किसान आंदोलन के समर्थन में उतरे ब्रिटेन के 36 सांसद, भारत पर दबाव बनाने की तैयारी
क्या है खबर?
केंद्र सरकार की ओर से लाए गए तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ भारत में चल रहे किसानों के प्रदर्शन को अब ब्रिटेन का भी साथ मिल गया है।
ब्रिटेन में विभिन्न दलों के 36 सांसदों ने ब्रिटिश विदेश सचिव डोमिनिक राब को चिट्ठी लिखकर किसान कानूनों के विरोध में भारत पर दबाव बनाने की मांग की है।
चिट्ठी लिखने वाले सांसदों में कुछ भारतीय मूल के हैं तो कुछ पंजाब से संबंधित कुछ घटकों का प्रतिनिधित्व करते हैं।
मांग
आंदोलन के संबंध में भारतीय विदेश सचिव से बात करने की मांग
लेबर पार्टी के सांसद तनमनजीत सिंह धेसी के नेतृत्व में लिखी गई चिट्ठी में सांसदों ने पंजाब में बिगड़ते हालात और केंद्र के साथ इसके संबंध को लेकर विदेश सचिव डोमिनिक राब के साथ आवश्यक बैठक आयोजित करने की मांग की है।
इसके अलावा भारत में भूमि और खेती के लिए लंबे समय से जुड़े ब्रिटिश सिखों और पंजाबियों को लेकर भारतीय अधिकारियों से बात करने तथा भारतीय विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला के जरिए दबाव बनाने की मांग की है।
आरोप
किसानों को शोषण से बचाने में विफल रही है भारत सरकार
सांसदों ने लिखा कि पिछले महीने सांसदों ने राब और लंदन में भारतीय उच्चायोग को भारत में बनाए गए कानूनों के बारे में लिखा था।
भारत सरकार कोरोना महामारी के बीच तीन नए कृषि कानूनों में किसानों को शोषण से बचाने और उनकी उपज का उचित मूल्य सुनिश्चित करने में विफल रही है।
इसके चलते देश भर में व्यापक किसान विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। यह ब्रिटेन में सिखों और पंजाब से जुड़े लोगों के लिए चिंता का विषय है।
जानकारी
किसानों को दबाने के लिए किया जा रहा है बल प्रयोग
सांसदों ने किसानों को रोकने के लिए किए गए वाटर कैनन और आंसू गैंस के इस्तेमाल की फोटो भेजते हुए लिखा कि भारत सरकार किसानों को दबाने के लिए बल प्रयोग कर रही है। ऐसे में उन्हें अपने परिवार के लोगों की भी चिंता है।
प्रभावित
कृषि कानूनों से प्रभावित हुए हैं ब्रिटिश सिख और पंजाबी
चिट्ठी में लिखा है कि तीनों कृषि कानून अन्य भारतीय राज्यों पर भी भारी पड़ रहे हैं। कई ब्रिटिश सिखों और पंजाबियों ने अपने सांसदों के साथ इस मामले को उठाया है। इसका कारण यह है कि वह पंजाब में परिवार के सदस्यों और अपनी पैतृक भूमि से सीधे प्रभावित हैं।
उन्होंने आगे लिखा पंजाब की 30 मिलियन आबादी में से लगभग तीन चौथाई कृषि में शामिल हैं। इसलिए नए कानून पंजाब के लिए एक बड़ी समस्या बने हुए हैं।
सांसद
चिट्ठी लिखने वालों में शामिल हैं ये ब्रिटिश सांसद
ब्रिटिश विदेश सचिव को पत्र लिखने वालों में तनमनजीत सिंह के अलावा डेबी अब्राहम, वीरेंद्र शर्मा, सीमा मल्होत्रा, अप्सना बेगम, सर पीटर बॉटले, सारा चैंपियन, जेरेमी कॉर्बिन, जॉन क्रर्दस, जॉन क्रायर, गेरेंट डेविस, मार्टिन डॉकर्टी ह्यूजेस, एलन डोरांस, एंड्रयू ग्वेने और अफजल खान शामिल है।
इसी तरह सांसद इयान लावेरी, इमा लावेरी, क्लाइव लेविस, टोनी लॉयड, खालिद महमूद, सीमा मल्होत्रा, स्टीव मैककेब, जॉन मैकडोनेल, पैट मैकफेडेन, ग्राहम मोरिस, कार्लोइन नौर्स आदि शामिल हैं।
पृष्ठभूमि
क्या है कृषि कानूनों का पूरा मामला?
मोदी सरकार कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए तीन कानून लेकर लाई है जिनमें सरकारी मंडियों के बाहर खरीद के लिए व्यापारिक इलाके बनाने, अनुबंध खेती को मंजूरी देने और कई अनाजों और दालों की भंडारण सीमा खत्म करने समेत कई प्रावधान किए गए हैं।
पंजाब और हरियाणा समेत कई राज्यों के किसान इन कानूनों का जमकर विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि इनके जरिये सरकार मंडियों और न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से छुटकारा पाना चाहती है।