
अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव में कितना खर्च आता है और पार्टियों को कैसे मिलता है चंदा?
क्या है खबर?
अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव को लेकर जोर-शोर से तैयारियां हो रही हैं।
डेमोक्रेटिक पार्टी की ओर से संभवत: जो बाइडन उम्मीदवार हो सकते हैं, जबकि रिपब्लिकन पार्टी ने पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पर विश्वास जताया है।
भारत की ही तरह अमेरिका में भी चुनाव प्रक्रिया काफी लंबी और खर्चीली होती है। 2020 में हुआ अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव इतिहास का सबसे खर्चीला चुनाव था।
आइए जानते हैं कि अमेरिका में चुनाव का खर्च कितना है और इसे कौन उठाता है।
चुनाव
पार्टियों को कहां-कहां से मिलता है पैसा?
BBC की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 2020 में अमेरिका में पार्टियों को चुनाव के लिए करीब 20 प्रतिशत हिस्सा प्रचार के दौरान दान से मिला था। कोई अमेरिकी नागरिक अधिकतम 200 डॉलर (करीब 16,500 रुपये) दान दे सकता है।
इसके बाद लगभग 40 प्रतिशत हिस्सा अमीर दानदाताओं से मिला, जिन्होंने 2020 में 200 डॉलर से लेकर 2,800 डॉलर (करीब 2.34 लाख रुपये) दिए।
पार्टियां पैसा इकट्ठा करने के लिए फंड रेजिंग समितियां भी बनाती हैं, जो चंदा इकट्ठा करती हैं।
पैसा
चंदे के लिए दी जाती है महंगी दावतें
फंड रेजिंग समितियां पैसा इकट्ठा करने के लिए बड़ी-बड़ी बैठकें करती हैं और इसके लिए एक रात के भोजन पर लाखों रुपये खर्च किए जाते हैं।
इसके अलावा कंपनियां और लोग व्यक्तिगत तौर पर भी चंदा देते हैं। चंदा देने के लिए अमेरिका में प्रमुख नियम है कि दानदाता देश का निवासी होना जरूरी है।
अमेरिका में अन्य देशों की तरह राजनीतिक पार्टियों और व्यक्तियों के लिए धन खर्च करने की कोई सीमा तय नहीं है।
खर्च
कहां होता है खर्च?
2020 के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव कोरोना महामारी के दौरान हुए थे।
इस दौरान प्रचार का तरीका बदला था। तब पार्टियों और उम्मीदवार ने सबसे अधिक खर्च सोशल मीडिया और टेलीविजन विज्ञापन पर किया था।
इसके अलावा उम्मीदवार अपने कर्मचारियों पर भी पैसे खर्च करते हैं। जैसे 2020 में बाइडन ने 100 कर्मचारियों पर करीब 418.33 करोड़ रुपये और ट्रंप ने इससे आधा खर्च किया था।
2020 में 66.93 करोड़ रुपये चुनाव से जुड़ी सामग्री पर खर्च हुए थे।
चुनाव खर्च
2020 का अमेरिका चुनाव इतिहास का सबसे महंगा चुनाव
अमेरिका में हर 4 साल में राष्ट्रपति चुनाव होते हैं और वहां हर 4 साल में चुनाव खर्च पिछले चुनाव के मुकाबले काफी बढ़ जाता है।
2020 का चुनाव अमेरिका के इतिहास में सबसे महंगा चुनाव था।
2020 में अमेरिका में चुनाव में 1,171 अरब रुपये खर्च हुए, जबकि 2016 और 2012 में यह 550 अरब रुपये के आसपास था।
वर्ष 2000, 2004 और 2008 में चुनाव खर्च की राशि 167 से 400 अरब रुपये के आसपास रही थी।
रिपोर्ट
इस बार सबसे अधिक धन खर्च कर रहे बाइडन
वॉयस ऑफ अमेरिका के मुताबिक, 2024 के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में अभी तक धन जुटाने के मामले में बाइडन ट्रंप से आगे हैं। वहीं, बाइडन 2023 से धन खर्च करने के मामले में भी ट्रंप से आगे हैं।
अमेरिका में संघीय चुनाव आयोग (FEC) चुनाव अभियान की धनराशि का डेटाबेस बनाए रखकर फंडिंग को नियंत्रित करता है।
उम्मीदवार FEC को बताता है कि उसे किसने दान किया, कितना दान दिया और वह धन कहां खर्च कर रहा है।
भारत
भारत में चुनाव के खर्च को लेकर क्या है नियम?
भारत में चुनाव कराने की पूरी जिम्मेदारी चुनाव आयोग की होती है। वह पार्टी और उम्मीदवारों के खर्च के लिए एक सीमा तय करता है।
चुनाव प्रचार के लिए पैसे जुटाने के लिए पार्टी चंदे पर केंद्रित होती है। यहां केंद्र सरकार की ओर से लागू चुनावी बॉन्ड के जरिए चंदा दिया जाता है, जिसमें चंदा देने वाली की जानकारी गुप्त होती है।
पिछले दिनों इसी बॉन्ड को लेकर काफी विवाद हुआ था और मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था।