
#NewsBytesExplainer: भारत में बहिष्कार से तुर्की को कितना आर्थिक नुकसान होगा?
क्या है खबर?
भारत के 'ऑपरेशन सिंदूर' के दौरान तुर्की ने पाकिस्तान का समर्थन किया था। इसके बाद पूरे भारत में तुर्की का बहिष्कार शुरू हो गया है।
महाराष्ट्र से लेकर राजस्थान तक तुर्की के सेब, मार्बल और दूसरे उत्पादों का विरोध हो रहा है। कुई भारतीय विश्वविद्यालयों ने तुर्की के विश्वविद्यालयों के साथ हुए समझौतों को खत्म कर दिया है।
आइए जानते हैं इस बहिष्कार का तुर्की पर क्या असर हो सकता है।
कदम
भारत में कैसे हो रहा है तुर्की का बहिष्कार?
ऑनलाइन ट्रैवल प्लेटफॉर्म ने तुर्की और अजरबैजान की यात्रा न करने की सलाह दी है।
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU), जामिया मिलिया इस्लामिया समेत कई विश्वविद्यालयों तुर्की के विश्वविद्यालयों के साथ हुए समझौतों को निलंबित कर दिया है।
कई राज्यों के व्यापारियों ने तुर्की से सेब खरीदना बंद करने का फैसला किया है।
राजस्थान के मार्बल कारोबारियों ने तुर्की से मार्बल का आयात रोक दिया है।
सरकार ने तुर्की की सेलेबी एविएशन की सुरक्षा मंजूरी रद्द कर दी है।
पर्यटन
पर्यटन से तुर्की को कितना नुकसान?
हालिया सालों में भारत से तुर्की जाने वाले पर्यटकों की संख्या बढ़ी है।
2024 में लगभग 3.30 लाख भारतीयों ने तुर्की की यात्रा की थी। इससे तुर्की की अर्थव्यवस्था को 3,000 करोड़ रुपये का फायदा हुआ था।
बहिष्कार के कारण पर्यटन क्षेत्र पर सबसे ज्यादा असर पड़ा है। तुर्की की बुकिंग में 60 प्रतिशत और कैंसिलेशन में करीब 250 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। कई ट्रैवल कंपनियों ने तुर्की की बुकिंग बंद कर दी है या प्रचार रोक दिया है।
सेब
भारत में तुर्की से आते हैं सबसे ज्यादा सेब
भारत में सबसे ज्यादा सेब तुर्की से आता है। भारत ने 2023 में तुर्की से लगभग 700 करोड़ रुपये के सेब आयात किए थे।
पुणे के व्यापारियों ने तुर्की के सेबों का बहिष्कार शुरू कर दिया है।
पुणे के APMC मार्केट के व्यापारी सुयोग जेंडे ने कहा, "पुणे में तुर्की के सेबों से 1,000 से 1,200 करोड़ रुपये का मौसमी राजस्व मिलता था। अब इनकी मांग शून्य है। हम हिमाचल, उत्तराखंड, ईरान और अन्य क्षेत्रों से सेब खरीद रहे हैं।"
मार्बल
मार्बल के बहिष्कार से तुर्की को कितना नुकसान होगा?
तुर्की भारत का सबसे बड़ा संगमरमर आपूर्तिकर्ता है। भारत अपने आयातित संगमरमर का लगभग 70 प्रतिशत तुर्की से आयात करता है, जिसकी कीमत 2,500 से लेकर 3,000 करोड़ रुपये तक होती है।
उदयपुर मार्बल प्रोसेसर्स एसोसिएशन ने सरकार से तुर्की से मार्बल के आयात पर तत्काल रोक लगाने का आग्रह किया है।
एसोसिएशन के महासचिव हितेश पटेल ने कहा, "हम दुनिया को स्पष्ट संदेश दे रहे हैं- भारत आतंकवाद का समर्थन करने वाले किसी भी देश को बर्दाश्त नहीं करेगा।"
व्यापार
भारत-तुर्की में कितना व्यापार होता है?
अप्रैल, 2024 से फरवरी, 2025 के बीच भारत ने तुर्की को 44,500 करोड़ रुपये का सामान निर्यात किया। 2023-24 में यह आंकड़ा 56,873 करोड़ रुपये था।
वित्त वर्ष 2023-24 में तुर्की के साथ भारत का द्विपक्षीय व्यापार 89,000 करोड़ रुपये था।
भारत तुर्की को खनिज तेल, मशीनरी/यांत्रिक उपकरण, इस्पात, मानव निर्मित रेशा, प्लास्टिक, कार्बनिक रसायन निर्यात करता है।
वहीं, तुर्की से पत्थर, प्लास्टरिंग सामग्री, लोहा और इस्पात, तिलहन, अकार्बनिक रसायन, कीमती पत्थर और सेब का आयात करता है।
विशेषज्ञ
क्या कह रहे हैं जानकार?
INSEAD बिजनेस स्कूल में अर्थशास्त्र और राजनीति विज्ञान के प्रोफेसर पुशन दत्त ने दैनिक भास्कर से कहा, "तुर्की के निर्यात का केवल 0.64 प्रतिशत हिस्सा भारत को जाता है और आयात का 3 प्रतिशत हिस्सा भारत से आता है। इसी तरह तुर्की के केवल 0.5 प्रतिशत पर्यटक भारत से आते हैं। इसलिए, तुर्की की अर्थव्यवस्था पर ज्यादा असर नहीं पड़ेगा।"
वहीं, जानकारों का मानना है कि बहिष्कार से भारत में कुछ उत्पाद महंगे हो सकते हैं।