अफगानिस्तान में नहीं होगा लोकतंत्र, परिषद के जरिए शासन कर सकता है तालिबान
क्या है खबर?
तालिबान ने कहा है कि उसके राज में अफगानिस्तान में कोई भी लोकतांत्रिक व्यवस्था नहीं होगी और उसकी एक परिषद देश की सरकार चलाएगी। तालिबान का सर्वोच्च नेता हैबतुल्ला अखुंदजादा इस पूरी व्यवस्था का संरक्षक हो सकता है, वहीं उसका एक डिप्टी राष्ट्रपति का पद संभालेगा।
तालिबान के एक वरिष्ठ सदस्य ने अंतरराष्ट्रीय समाचार एजेंसी रॉयटर्स को ये जानकारी दी। उसने कहा कि तालिबान ने अफगान सेना के पूर्व पायलटों और सैनिकों से भी संपर्क साधा है।
बयान
लोकतंत्र का अफगानिस्तान में कोई आधार नहीं- तालिबान
तालिबान नेता वहीदुल्लाह हाशिमी ने रॉयटर्स से कहा कि तालिबान अफगानिस्तान की सरकार कैसे चलाएगा, इससे संबंधित कई मुद्दों पर फैसला होना अभी बाकी है, लेकिन अफगानिस्तान में लोकतंत्र नहीं होगा।
उन्होंने कहा, "कोई भी लोकतांत्रिक व्यवस्था नहीं होगी क्योंकि इसका हमारे देश में कोई आधार नहीं है। हम इस पर चर्चा नहीं करेंगे कि अफगानिस्तान में किस तरह की राजनीतिक व्यवस्था होगी क्योंकि ये साफ है। बस शरिया कानून ही होगा।"
सरकार का स्वरूप
परिषद के जरिए सरकार चला सकता है तालिबान
हाशिमी ने कहा कि तालिबान अफगानिस्तान में एक परिषद के जरिए सरकार चलाएगा। अखुंदजादा को इस परिषद के प्रमुख से ऊपर का पद मिल सकता है और वह एक मार्गदर्शक की भूमिका अदा करेगा।
हाशिमी के अनुसार, अखुनजादा का डिप्टी परिषद का प्रमुख और राष्ट्रपति बन सकता है। अभी तालिबान के तीन उप प्रमुख हैं जिनमें से मुल्ला अब्दुल गनी बरादर के राष्ट्रपति बनने की संभावना जताई जा रही है।
1996-2001 में भी तालिबान ने ऐसे ही शासन चलाया था।
सेना का गठन
नई राष्ट्रीय सेना गठित करने की योजना बना रहा तालिबान
पूर्ववर्ती अफगान सरकार के लिए लड़ने वाले सैनिकों और पायलटों को भर्ती करने के सवाल पर हाशिमी ने कहा कि तालिबान एक नई राष्ट्रीय सेना गठित करने की योजना बना रहा है जिसमें उसके खुद के सदस्य और सरकार के सैनिक भी शामिल होंगे।
सरकारी सैनिकों पर उन्होंने कहा, "उनमें से ज्यादातर ने तुर्की, जर्मनी और इंग्लैंड में ट्रेनिंग ली है। इसलिए हम उनसे वापस अपने पदों को ग्रहण करने के बारे में बातचीत करेंगे।"
पायलटों की खोज
तालिबान के पास विमान, लेकिन पायलट नहीं- हाशिमी
हाशिमी ने कहा कि तालिबान को खासतौर पर पायलटों की जरूरत है क्योंकि उसके पास एक भी पायलट नहीं है, जबकि उसने हेलीकॉप्टर और विमान युद्ध के दौरान जब्त कर लिए हैं।
उन्होंने कहा, "हमने कई पायलटों से संपर्क किया है। हमने उनसे अपने भाईयों के साथ आने और सरकार में शामिल होने को कहा है। हमने उनमें से कई को कॉल किया है और बाकियों के नंबर ढूढ़ रहे हैं।"
मौजूदा स्थिति
अपनी सरकार बनाने की जुगत में लगा हुआ है तालिबान
गौरतलब है कि अफगानिस्तान पर कब्जे के बाद अब तालिबान यहां अपनी सरकार बनाने की जुगत में लगा हुआ है। उसका प्रयास है कि वह एक ऐसी सरकार बना सके जो अफगानिस्तान के अधिकांश लोगों को स्वीकार हो और इस संबंध में आज उसके नुमांइदे देश के पूर्व राष्ट्रपति हामिद करजई और वरिष्ठ नेता अब्दुल्ला अब्दुल्ला से मिले।
तालिबान का कहना है कि उसने सभी को माफ कर दिया है और अब वह किसी से बदला नहीं लेगा।