अफगानिस्तान में तालिबान और अलकायदा के बीच रिश्ते अभी भी मजबूत- UN
संयुक्त राष्ट्र (UN) की एक रिपोर्ट के अनुसार, अफगानिस्तान में सत्तारूढ़ तालिबान और आतंकवादी संगठन अलकायदा के बीच रिश्ते अभी भी मजबूत बने हुए हैं। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि तालिबान ने कतर की राजधानी दोहा में अमेरिका के साथ हुए समझौते के तहत आतंकवाद के खिलाफ कोई कदम नहीं उठाया है। बता दें कि अगस्त, 2021 में तालिबान अफगानिस्तान की सत्ता पर करीब 20 साल बाद दोबारा काबिज हो गया था।
अफगानिस्तान की सीमाओं पर खतरा पैदा कर रहे हैं आतंकवादी- रिपोर्ट
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) की विश्लेषणात्मक सहायता और प्रतिबंध निगरानी टीम की रिपोर्ट में कहा गया है कि अलकायदा अपनी खोई हुई क्षमता का पुनर्निर्माण कर रहा है और उसके आतंकवादी अफगानिस्तान की सीमाओं पर खतरा पैदा कर रहे हैं। इस रिपोर्ट में कंधार में मौजूद तालिबान के शीर्ष नेताओं और राजधानी काबुल में तालिबान सरकार के मंत्रियों के बीच गंभीर मतभेद होने का भी दावा किया गया है।
तालिबान की सहायता से पाकिस्तान में भी किए जा रहे हमले
रिपोर्ट के मुताबिक, अलकायदा के अलावा तालिबान के तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) के साथ भी मजबूत रिश्ते हैं और उसके राज में कई आतंकवादी समूहों को युद्धाभ्यास की अधिक स्वतंत्रता है। वे इसका अच्छा उपयोग कर रहे हैं, जिसके चलते अफगानिस्तान और इसके आसपास के क्षेत्रों में आतंकवाद का खतरा बढ़ रहा है। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि तालिबान की सहायता लेकर TTP पाकिस्तान के अंदर घुसकर आतंकी हमलों को अंजाम दे रहा है।
तालिबान ने रिपोर्ट का किया खंडन
तालिबान के प्रवक्ता जबीउल्लाह मुजाहिद ने बयान जारी कर UN की रिपोर्ट का खंडन किया है। उन्होंने कहा कि यह रिपोर्ट पक्षपाती और वास्तविकता से दूर है और तालिबानी नेतृत्व और सरकार के बीच कोई मतभेद या असहमति नहीं है। उन्होंने अफगानिस्तान में आतंकवाद के पनपने और आतंकवादियों के लिए सुरक्षित स्थान होने के आरोपों को भी सिरे से खारिज कर दिया। बतौर रिपोर्ट्स, अफगानिस्तान में लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए- मोहम्मद के कई आतंकी अभी भी मौजूद हैं।
पिछले साल काबुल में मारा गया था अलकायदा प्रमुख जवाहिरी
अमेरिका ने पिछले साल अगस्त में अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में एयरस्ट्राइक कर अलकायदा के प्रमुख अयमान अल-जवाहिरी को मार गिराया था। तालिबान ने अमेरिका के हमले की निंदा करते हुए इसे दोहा समझौते का साफ उल्लंघन बताया था। दोहा समझौते के तहत तालिबान ने कहा था कि वह अफगानिस्तान की जमीन को फिर से आतंकी गतिविधियों के लिए इस्तेमाल नहीं होने देगा। इसी के बदले में अमेरिका ने अफगानिस्तान से अपने सैनिक वापस बुलाए थे।
क्या दोबारा गृह युद्ध की तरफ बढ़ रहा है तालिबान?
रिपोर्ट में कहा गया है कि तालिबान एकजुट दिखाई दे रहा है, लेकिन विभिन्न मामलों पर आतंरिक मतभेदों के कारण उसकी अफगानिस्तान की सत्ता पर पकड़ कमजोर हो रही है। तालिबान के बीच विभिन्न गुटों के नेताओं के बीच सत्ता के लिए चल रहे संघर्ष ने स्थिति को और अस्थिर दिया है। UNSC के कई सदस्य देशों का मानना है कि अगर तालिबान की नीतियां जारी रहती हैं तो देश में गृह युद्ध की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।
न्यूजबाइट्स प्लस
तालिबान ने अगस्त, 2021 में 20 साल बाद दोबारा अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया था। इसके बाद कई देशों ने अपने नागरिकों को बाहर निकालने के लिए विशेष अभियान चलाया था। तालिबान ने अमेरिकी सेना की वापसी के बाद सरकार का भी गठन किया था और देश का नाम बदलकर इस्लामिक अमीरात ऑफ अफगानिस्तान कर दिया था। तालिबान के मौजूदा प्रमुख हिब्तुल्लाह अखुंदजादा को तालिबान सरकार के प्रमुख के साथ-साथ अफगानिस्तान के सर्वोच्च नेता भी हैं।