काबुल: आत्मघाती हमलावरों ने किया गुरद्वारे पर हमला, 11 लोगों की मौत
क्या है खबर?
अफगानिस्तान की राजधानी काबुल के शोर बाजार के बीचोंबीच स्थित सिख समाज के गुरुद्वारे पर बुधवार को आत्मघाती महलावरों ने हमला कर दिया। इसमें 11 लोगों की मौत हो गई, जबकि 11 अन्य घायल हैं।
सुरक्षा बल के जवानों ने हमलावरों से लोहा लेते हुए गरुद्वारे की पहली मंजिल को अपने कब्जे में ले लिया है।
गुरुद्वारे में फंसे दर्जनों लोगों को बचाने के प्रयास किए जा रहे हैं। सुरक्षा बल और हमलावरों के बीच मुठभेड़ जारी है।
हमला
हमलावरों ने सुबह 07:45 बजे किया था हमला
आंतरिक मंत्रालय के प्रवक्ता तारिक एरियन ने बताया कि सुबह सिख समुदाय के लोग प्रार्थना सभा के लिए गुरुद्वारे में जमा हुए थे।
उसी दौरान करीब 07:45 बजे अज्ञात आत्मघाती हमलावरों ने हमला बोल दिया। उन्होंने बताया कि हमलावरों के पास बॉम भी है।
जवाबी कार्रवाई करते हुए सुरक्षा बलों ने एक हमलावर को मार गिराया है, जबकि तीन अभी भी गोलीबारी कर रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि सिख समुदाय मुख्य रूप से जलालाबाद और काबुल में रहते हैं।
जानकारी
गुरुद्वारे से फोन कर दी गई थीं हमले की जानकारी
सिख सांसद नरिंदर सिंह खालसा ने बताया कि एक व्यक्ति ने गुरुद्वारे के अंदर से फोन कर उन्हें हमले की जानकारी दी थी।उस दौरान वह गुरुद्वारे के नजदीक ही थे और वह भागकर वहां पहुंचे थे। हमले की जिम्मेदारी किसी ने नहीं ली है।
निंदा
केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने की हमले की निंदा
गुरुद्वारे पर किए गए आतंकी हमले की केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कड़े शब्दों में निंदा की है।
उन्होंने ट्वीट कर लिखा कि ये हत्याएं सिखों पर किए जा रहे अत्याचारों की एक बुरी याद दिलाती हैं। कुछ देशों में अल्पसंख्यकों पर लगातार अत्याचार किया जा रहा है। उन्होंने अल्पसंख्य समुदाय के लोगों की रक्षा और धार्मिक स्वतंत्रता के लिए सरकारों की ओर से सख्त कदम उठाने की अपील की है।
पुनरावृत्ति
पहले भी कई बार हो चुके है सिखों पर हमले
अफगानिस्तान में पहले भी सिखों पर कई बार हमले हो चुके हैं। 1 जुलाई, 2018 को जलालाबाद में सिखों पर हुए आत्मघाती हमले में करीब 13 सिख मारे गए थे। ISIS की स्थानीय इकाई ने हमले की जिम्मेदारी ली थी।
इसी तरह इसी महीने की शुरुआत में इस्लामिक स्टेट से संबद्ध एक संगठन ने काबुल में अल्पसंख्यक शिया मुस्लिमों के एक धार्मिक समागम पर हमला किया था। जिसमें 32 लोगों की मौत हो गई थी।
मजबूर
भारत की शरण में आने को मजबूर सिख समुदाय
अफगानिस्तान में सिखों को व्यापक भेदभाव का सामना करना पड़ रहा है और इसके साथ ही सशस्त्र समूहों को भी निशाना बनाया गया है।
1990 के उत्तरार्ध में तालिबान शासन के तहत सिखों को हाथ में पीली पट्टी पहनकर अपनी पहचान बनाने के लिए कहा गया था, लेकिन नियम लागू नहीं किया गया था।
अफगानिस्तान में 300 से भी कम सिख परिवार रहते हैं और आए दिन होने वाले हमलों के कारण भारत की शरण में आने को मजबूर हैं।