भारतीय नौसेना ने हूतियों के हमले के शिकार जहाज से लोगों को बचाया, 3 की मौत
क्या है खबर?
वाणिज्यिक जहाजों पर हूती विद्रोहियों के हमले थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। बुधवार (6 मार्च) को हूतियों ने बारबाडोस के ध्वज वाले जहाज 'MV ट्रू कॉन्फिडेंस' पर हमला किया, जिसमें चालक दल के 3 सदस्यों की मौत हो गई थी।
घटना के बाद भारतीय नौसेना ने तुरंत मदद भेजी और एक भारतीय समेत चालक दल के 21 सदस्यों को जहाज से सकुशल बाहर निकाल लिया। नौसेना ने बचाव अभियान का वीडियो भी साझा किया है।
बयान
नौसेना ने क्या बताया?
नौसेना ने एक ट्वीट में कहा, 'बारबाडोस के ध्वज वाले जहाज MV ट्रू कॉन्फिडेंस पर 6 मार्च को अदन की खाड़ी से लगभग 54 नॉटिकल मील दक्षिण-पश्चिम से एक ड्रोन/मिसाइल हमला किया गया, जिससे जहाज में आग लग गई और चालक दल के सदस्य गंभीर रूप से घायल हो गए। इसके बाद INS कोलकाता मौके पर पहुंचा और हेलीकॉप्टर और नौकाओं की मदद से एक भारतीय समेत चालक दल के 21 सदस्यों को बचाया।'
हमला
हूती विद्रोहियों का ये पहला घातक हमला
बता दें कि ये पहली बार है, जब हूतियों के हमले में किसी की जान गई है।
अमेरिकी सेना की सेंट्रल कमांड के मुताबिक, यमन में हूती नियंत्रित क्षेत्र से लॉन्च की गई एक एंटी-शिप बैलिस्टिक मिसाइल ने जहाज ट्रू कॉन्फिडेंस पर हमला किया, जिसमें 3 लोगों की मौत हो गई और कम से कम चालक दल के 4 सदस्य घायल हो गए, जिनमें से 3 की हालत गंभीर है।
जहाज
चीन से सऊदी अरब जा रहा था जहाज
हूतियों द्वारा निशाना बनाया गया जहाज स्टील लेकर चीन से सऊदी अरब जा रहा था। इसके चालक दल में एक भारतीय, 15 फिलिपिनो और 4 वियतनामी नागरिक शामिल थे। जहाज पर 2 सशस्त्र गार्ड भी सवार थे, जिनमें से 2 श्रीलंका से और एक नेपाल से हैं।
अमेरिकी सेना ने जहाज पर लगी आग की तस्वीरें भी जारी की हैं और घटना की निंदा की। व्हाइट हाउस ने कहा कि वो हूतियों के खिलाफ कार्रवाई जारी रखेगा।
हूती
4 मार्च को भी हुआ था हमला
इससे पहले 4 मार्च को भी अदन की खाड़ी में लाइबेरिया के ध्वज वाले एक जहाज 'MSC SKY 2' को हूतियों ने निशाना बनाया था। इस हमले से जहाज में आग लग गई थी, जिसकी मदद भी भारतीय नौसेना ने की थी।
नौसेना ने कहा था कि सूचना मिलने पर INS कोलकाता को तुरंत घटनास्थल पर भेजा गया। इस जहाज में चालक दल के कुल 23 सदस्यों में से 13 भारतीय थे।
विद्रोही
कौन हैं हूती विद्रोही?
हूती संगठन की नींव 1990 के दशक में हुसैन बदरद्दीन अल-हूती ने रखी थी, जिनका संबंध यमन के शिया बहुल समुदाय से था। इसका नेतृत्व हूती जनजाति करती है और ये देश में शिया मुस्लिमों का सबसे बड़ा संगठन है।
2015 में हूतियों ने यमन की राजधानी सना पर कब्जा कर लिया, जिसके बाद तत्कालीन राष्ट्रपति अब्दरब्बुह मंसूर हादी को देश छोड़ भागना पड़ा। फिलहाल यमन के बड़े हिस्से पर हूतियों का कब्जा है।