
कौन है मुल्ला अब्दुल गनी बरादर जो बन सकता है अफगानिस्तान का अगला राष्ट्रपति?
क्या है खबर?
अफगानिस्तान पर कब्जा करने के बाद अब तालिबान यहां सरकार बनाने की कोशिश में लगा हुआ है। 1991-2001 के अपने पहले शासन की तरह इस बार भी तालिबान एक परिषद के जरिए देश की सरकार चला सकता है।
इस परिषद का प्रमुख देश का राष्ट्रपति होगा और इस रेस में तालिबान के उप प्रमुख मुल्ला अब्दुल गनी बरादर का नाम सबसे आगे चल रहा है।
आइए जानते हैं कि मुल्ला अब्दुल गनी बरादर कौन है और उसका सफर कैसा रहा।
परिचय
तालिबान के संस्थापक सदस्यों में शामिल है मुल्ला गनी बरादर
मुल्ला अब्दुल गनी बरादर का जन्म 1968 में अफगानिस्तान के उरूजगान प्रांत के देहरावुड जिले के वीटमाक गांव में हुआ था। उसका संबंध उसी दुर्रानी कबीले से है जिससे पूर्व राष्ट्रपति हामिद करजई भी आते हैं।
वह तालिबान के चार संस्थापक सदस्यों में शामिल है जिन्होंने 1994 में तालिबान का गठन किया था। वह तालिबान के सबसे बड़े नेता रहे मुल्ला मोहम्मद उमर का सबसे भरोसेमंद साथी था और संगठन का दूसरा सबसे बड़ा नेता था।
जिम्मेदारियां
रक्षा मंत्री समेत तालिबान के लिए ये अहम पद संभाल चुका है मुल्ला बरादर
1994 में तालिबान के गठन के बाद मुल्ला बरादर ने एक कमांडर और रणनीतिकार की भूमिका अदा की थी। अफगानिस्तान में हुए सभी युद्धों में उसने तालिबान की तरफ से अहम भूमिका अदा की और मुख्य तौर पर हेरात और काबुल में सक्रिय रहा।
वह तालिबान के लिए फंड जुटाने का कार्य भी करता था और सारे पैसे का हिसाब उसी पर रहता था।
इसके अलावा वह 1996-2001 के तालिबान शासन के दौरान अफगानिस्तान का उप रक्षा मंत्री भी रहा।
गिरफ्तारी और रिहाई
2010 में गिरफ्तार किया गया बरादर, आठ साल बाद रिहा
मुल्ला बरादर पर संयुक्त राष्ट्र (UN) ने प्रतिबंध लगा रखे थे और उसके यात्रा करने और हथियार खरीदने पर प्रतिबंध था।
फरवरी, 2010 में अमेरिका और पाकिस्तान के सुरक्षा बलों ने एक संयुक्त अभियान में उसे कराची से गिरफ्तार किया और वह लगभग आठ साल जेल में बंद रहा।
2018 में तालिबान के साथ शांति वार्ता शुरू करने के लिए अमेरिका ने उसे रिहा करने का निर्देश दिया था। वह दोहा में हुई शांति वार्ता में तालिबान का प्रमुख था।
रुख
अमेरिका के साथ शांति वार्ता का समर्थन करता रहा है मुल्ला बरादर
2010 में गिरफ्तारी से पहले मुल्ला बरादर के बारे में बहुत अधिक जानकारी नहीं थी और उन्होंने बेहद ही कम सार्वजनिक बयान दिए थे। हालांकि तालिबान शांति वार्ता शुरू करने के लिए जिन नेताओं की रिहाई की मांग करती थी, उनमें बरादर का नाम शीर्ष पर होता था।
बरादर हमेशा ही अमेरिका के साथ शांति वार्ता का समर्थन करता रहा है, हालांकि अफगान अधिकरियों को शक था कि उसके कद का नेता शांति वार्ता के लिए मना कर सकता है।
जानकारी
मुल्ला बरादर ने कही थी अमेरिकी वापसी तक जिहाद की बात
2009 में ईमेल के जरिए दिए गए अपने एक इंटरव्यू में मुल्ला बरादर ने न्यूजवीक मैगजीन से कहा था कि तालिबान अमेरिका को भारी नुकसान पहुंचाना चाहता है। उसने कहा था कि जब तक हमारी जमीन से दुश्मनों का खात्मा नहीं होगा, जिहाद चलता रहेगा।