारम्भिक परिणामों को अब प्रकाशित कर दिया गया है। यह वैक्सीन सुरक्षित और इम्यून सिस्टम बेहतर बनाने वाली है। पेड्रो फोल्गत्ती और सहकर्मियों को बधाई। परिणाम बेहद उत्साहजनक हैं।'
ऐसे काम करती है वैक्सीन
HT के अनुसार अध्ययन के प्रमुख लेखक एंड्रयू पोलार्ड ने कहा कि यह एक चिंपांजी एडेनोवायरस वायरल वेक्टर (ChAdOx1) वैक्सीन है जो SARS-CoV-2 स्पाइनल प्रोटीन बढ़ाती है। इसे चिंपांजियों में सामान्य सर्दी जुकाम पैदा करने वाले वायरस में जेनेटिकली बदलाव लाकर तैयार किया गया है। जब वैक्सीन लोगों की कोशिकाओं में प्रवेश करती है तो यह स्पाइक प्रोटीन आनुवंशिक कोड वितरित करती है। इससे स्पाइक प्रोटीन बढ़ता हैं और कोरोना वायरस के खिलाफ इम्यून सिस्टम को मजबूती मिलती है।
इम्यूनिटी के लंबे समय तक बने रहने की उम्मीद
एंड्रयू पोलार्ड ने कहा, "हमें उम्मीद है कि इस वैक्सीन के उपयोग से संक्रमित मरीजों में लंबे समय तक इम्यूनिटी बनी रहेगी। इससे लोगों का कोरोना वायरस से बचाव होता रहेगा। हालांकि, इस बाद की पुष्टि करने के लिए किए वैक्सीन लोगों को प्रभावी रूप से SARS-CoV-2 के संक्रमण से बचाएगी और इम्यूनिटी कितने लंबे समय तक बनी रहेगी, हमें और अधिक शोध करने की की आवश्यकता है। फिर भी यह एक बड़ी उपलब्धि है।"
प्रारम्भिक परिणामों में नहीं मिले है वैक्सीन के गंभीर साइड इफेक्ट
एंड्रयू पोलार्ड ने कहा कि उनकी वैक्सीन ChAdOx1 nCoV-19 या AZD1222 में कोई भी गंभीर साइड इफेक्ट का संकेत नहीं मिला है और यह शरीर में एंटीबॉडी और टी-सेल इम्यूनिटी प्रतिक्रियाएं बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि वैक्सीन लगने के 14 दिन बाद संक्रमित के शरीर में टी-सेल इम्यूनिटी बढ़ना शुरू कर देता है और 28 दिनों के बाद यह एंटीबॉडी विकसित करने और वायरस को ढूंढकर उस पर हमला करने में सक्षम होती है।
1,077 लोगों पर किया गया था वैक्सीन का क्लिनिकल ट्रायल
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की ओर से तैयार इस वैक्सीन के क्लिनिकल ट्रायल में कुल 1,077 लोगों को शामिल किया गया था। इनमें उम्र 18 से 55 साल के बीच थीं। यह क्लिनिकल ट्रायल 23 अप्रैल से 21 मई के बीच ब्रिटेन के पांच अस्पतालों में आयोजित किया गया था। यह ट्रायल कुल 56 दिनों तक चला और अब इसके परिणाम आने के बाद वैक्सीन के कारगर होने के संकेत मिले हैं। जल्द ही तीसरे चरण का ट्रायल शुरू होगा।
ब्रिटेन ने दिया 10 करोड़ खुराकों का ऑर्डर
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की ओर से तैयार वैक्सीन का प्रारम्भिक परिणाम आज जारी हुआ और इसमें कुछ सफलता भी मिली है, लेकिन ब्रिटेन सरकार ने पहले ही इस वैक्सीन की 10 करोड़ खुराकों का ऑर्डर दे दिया है। ब्रिटेन सरकार को इससे बड़ी उम्मीदें हैं।
भारत में भी हो रहा है कोरोना वायरस वैक्सीन का क्लिनिकल ट्रायल
बता दें कि भारत की भी सात बड़ी कंपनियां वैक्सीन बनाने में जुटी है। इसमें हैदराबाद की भारत बायोटेक कंपनी ICMR के साथ मिलकर कोवाक्सिन नाम से वैक्सीन बना रही है। इसका पहला और दूसरे चरण का क्लिनिकल ट्रायल शुरू हो चुका है। इसी तरह जायडस सैडिला की 'ZyCoV-D' वैक्सीन का भी पहले और दूसरे चरण का ट्रायल चल रहा है। इसी तरह सीरम इंस्टीट्यूट ने ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की वैक्सीन में साझेदारी कर रखी है।
दुनियाभर में 1.46 करोड़ लोग हो चुके हैं संक्रमित
एक तरफ जहां वैक्सीन का इंतजार लंबा होता जा रहा है, वहीं दूसरी तरफ संक्रमितों का आंकड़ा तेजी से बढ़ रहा है। पूरी दुनिया में 1.46 करोड़ लोग कोरोना वायरस की चपेट में आ चुके हैं और 6.10 लाख की मौत हुई है। सर्वाधिक प्रभावित देश अमेरिका में अब तक लगभग 39 लाख लोग संक्रमित हुए हैं और 1.43 लाख की मौत हुई है। वहीं भारत लगभग 11.18 लाख संक्रमितों के साथ ब्राजील के बाद तीसरे स्थान पर है।