
भारत ने स्टील इस्पात पर 12 प्रतिशत लगाया शुल्क, चीन के लिए बढ़ी मुसीबत
क्या है खबर?
भारत ने कच्चे इस्पात के आयात पर 12 प्रतिशत अस्थायी शुल्क लगाने का निर्णय लिया है।
यह कदम विशेष रूप से चीन से सस्ते इस्पात के आयात को नियंत्रित करने के लिए उठाया गया है, जिसने भारतीय मिलों के लिए मुश्किलें बढ़ा दी थीं।
वित्त मंत्रालय ने शुल्क को 200 दिनों के लिए लागू करने का आदेश दिया है। शुल्क को रद्द, बदला या संशोधित करने की संभावना बनी रहेगी।
अमेरिकी शुल्कों के बाद यह भारत का बड़ा कदम है।
राहत
इस कदम से भारतीय उद्योग को राहत मिलेगी
इस निर्णय का मुख्य उद्देश्य भारतीय इस्पात निर्माताओं को सस्ते आयातों से बचाना है।
इस्पात मंत्री एच. डी. कुमारस्वामी ने कहा कि यह कदम छोटे और मध्यम उद्योगों के लिए विशेष रूप से लाभकारी होगा, जो सस्ते आयातों के कारण दबाव में थे।
इस शुल्क के लागू होने से भारतीय निर्माताओं को प्रतिस्पर्धा में मजबूती मिलेगी और वे अपने उत्पादों की कीमतों में सुधार कर पाएंगे। इससे भारतीय बाजार में निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा सुनिश्चित हो सकेगी।
उद्देश्य
चीन से आयात पर फोकस किया गया
भारत ने खास तौर पर चीन से आने वाले सस्ते इस्पात आयात को रोकने के लिए कदम उठाया है।
चीन, भारत का दूसरा सबसे बड़ा इस्पात निर्यातक है और इस कदम से भारत की घरेलू मिलों को राहत मिलने की संभावना है। भारतीय इस्पात मिलों के अधिकारी इसे स्वागत योग्य मानते हैं और उम्मीद करते हैं कि इससे उद्योग को मदद मिलेगी।
यह निर्णय भारतीय उद्योग के लिए महत्वपूर्ण साबित होगा, जो सस्ते आयातों से प्रभावित हो रहा था।