
पाकिस्तान की भारत से अपील- सिंधु जल समझौते पर फिर से करे विचार
क्या है खबर?
पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान पर कूटनीतिक कार्रवाई करते हुए सिंधु जल संधि को स्थगित कर दिया था। इस फैसले पर पाकिस्तान ने पहले भारत को चेतावनी दी थी, लेकिन अब उसके रुख नरम पड़ गए हैं।
पाकिस्तान ने भारत को पत्र लिखकर संधि पर दोबारा विचार करने की अपील की है। पत्र में कहा गया है कि इस फैसले से पाकिस्तान में जलसंकट का खतरा है।
पत्र
पाकिस्तान के जल संसाधन मंत्रालय ने लिखा पत्र
न्यूज 18 ने आधिकारिक सूत्रों के हवाले से कहा कि पाकिस्तान के जल संसाधन मंत्रालय के सचिव सैयद अली मुर्तजा ने कुछ दिन पहले भारत के जल शक्ति मंत्रालय के सचिव को एक पत्र लिखा था। इसमें सिंधु जल संधि को स्थगित करने के फैसले पर पुनर्विचार करने की अपील की गई है।
सूत्रों ने बताया कि यह पत्र विदेश मंत्रालय को आगे भेज दिया गया है।
हालांकि, अभी तक इस मामले पर भारत की प्रतिक्रिया नहीं आई है।
बयान
प्रधानमंत्री ने कहा था- पानी और खून एक साथ नहीं बह सकते
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि खून और पानी एक साथ नहीं बह सकते।
उन्होंने कहा था, "आने वाले दिनों में हम पाकिस्तान को इस कसौटी पर मापेंगे कि वह क्या रवैया अपनाता है। पाकिस्तानी फौज और सरकार जिस तरह आतंकवाद को खाद-पानी दे रहे हैं, वो एक दिन पाकिस्तान को खत्म कर देगा। भारत का मत स्पष्ट है- आतंकवाद और व्यापार एक साथ नहीं हो सकते। पानी और खून एक साथ नहीं बह सकता।"
पाकिस्तान
पहले पाकिस्तान ने दी थी धमकी
पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो ने कहा था कि सिंधु नदी में या तो हमारा पानी बहेगा या फिर उनका खून।
उन्होंने कहा था, "सिंधु नदी हमारी है और हमेशा रहेगी। हम इसे नहीं मानते। हजारों साल से हम इस नदी के वारिस हैं। सिर्फ इसलिए कि भारत की आबादी ज्यादा है, वो यह नहीं तय कर सकते कि पानी किसका है। पाकिस्तान की अवाम बहादुर लोग हैं, हम डटकर मुकाबला करेंगे।"
भारत
23 अप्रैल को भारत ने रद्द की थी संधि
23 अप्रैल को सुरक्षा संबंधी कैबिनेट समिति (CCS) की बैठक हुई थी। इसमें भारत ने सिंधु जल संधि रद्द करने समेत 5 बड़े कूटनीतिक फैसले लिए थे।
हाल ही में भारत ने कहा कि वह सिंधु जल संधि को तब तक स्थगित रखेगा, जब तक पाकिस्तान सीमा पार आतंकवाद को अपना समर्थन विश्वसनीय और अपरिवर्तनीय रूप से त्याग नहीं देता।
जल शक्ति मंत्री सीआर पाटिल ने कहा था कि भारत अब पानी की एक भी बूंद बर्बाद नहीं करेगा।
प्लस
क्या है सिंधु जल संधि?
विश्व बैंक की मध्यस्थता से 1960 में पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और तत्कालीन पाकिस्तानी राष्ट्रपति अयूब खान के बीच सिंधु जल संधि हुई थी।
इसके तहत सिंधु घाटी में बहने वाली 3 पूर्वी नदियों (रवि, सतलज, व्यास) पर भारत का, जबकि 3 पश्चिमी नदियों (सिंधु, झेलम, चिनाब) पर पाकिस्तान का अधिकार है।
नदियां भारत से होकर बहती हैं, इसलिए पश्चिमी नदियों के 20 प्रतिशत पानी पर भारत का अधिकार है, वो सिंचाई समेत अन्य परियोजनाओं में इसका उपयोग करता है।