अफगानिस्तान छोड़ने वाले लोगों के लिए किस देश ने खोले दरवाजे और किसने खड़ी की दीवार?
तालिबान के कब्जे के बाद बड़ी संख्या में लोग अफगानिस्तान छोड़ना चाहते हैं, जिससे मानवीय संकट खड़ा होने का डर बढ़ गया है। कई देशों और मानवाधिकार के लिए काम करने वाले संगठनों ने आशंका जताई है कि तालिबान अपने पहले शासन वाली क्रूरता फिर से दोहरा सकता है। इसे देखते हुए कुछ देशों ने अफगान नागरिकों को शरण देने की बात कही है तो कुछ ने अपनी सीमाएं सील कर ली हैं।
ईरान ने हालात ठीक होने तक कैंप लगाए
ईरान ने अफगानिस्तान की सीमा से लगते तीन प्रांतों में अस्थायी कैंप तैयार किए हैं ताकि लोगों को पनाह दी जा सके। हालांकि, ईरान सरकार ने अफगानिस्तान में हालात सुधरने पर इन्हें वापस भेजने जाने की बात भी कही है। ईरान और अफगानिस्तान लगभग 900 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करते हैं। संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट कहती है कि पहले से ही ईरान में अफगानिस्तान के 35 लाख लोग शरण लिए हुए हैं।
तुर्की बना रहा सीमा पर दीवार
तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तेयेप अर्दोआन ने रविवार को कहा कि उनका देश पाकिस्तान के साथ अफगानिस्तान में हालात स्थिर करने के लिए काम करेगा और ताकि शरणार्थियों के पलायन को रोका जा सके। अर्दोआन के विरोधियों का कहना है कि उनकी सरकार को शरणार्थियों को देश में प्रवेश से रोकना चाहिए और इस मुद्दे पर यहां जमकर राजनीति हो रही है। इसके जवाब में अर्दोआन सरकार ने सीमा पर कंक्रीट की दीवारें बनाना शुरू कर दिया है।
शरणार्थियों को सीमा के पास रखेगा पाकिस्तान
जून में इमरान खान ने कहा था कि अगर तालिबान का कब्जा होता है तो पाकिस्तान अफगानिस्तान से लगती सीमा को सील कर लेगा। हालांकि, अब पाकिस्तान ने सीमा सील नहीं की है, लेकिन वह अफगानिस्तान से आने वाले शरणार्थियों को सीमा के पास ठहरा रहा है। अलजजीरा के अनुसार, यहां के सूचना मंत्री फवाद चौधरी ने कहा कि शरणार्थियों को देश के भीतर जाने से रोकने के लिए सीमा के करीब अस्थायी कैंप बनाए जा रहे हैं।
20,000-20,000 लोगों को शरण देंगे UK और कनाडा
यूनाइटेड किंगडम (UK) ने ऐलान किया है कि वह अगले कुछ सालों में 20,000 अफगान नागरिकों को शरण देगा। इनमें महिलाओं, लड़कियों, धार्मिक और दूसरे अल्पसंख्यकों को प्राथमिकता मिलेगी। पहले साल इस योजना के तहत 5,000 लोगों को शरण दी जाएगी। कनाडा ने पिछले सप्ताह कहा कि वह अधिक खतरे का सामना कर रहे 20,000 अफगान नागरिकों को अपने यहां बसाएगा। इन 20,000 लोगों में महिला नेताओं, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं, पत्रकारों, LGBTQ समुदाय के लोगों, धार्मिक अल्पसंख्यकों को प्राथमिकता दी जाएगी।
सीमित वीजा जारी करेंगे ऑस्ट्रेलिया और स्विट्जरलैंड
ऑस्ट्रेलिया ने बुधवार को कहा कि उसकी अफगान शरणार्थियों को शरण देने की कोई योजना नहीं है। शरणार्थियों को लेकर कड़ी नीति रखने वाले ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री ने कहा कि वो अगले एक साल में 3,000 अफगान नागरिकों को वीजा देंगे। इसी तरह स्विट्जरलैंड ने कहा कि वह बड़ी संख्या में लोगों को शरण नहीं देगा और शरणार्थियों के आवेदनों के आधार पर फैसला लेगा। स्विट्जरलैंड केवल जान के खतरे का सामना करने वाले लोगों को ही वीजा जारी करेगा।
अमेरिका देता आया है शरण
अमेरिका कई सालों से अफगान नागरिकों को शरण देता आया है, लेकिन हर साल इनकी संख्या कम हो रही है। पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा के कार्यकाल के आखिरी साल यानी 2016 में 2,700 अफगानिस्तानी नागरिकों को शरण दी गई थी। पिछले साल यह संख्या कम होकर 604 हो गई और इस साल 31 जुलाई तक 494 लोगों को शरण दी गई है। अब अमेरिका ने शरणार्थियों के लिए दायरा बड़ा करते हुए अन्य लोगों को भी इसमें शामिल किया है।
लोगों को निकालने में जुटा है अमेरिका
शरण देने के अलावा अमेरिका तालिबान के कब्जे में आ चुके क्षेत्रों से लोगों को भी निकालने की प्रक्रिया में लगा हुआ है। तालिबान के नियंत्रण से पहले अमेरिका ने विशेष वीजा के तहत 15,000 अफगान नागरिकों को अपने देश बुलाया था और करीब 18,000 आवेदन अभी लंबित पड़े हुए हैं। अधिकारियों ने बताया कि अभी यहां से लोगों को निकालना जारी रहेगा और अमेरिका के तीन हवाई अड्डों पर 22,000 लोगों के लिए इंतजाम किए गए हैं।
अमेरिका के निवेदन पर ये देश भी लेंगे शरणार्थी
युगांडा ने मंगलवार कहा कि वह अमेरिका के निवेदन पर तीन महीनों के लिए 2,000 शरणार्थियों को शरण देने को तैयार हुआ है। तीन महीने बाद इन्हें कहीं और भेजा जाएगा। इसी तरह नॉर्थ मेसेडोनिया ने अमेरिका की मांग पर 450 को और अलबानिया ने 300 शरणार्थियों को अस्थाई शरण देने की बात कही है। इन शरणार्थियों में मानवीय सहायता और शांति मिशनों में काम करने वाले अफगान कर्मचारी, छात्र, पत्रकार, मानवाधिकार कार्यकर्ता आदि शामिल होंगे।