हूती विद्रोहियों ने जहाजों पर फिर किए हमले, अमेरिका ने मार गिराए 15 ड्रोन
लाल सागर और अदन की खाड़ी में यमन के हूती विद्रोहियों के हमले थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। आज फिर हूतियों ने एक अमेरिकी सैन्य जहाज और कई विध्वंसक जहाजों को मिसाइल और ड्रोन के जरिए निशाना बनाया है। हमले में अभी तक बड़े नुकसान की खबर नहीं है। दूसरी ओर, अमेरिका ने कहा है कि उसने हूतियों की ओर से दागे गए 15 ड्रोन को मार गिराया है।
हूतियों ने चलाए 2 ऑपरेशन
हूती प्रवक्ता याह्या सारी ने कहा कि उनके संगठन के 2 अलग-अलग ऑपरेशन को अंजाम दिया है। सारी ने कहा, "पहले ऑपरेशन में कई उपयुक्त नौसैनिक मिसाइलों के साथ अदन की खाड़ी में अमेरिकी जहाज 'प्रोपेल फॉर्च्यून' को निशाना बनाया गया। दूसरे ऑपरेशन में 37 ड्रोन के साथ लाल सागर और अदन की खाड़ी में कई अमेरिकी युद्ध विध्वंसकों पर निशाना साधा गया। दोनों ऑपरेशन ने सफलतापूर्वक अपने लक्ष्य हासिल कर लिए हैं।"
अमेरिका ने 15 ड्रोन गिराए
अमेरिकी सेना की सेंट्रल कमांड ने कहा, "सना (यमन की राजधानी) समयानुसार सुबह 4 से 6:30 बजे के बीच हूती आतंकवादियों ने लाल सागर और अदन की खाड़ी में बड़े पैमाने पर बिना चालक दल वाले हवाई वाहन (UAV) से हमला किया। अमेरिकी नौसेना के जहाजों और विमानों के साथ कई गठबंधन नौसेना के जहाजों और विमानों ने 15 UAV को मार गिराया, जो व्यापारिक जहाजों, नौसेना और गठबंधन जहाजों के लिए एक आसन्न खतरा पेश कर सकते थे।"
हूतियों के हमले में गई थी 3 लोगों की जान
6 मार्च को हूतियों ने बारबाडोस के ध्वज वाले जहाज 'MV ट्रू कॉन्फिडेंस' पर हमला किया था, जिसमें चालक दल के 3 सदस्यों की मौत हो गई थी। बाकी लोगों ने समुद्र में कूदकर जान बचाई थी। हूतियों का ये पहला हमला था, जिसमें किसी की जान गई थी। घटना के बाद भारतीय नौसेना ने तुरंत मदद भेजी थी और एक भारतीय समेत चालक दल के 21 सदस्यों को जहाज से सकुशल बाहर निकाल लिया था।
जहाजों की लगातार मदद कर रही भारतीय नौसेना
हूतियों के हमले के बाद मदद मांग रहे जहाजों की भारतीय नौसेना सक्रियता से सहायता कर रही है। 4 मार्च को अदन की खाड़ी में लाइबेरिया के ध्वज वाले एक जहाज 'MSC SKY 2' को हूतियों ने निशाना बनाया था। नौसेना ने इसकी सूचना मिलने पर INS कोलकाता को घटनास्थल पर भेजा और चालक दल के कई सदस्यों की जान बचाई। जनवरी में भी INS विशाखापट्टनम ने एक जहाज की मदद की थी।
कौन हैं हूती विद्रोही?
हूती संगठन की नींव 1990 के दशक में हुसैन बदरद्दीन अल-हूती ने रखी थी, जिनका संबंध यमन के शिया बहुल समुदाय से था। इसका नेतृत्व हूती जनजाति करती है और ये देश में शिया मुस्लिमों का सबसे बड़ा संगठन है। 2015 में हूतियों ने यमन की राजधानी सना पर कब्जा कर लिया, जिसके बाद तत्कालीन राष्ट्रपति अब्दरब्बुह मंसूर हादी को देश छोड़ भागना पड़ा। फिलहाल यमन के बड़े हिस्से पर हूतियों का कब्जा है।