पाकिस्तानी प्रधानमंत्री ने तालिबान को बताया 'आम नागरिक', कहा- उनके खिलाफ कार्रवाई कैसे कर सकते हैं?
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने अफगानिस्तान में निर्दोष लोगों को निशाना बना रहे तालिबानी आतंकियों को लेकर बेहद शर्मनाक बयान दिया है। उन्होंने कहा कि तालिबानी कोई सैन्य संगठन या आतंकी नहीं है, बल्कि वह 'आम नागरिक' हैं। पाकिस्तान में 30 लाख से अधिक अफगानी शरणार्थी रह रहे हैं। इनमें अधिकतर पश्तून हैं जो अफगानिस्तान में अपने हक के लिए लड़ रहे हैं। ऐसे में पाकिस्तान कैसे उनके खिलाफ कार्रवाई कर सकता है।
तालिबानी आतंकियों को शरण देने के दिए जाने चाहिए सुबूत- खान
प्रधानमंत्री खान ने PBS न्यूज हॉवर को दिए एक साक्षात्कार में कहा, "तालिबान किसी तरह का सैन्य संगठन नहीं है, वो तो आम नागरिक हैं। अगर पाकिस्तान के शरणार्थी शिविरों में वह रह रहे हैं तो उनके खिलाफ कैसे कार्रवाई की जा सकती है।" उन्होंने तालिबानियों को सुरक्षित पनाह देने के सवाल पर कहा, "ऐसा कहने वाले इस बात का सुबूत क्यों नहीं देते हैं। उन्हें बताना चाहिए कि पाकिस्तान में कहां पर तालिबानियों के ठिकाने हैं?
प्रधानमंत्री खान ने तालिबान की सैन्य और वित्तीय मदद करने के आरोपों को किया खारिज
पाकिस्तान पर लंबे समय से आरोप लगते रहे हैं कि वह अफगान सरकार के खिलाफ तालिबान की सैन्य, वित्तीय और खुफिया मदद दे रहा है। इस पर प्रधानमंत्री खान ने सभी आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि यह पूरी तरह से अनुचित है। उन्होंने दावा किया कि हजारों की तादाद में पाकिस्तानी लोगों ने अफगानिस्तान में अमेरिकी युद्ध के दौरान अपनी जान गंवा दी। वह भी तब जब पाकिस्तान का इस युद्ध से कोई लेना-देना नहीं था।
प्रधानमंत्री खान ने अमेरिका पर लगाया अफगानिस्तान को बर्बाद करने का आरोप
प्रधानमंत्री खान ने कहा अमेरिका ने अफगानिस्तान में बड़े स्तर पर सैन्य आक्रमण शुरू कर और फिर कमजोर स्थिति में तालिबान से एक राजनीतिक समाधान की मांग करते हुए स्थिति को खराब कर दिया है। उन्होंने कहा कि अमेरिका को तालिबान के साथ राजनीतिक समझौते का विकल्प बहुत पहले ही चुनना चाहिए था। अमेरिका ने पहले 10,000 सैनिकों को कम किया और फिर वहां से निकलने की घोषणा की। इससे तालिबान के हौंसले बुलंद हो गए।
प्रधानमंत्री खान ने राजनीतिक समझौते को बताया मामले का समाधान
प्रधानमंत्री खान ने कहा कि अफगानिस्तान और तालिबान के बीच चल रहे संघर्ष का एकमात्र समाधान राजनीतिक समझौता है। इसका मतलब है कि अफगानिस्तान की राजनीति में तालिबान को भी हिस्सा दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि वर्तमान में अफगानिस्तान एक गृह युद्ध की स्थिति से जूझ रहा है। पाकिस्तान के दृष्टिकोण से यह सबसे खराब स्थिति है। इसका कारण है कि पाकिस्तान के सामने शरणार्थी और अफगानिस्तान के रूप में दो परिदृश्य है।
तालिबान और अमेरिका के बीच बातचीत को सुविधाजनक बनाना चाहता है पाकिस्तान
प्रधानमंत्री खान ने कहा कि अफगानिस्तान में अस्थिरता पर पाकिस्तान की स्थिति साफ है। वह तालिबान और अमेरिका के बीच बातचीत को सुविधाजनक बनाने में मदद करना चाहता है। हालांकि, इस्लामाबाद अमेरिका के साथ एक और लेन-देन संबंध में प्रवेश नहीं करेगा और किराए की बंदूक नहीं बनेगा। उन्होंने कहा कि वह अमेरिका को देश में आतंकवाद विरोधी ठिकाने स्थापित करने की अनुमति भी देंगे। वह शांति के भागीदार हैं न की संघर्ष के।
अमेरिकी सेना की वापसी के साथ तालिबान ने शुरू किए हमले
बता दें कि अमेरिका और नाटो के अफगानिस्तान से अपने सैनिकों की वापसी करने को देखते हुए तालिबान ने अफगानी सुरक्षा बलो और आम नागरिकों पर हमले तेज कर दिए हैं। हालात यह है कि तालिबान ने अफगानिस्तान के कुल 419 जिलों में से आधों पर अपना कब्जा कर लिया है। इधर, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की रिपोर्ट के मुताबिक तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान के 6,000 आतंकी अफगान सीमा में सक्रिय हैं और वो तालिबान की मदद कर रहे हैं।