धरती पर बीते 3 महीने अब तक के सबसे गर्म रहे, रिकॉर्ड मात्रा में पिघली बर्फ
क्या है खबर?
जलवायु परिवर्तन से जुड़ी एक चिंताजनक रिपोर्ट सामने आई है। विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) ने कहा है कि पिछले 3 महीने धरती के इतिहास में अब तक के सबसे गर्म 3 महीने रहे हैं।
संस्था के मुताबिक, अगस्त महीना अब तक के इतिहास का सबसे गर्म महीना रहा, बल्कि यह जुलाई 2023 के बाद मापा गया दूसरा सबसे गर्म महीना भी था।
WMO और यूरोप की कोपरनिकस क्लाइमेट चेंज सर्विस (C3S) ने ये आंकड़े जारी किए हैं।
सतह
समुद्र सतह का तापमान रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचा
WMO ने कहा कि वैश्विक समुद्री सतह का तापमान लगातार तीसरे महीने सबसे ज्यादा है और अंटार्कटिक महासागर में समुद्री बर्फ की मात्रा रिकॉर्ड निचले स्तर पर बनी हुई है।
रिपोर्ट के मुताबिक, अगस्त में वैश्विक मासिक औसत समुद्री सतह का तापमान 20.98 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। अगस्त महीने में हर दिन समुद्री सतह का तापमान मार्च 2016 के पिछले रिकॉर्ड से ज्यादा रहा। रिपोर्ट में कहा गया कि लगातार 3 महीनों तक ये स्थिति बनी रही।
बर्फ
अंटार्कटिक में समुद्री बर्फ की मात्रा में सबसे बड़ी कमी
रिपोर्ट में कहा गया है कि अंटार्कटिक महासागर में समुद्री बर्फ का स्तर अगस्त महीने में मासिक औसत से 12 प्रतिशत कम था। ये 1970 के दशक के अंत में बर्फ की मात्रा का अवलोकन शुरू होने के बाद से अब तक की सबसे बड़ी गिरावट है।
अगस्त में आर्कटिक महासागर में भी समुद्री बर्फ का स्तर औसत से 10 प्रतिशत कम रहा। हालांकि, ये अगस्त 2012 के न्यूनतम रिकॉर्ड से ज्यादा है।
बयान
UN महासचिव बोले- हमारे पास खोने के लिए एक पल भी नहीं
संयुक्त राष्ट्र (UN) के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने कहा कि पृथ्वी ने तेज गर्मी की वजह से उबलने वाला मौसम देखा है।
उन्होंने कहा, "जलवायु परिवर्तन शुरू हो गया है। वैज्ञानिकों ने लंबे समय से चेतावनी दी है कि हमारी जीवाश्म ईंधन की लत का क्या परिणाम होगा। समाधानों के लिए नेताओं को अभी से सक्रियता बढ़ानी होगी। हम अभी भी सबसे खराब जलवायु अराजकता से बच सकते हैं और हमारे पास खोने के लिए एक पल भी नहीं है।"
वजह
क्यों बढ़ रहा धरती का तापमान?
वैज्ञानिकों ने कोयले, तेल और प्राकृतिक गैस के ज्यादा दोहन और अल नीनो प्रभाव को जलवायु में परिवर्तन के लिए जिम्मेदार बताया है।
जलवायु विज्ञानी एंड्रयू वीवर ने कहा, "WMO और कॉपरनिकस द्वारा घोषित आंकड़े कोई आश्चर्य की बात नहीं हैं, बल्कि यह दुख की बात है कि सरकारें जलवायु परिवर्तन के मुद्दे को गंभीरता से नहीं ले रही हैं। जब तापमान फिर से गिरेगा तो जनता इस मुद्दे को भूल जाएगी।"
अल नीनो
न्यूजबाइट्स प्लस
अल नीनो एक तरह की मौसमी घटना है, जिसकी वजह से मध्य और पूर्वी भूमध्यरेखीय प्रशांत महासागर में समुद्री सतह का पानी सामान्य से 4 से 5 डिग्री सेल्सियस अधिक गर्म हो जाता है।
इसके चलते पूर्व से पश्चिम की ओर बहने वाली हवाएं कमजोर पड़ती हैं और गर्म पानी पूर्व यानी अमेरिका के पश्चिमी तट की ओर जाने लगता है। साल 1600 में पहली बार इस प्रभाव को देखा गया था।