
CPEC का अफगानिस्तान तक विस्तार करेगा चीन, तालिबान सरकार और पाकिस्तान के साथ किया समझौता
क्या है खबर?
चीन अपनी महत्वाकांक्षी चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC) का अफगानिस्तान तक विस्तार करने जा रहा है। इसके लिए उसने पाकिस्तान और अफगानिस्तान की तालिबान सरकार के साथ त्रिपक्षीय समझौता किया है।
पाकिस्तान के उप प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री इशाक डार, चीन के विदेश मंत्री वांग यी और अफगानिस्तान के कार्यवाहक विदेश मंत्री अमीर खान मुत्तकी के बीच एक अनौपचारिक बैठक के बाद इस कदम पर सहमति बनी है।
बता दें कि इशाक डार चीन दौरे पर हैं।
बयान
पाकिस्तान ने कहा- तीनों देश विकास के लिए साथ खड़े
पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने विदेश मंत्रियों की बैठक की तस्वीर साझा करते हुए लिखा, 'पाकिस्तान, चीन और अफगानिस्तान क्षेत्रीय शांति, स्थिरता और विकास के लिए एक साथ खड़े हैं। तीनों नेताओं ने कूटनीतिक जुड़ाव, तीनों देशों के बीच संचार बढ़ाने, व्यापार ढांचे और विकास की दिशा में कदम आगे बढ़ने पर चर्चा की है। वे बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव सहयोग को गहरा करने और चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे को अफगानिस्तान तक विस्तारित करने पर सहमत हुए।'
सड़क
अब कहां से कहां तक सड़क बनाएगा चीन?
CPEC की शुरुआत चीन के शिंजियांग प्रांत से होती है। वहां से ये पाकिस्तान के बलूचिस्तान में ग्वादर पोर्ट तक जाता है। अब इसका अफगानिस्तान तक विस्तार किया जाएगा।
हालांकि, अभी जानकारी नहीं आई है कि CPEC का विस्तार पाकिस्तान से अफगानिस्तान में कहां-कहां पर होगा।
इससे पहले 2023 में अफगानिस्तान की तालिबान सरकार ने CPEC में शामिल होने पर सहमति जताई थी। तब भी तीनों देशों के विदेश मंत्रियों के बीच बैठक में इस पर सहमति बनी थी।
परियोजना
क्या है CPEC परियोजना?
CPEC चीन की बहुप्रतीक्षित 'वन बेल्ट वन रोड' (OBOR) परियोजना का हिस्सा है, जिस पर करीब 5 लाख करोड़ रुपये का खर्च होना है।
OBOR परियोजना 2013 में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग द्वारा शुरू की गई थी| इसके जरिए चीन पूरी दुनिया में अपने व्यापारिक मार्गों का जाल बिछाना चाहता है और ऐतिहासिक रेशम मार्ग को फिर से विकसित करना चाहता है।
इससे चीन को अरब सागर तक सीधी पहुंच मिल जाएगी।
भारत
CPEC पर भारत जताता रहा है आपत्ति
CPEC का भारत विरोध करता रहा है, क्योंकि इसका कुछ हिस्सा पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (POK) के गिलगित-बाल्तिस्तान इलाके से भी गुजरता है, जिस पर भारत का दावा है।
भारत का मानना है कि CPEC के जरिए चीन उसे घेरने की कोशिश कर रहा है।
2019 में चीन और -पाकिस्तान के एक साझा बयान के जवाब में भारत ने दोनों देशों से CPEC का काम रोकने की मांग की थी।